0 स्थानीय कर्मचारी व दैनिक वेतन भोगी कर्मी के पास नहीं पर्याप्त सुरक्षा समाग्री।
0 एसडीओ व रेंजर दुर्लभ प्रजाति जानवर के पुष्टि करना भी गंवारा नहीं समझा।
छुरिया- वन परिक्षेत्र छुरिया के अंतर्गत मां दन्तेश्वरी मंदिर के पहाड़ी पर बीते एक सप्ताह से दुर्लभ प्रजाति का काला तेंदुआ की चहल कदमी बनी हुई है । गुरूवार को दोपहर एवं शाम को पहाड़ के उंचे टीले पर काला तेन्दुआ दिखाई देते ही आमजनों की भारी भीड़ उसे देखने उमड़ पड़ी ।
वहीं इससे बेखबर वनविभाग की कार्यशैली को लेकर नगरवासियों एवं क्षेत्रवासियों में आक्रोश व्याप्त था । वहीं जब दिनांक 21 फरवरी को नांदगांव टाईम्स शीर्षक पर ‘‘दुर्लभ प्रजाति का काला तेंदुआ छुरिया पहाड़ पर देखा गया‘‘ की खबर प्रकाशित होते ही हरकत में आया जहां वन परिक्षेत्र अधिकारी रेंजर ने लोगों से सतर्क रहने की अपील करते देखा गया । वन परिक्षेत्र छुरिया के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को मां दन्तेश्वरी पहाड़ पर काला तेंदुआ की निगरानी करते रहने कहा गया।
जिसके कुछ देर बाद जिले से छुरिया वन परिक्षेत्र पहुंचे एसडीओ ने बैठे बिठाए जानकारी इकट्ठा कर अपना पल्ला झाड़ लिया? जबकि जिले से आये अधिकारी को चाहिए था कि नगर में काला तेंदुआ कि सच्चाई जानने पहाड़ से लगे घरों तक पहुंच कर जायज़ा लेना चाहिए था साथ में किसी प्रकार की पुष्टि के लिए उचित प्राप्त व्यवस्था समाग्री अपने कर्मचारियों को सौंप कर विभाग को पता चल सके कि जो नगर में चर्चा का माहौल है व सही है या ग़लत? हांलांकि अधिकारी व्दारा दैनिक वेतन भोगी व स्थानीय कर्मचारी को तैनात कर दिया गया है लेकिन आपको बता दें विभाग द्वारा सुरक्षा को लेकर प्रयाप्त टार्च व ऐसी कोई समाग्री नहीं दी गई?
जिससे यह कहना ग़लत नहीं होगा कि कर्मचारीयों के जान से खिलवाड़ करने से कम नहीं क्योंकि अधिकारी मौखिक रूप से कर्मचारियों के जान- माल कि चींता छोड़ खानापूर्ति कर आराम फरमाने चलते बने? खानापूर्ति इसलिए कहा जा रहा है कि दिन शुक्रवार को अधिकारी आते हैं वे पग चिन्ह जानवर कि पुष्टि के लिए सही करना चाहते तो शायद पहाड़ के पिछे नहर है जहां कहा जा सकता है वहां कोई भी जानवर हो प्यास बुझाने वहां का पानी पीने वहीं जा सकता है तो क्या विभाग को पुष्टि के लिए कैमरे कि व्यवस्था नहीं किया जाना चाहिए था? लेकिन ऐसा कुछ न कर कौन फालतू में मेहनत करें जैसी वाली बात लग रही है क्योंकि वन विभाग का तो साफ कहना है जंगली जानवर जंगल में नहीं रहेगा तो कहा रहेगा बात तो बिलकुल सही है।
किन्तु विभाग को यह भी पता होना चाहिए पुर्व में इसी तरह बरती गई लापरवाही के चलते एक शेरनी को बखरुटोला में जान गंवानी पड़ी थी। ऐसे में विभाग को किसी माध्यम से जानकारी मिल रही है दुर्लभ काला तेंदुए कि संख्या बहुत कम है उसके लिए विभाग को गंभीरता से ध्यान देने जैसे कोई बात नजर नहीं आया? आपको बता दें हमारे देश में काले तेंदुए कि संख्या बहुत कम है उसके साथ किसी प्रकार कि अनहोनी व आमजनों को नुक़सान न हो इस नजरिए से विभाग मुस्तैद हो तो दुर्लभ प्रजाति काला तेंदुआ व आमजनों के बीच डर का माहौल खत्म हो सकता है।
रही बात पुष्टि कि तो वार्ड क्र. 1 एवं 6 के रहवासियों से वनविभाग के कक्ष क्रमांक 654 के बीटगार्ड एवं वनकर्मियों ने उनका बयान लिया है। जिसमें वार्डवासियों ने उन्हें बताया कि पहाड़ पर उन्होंने काला तेन्दुआ देखा है जिससे वार्डवासी एवं पालतु जानवरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है तो क्या इससे भी पुष्टि नहीं हो सका। हांलांकि वनविभाग की टीम ने छुरिया पहाड़ के समीप बसे परिवारों के घरों के तरफ निरीक्षण किया जहां वार्डवासियों एवं क्षेत्रवासियों से अपील की कि रात को वे घर से न निकले ।
वन्यजीव दिखाई देने पर वनविभाग को सूचित करें । ऐसे में अब यह देखने वाली बात होगी वन विभाग कैसे काले तेंदुए कि पुष्टि कर पाते हैं। लेकिन उसे पहाड़ पर देखे जाने से छुरिया सीमा क्षेत्र के रहवासियों में डर एवं भय का वातावरण बना हुआ है ।
वनविभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी गई है, मुनादी कराकर लोगों को सुरक्षित रहने की अपील की गई है।
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