‘जल जीवन मिशन’ (हर घर जल) के तहत ओडिशा के लिए 812 करोड़ रुपये मंजूर

भारत सरकार ‘जल जीवन मिशन’ के माध्यम से देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नियमित और लंबे समय तक निर्धारित गुणवत्ता मानकों के आधार पर पर्याप्त मात्रा में नल के जरिए पानी पहुंचाने के लिए सभी प्रयास कर रही है। राज्य सरकारें घर में पीने का पानी उपलब्ध करा ग्रामीण लोगों के जीवन में खुशहाली लाने और उनका जीवन सुगम बनाने के लिए  सहकारी संघवाद की सच्ची भावना के साथ इस मिशन को आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं। इस मिशन के माध्यम से प्रत्येक घर को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता वाले 55 एलपीसीडी पीने योग्य पानी की आपूर्ति किए जाने की परिकल्पना की गई है।

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मिशन का अनुमानित परिव्यय 3.60 लाख करोड़ रुपये है जिसमें केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी क्रमश 2.08 और 15.5 लाख करोड़ रुपये होगी।

ओडिशा राज्य मिशन के बारे में अपनी वार्षिक कार्य योजना 2020-21 को जल शक्ति मंत्रालय में पेयजल और स्वच्छता सचिव की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय समिति के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है। समिति की ओर से  इसपर विचार करने के बाद इसका अनुमोदन किया जाना है। भारत सरकार ने 2020-21 वित्त वर्ष के लिए राज्य में मिशन के कार्यान्वयन के लिए 812 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। यह आवंटन पिछले साल आवंटित 297 करोड़ रुपये से काफी अधिक है। राज्य के 81 लाख ग्रामीण परिवारों में से राज्य सरकार ने 2020-21 में 16.21 लाख परिवारों को घरेलू कनेक्शन प्रदान करने की योजना बनाई है। राज्य सरकार वर्ष 2024 तक सौ प्रतिशत घरेलू नल कनेक्शन देने की योजना बना रही है। पानी की कमी वाले क्षेत्रों, पानी की गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों,  सांसद आदर्श ग्राम योजना के गाँवों तथा आकांक्षी जिलों के गांवों और अनुसूचित जाति जनजाति बहुल क्षेत्रों को सौ फीसदी योजना के दायरे में लाने को प्राथमिकता दी जा रही है। ऐसे गांवों और बस्तियों में जहाँ पहले से  पाइप जलापूर्ति योजनाएँ मौजूद हैं वहां पर राज्य सरकार शेष बचे ऐसे परिवारों को तुरंत नल कनेक्शन प्रदान करने के सभी प्रयास कर रही है जो कमजोर और गरीब तबके के हैं। ग्रामीण समुदाय की सक्रिय भागीदारी के साथ ग्राम कार्य योजना (वीएपी) के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है। मौजूदा पेयजल आपूर्ति प्रणालियों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए पेयजल स्रोतों को एमजीएनआरईजीएस, एसबीएम (जी), पीआरआई को 15वें एफसी अनुदान, जिला खनिज विकास निधि, सीएएमपीए, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के अभिसरण के माध्यम से मजबूत करने का काम किया जा रहा है। सभी उपलब्ध संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए ग्राम स्तर की योजना बनाई गई है। राज्यों को 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग के अनुदान के तहत 2,258 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है। इस राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा  पानी और स्वच्छता पर अनिवार्य रूप से खर्च किया जाना है।

मिशन को लागू करने के लिए, विभिन्न स्तरों पर संस्थागत व्यवस्था की गई है जिसमें राज्य के पीएचई विभाग को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। ग्राम समुदाय के बीच स्वामित्व की भावना पैदा करने के लिए, जल आपूर्ति योजनाओं की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए इसके प्रबंधन, कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव में सामुदायिक भागीदारी की बढ़ावा दिया गया हे। राज्य सरकार की ओर से इसके लिए स्वयं सहायता समूहों और स्वयंसेवी संगठनों को शामिल करना शुरू किया जाएगा।

जल जीवन मिशन जल गुणवत्ता की निगरानी में स्थानीय समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। इसके लिए, किट की समय पर खरीद, समुदाय को किट की आपूर्ति, हर गाँव में कम से कम पाँच महिलाओं की पहचान, फील्ड टेस्ट किट के इस्तेमाल के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करने और प्रयोगशाला आधारित रिपोर्ट तैयार करने और कार्य करने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना बनाई गई है। राज्य ने अपनी जल परीक्षण प्रयोगशालाओं में से 18 के लिए एनएबीएल मान्यता लेने का भी प्रस्ताव किया है। वर्तमान में ओडिशा में  एक राज्य-स्तरीय प्रयोगशाला और 32 जिला स्तर की प्रयोगशालाएँ हैं।

ओडिशा में  पानी की कमी और बहुलता की दो चरम स्थितियां रहती हैं। राज्य का एक हिस्सा साल के अधिकांश समय पानी की तंगी की चपेट में रहता है जबकि जबकि दूसरा हिस्सा मानसून में जलमग्न हो जाता है। गर्मी के समय पारा 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाने तथा साथ में कोविड महामारी के प्रकोम के बीच यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि लोग पानी के लिए सार्वजनिक स्थलों पर न जुटें। इसलिए राज्य को सलाह दी गई है कि वह घर तक नल के जरिए जलआपूर्ति की व्यवस्था करे जिससे लोगों को सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने में मदद मिलेगी और साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकेगा।

ऐसे समय में जब बड़ी संख्या में प्रवासी अपने राज्यों को लौट रहे हैं उन्हें आजीविका प्रदान करना बहुत जरुरी हो गया है। इन लोगों का इस्तेमाल पानी की आपूर्ति से संबंधित कार्यों में किया जा सकता है। विशेष रूप से इन लोगो को हर गाँव में पाइपलाइन फिटिंग और जल संरक्षण आदि के कार्य में लगाया जा सकता है ताकि सभी गांवों में पीने का पानी उपलब्ध कराया जा सके , सिंचाई  के लिए भी पानी मिल सके और इन सबके माध्यम से जल जीवन मिशन के उद्देश्य को पूरा किया जा सके।

Lokesh Rajak

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