.नवरात्रि के नौ दिनों में ममतामई मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है लेकिन बालोद जिला में एक ऐसा गांव है जहां ग्रामीण परेतिन की पूजा करते है, कहां पड़ता है यह गांव और क्या है इस मंदिर की कहानी देखिए एक रिपोर्ट…
भूत प्रेत का नाम सुनते ही आम तौर पर लोग डर जाते हैं लेकिन बालोद जिला के अर्जुन्दा नगर पंचायत से महज 4 किलोमीटर दूर ग्राम झिका में परेतिन का मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र है जिन्हें परेतिन दाई के नाम से जाना जाता है ग्रामीणों के कथन अनुसार सालों पहले जब मार्ग से होकर गुजरने वाले राहगीर इस स्थान को बिना प्रणाम किए यहाँ से गुजरते थे तो उनके साथ कुछ ना कुछ अनहोनी हो जाती थी.
तब राहगीर इस स्थान पर रुक वर्षों पुरानी नीम पेड़ को प्रणाम कर या अपने पास रखें समान का कुछ अंश चढ़ा आगे बढ़े जिसके बाद अनहोनी होना बंद हो गया. जिसके बाद से जो भी व्यक्ति इस मार्ग से होकर गुजरता है अपने गाड़ी का हॉर्न बजा या व्यापारी व्यवसाय से जुड़े सामग्री दूध, सब्जी, ईटा,गिट्टी, रेती जैसे तमाम चीजों का कुछ अंश परेतिन दाई को भेंट करने के बाद ही आगे बढ़ते है
ग्रामीण बतलाते है कि जब कभी किसी के घर नवजात बच्चा लगातार रोने लगता हैं तो परिजन पाठ चूड़ी( काला चूड़ी और काजल) माता को भेंट करते हैं जिसके बाद बच्चा का रोना बंद कर देता है. वही ग्रामीणों के कथना अनुसार जो भी निसंतान दंपति सच्ची श्रद्धा से माता की चरणों फूल अर्पित कर मन्नत मांगती है तो माता उनकी झोली भर देती है.
दिन ब दिन माता के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती ही जा रही है. और अब इस स्थान पर जन सहयोग से माता की मंदिर बना प्रतिमा भी स्थापित की गई है साथ ही मनोकामना ज्योति कलश रूम भी बनाया गया है. दोनों नवरात्र में ग्रामीण 9 दिनों तक विधि विधान पूजा-अर्चना कर मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित कर सुख शांति समृद्धि की कामना करते हैं।
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