भादो का महीना पूर्णिमा के बाद हुआ है।भादो के महीने की षष्ठी को बलराम और अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस महीने में भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जानी चाहिए। इस दिन पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग होता है। राहुकाल जन्माष्टमी पर दोपहर 12:27 से दोपहर 02:06 बजे तक रहेगा। इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र होगा, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र होगा, जो 13 अगस्त तक रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है। जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें और पंचामृत चढ़ाएं। माखन मिश्री अर्पित करें।
हर बार की तरह जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है। जन्माष्टमी त्योहार 11 और 12 अगस्त दोनों को मनाया जा रहा है। लेकिन 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है। मथुरा और द्वारका में 12 अगस्त को जयंती मनाई जाएगी। ।
आपको बता दें कि श्रीमद् भागवत दशम स्कंध में कृष्ण जन्म प्रसंग का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि जिस समय कृष्ण आधी रात को पृथ्वी पर उतरे, उस समय ब्रज में बहुत बादल छाए हुए थे, लेकिन चंद्रदेव ने अपने वंशज को दिव्य दृष्टि से जन्म लेते देखा। आज भी चंद्रमा कृष्ण के जन्म के समय आधी रात को उगता है। उस समय शास्त्र में मध्यरात्रि का उल्लेख है।
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