धमतरी. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में खान पान का एक अलग ही रवैया है. यहां के लोग भाजी खूब खाते हैं और छत्तीसगढ़िया भाजियों में सबसे महंगी होती है बोहार भाजी. भले ही ये साल भर में कुछ दिनों तक ही मिल पाती है. लेकिन इसके लाजवाब स्वाद के लिये लोग हर कीमत देने को तैयार रहते है. बोहार भाजी 400 रुपये किलो तक बिकती है. कहते हैं कि खान पान का तरीका. किसी भी जगह की प्राकृतिक और भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करता है. छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां मैदानी और जंगली इलाके ज्यादा है. लिहाजा सब्जीयों में भाजी का भी खूब इस्तेमाल होता है. आम भाजीयों में पालक, चौलाई, मैथी और लाल भाजी तो खाए ही जाते है. साथ में कई तरह की और लोकल भाजी यहां लोक प्रिय है और इन्ही में से एक है बोहार भाजी.
बोहार भाजी कई मामलो में खास है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका बेमिसाल स्वाद है. आप जान कर हैरान होंगे कि ये भाजी बाजार में 400 रुपये किलो तक बिकती है. इसकी वजह ये है कि बोहार भाजी साल भर में कुछ दिनो के लिये ही मिलती है. हर साल मार्च अप्रेल माह में ही कभी कभी ये बाजार में पहुंचती है. इसके स्वाद के लिये लोग उंची कीमत चुकाने को भी तैयार रहते हैं. धमतरी में सब्जी भाजियों का काम करने वाले रामनाथ सोनकर बताते हैं कि बोहार छत्तीसगढ़ की सबसे महंगी भाजी क्यों है. आम तौर पर भाजी की फसल पौधो के रूप में होती है, लेकिन बोहार भाजी.
यहां मिलती है बोहार भाजी
बोहार के उंचे पेड़ पर मिलती है. ये भाजी दरअसल बोहार की कलियां और कोमल पत्ते होते है, जो कुछ दिनो में फूल बन जाते है. इन्हें फूल बनने से पहले ही तोड़ना होता है. तभी ये खाने के काम आ पाती है. उंचे पेड़ की पतली डालीयों तक पहुंच कर सिर्फ कलीयों को अलग से तोड़ना भी आसान नहीं है. इसमें खतरा तो रहता ही है. जानकारी भी जरूरी होती है. इसलिये बोहार की भाजी तोड़ना हर किसी के बस की बात भी नहीं होती. धमतरी शहर की बात करें तो पूरे शहर में दो या तीन ही बोहार के पेड़ है. धमतरी में रहने वाले आर्यन सोनकर के घर भी एक पेड़ है, जो 100 साल पुराना है. आर्यन बताते हैं कि हर सीजन में इसकी भाजी बेच कर मोटी कमाई हो जाती है.
दूसरे राज्यों में भी मिलती है
वैसे बोहार कोई ऐसा पेड़ भी नहीं है कि सिर्फ छत्तीसगढ़ में मिलता हो. ये कई प्रदेशो में मिलता है और अलग अलग नाम से जाना जाता है. इसके फलो का अचार भी बनाया जाता है. बोहार का बाॅटिनिकल नाम कोर्डिया डिकोटोमा है. अंग्रेजी में इसे बर्ड लाईम ट्री, इंडियन बेरी, ग्लू बेरी भी कहा जाता है. भारत के अन्य राज्यो में इसे, लसोड़ा, गुंदा, भोकर जैसे नामो से जाना जाता है, लेकिन इलकी भाजी खाने का चलन सिर्फ छत्तीगढ़ में ही है. बोहार भाजी के शौकीन धरमू राम की माने तो इसकी सब्जी में इमली का इस्तेमाल जरूरी होता है. अगर आपको इसकी लज्जत लेनी है तो मार्च महीने में छत्तीसगढ़ आना होगा.
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