दुर्ग- जिले में विगत 03 दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण कई ग्रामों में खेतों में जलभराव की स्थिति निर्मित हुई है। दुर्ग जिले में इस वर्ष खरीफ मौसम में 142160 हेक्टेयर में फसलों की बोनी हुई है जिसमें धान 129856 हेक्टेयर मक्का 155 हेक्टेयर, अरहर 737 हेक्टेयर मूंग 26 हेक्टेयर, उडद 68 हेक्टेयर, तिल 43 हेक्टेयर, सोयाबीन 3688 हेक्टेयर एवं साग-सब्जी व कपास की फसलें 7587 हेक्टेयर में है। जिले में दिनांक 27 अगस्त को 34.6 मि.मी., दिनांक 28 अगस्त को 142.0 मि.मी., दिनांक 29 अगस्त को 15.8 मि.मी. एवं दिनांक 30 अगस्त को 3.6 मि.मी. कुल 196.0 मि.मी. वर्षा हुई है।
फसल क्षति हेतु सर्वे कार्य:- जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत स्थानीय आपदा घटक जलप्लावन में विकासखण्ड-धमधा के 64 ग्राम में सोयाबीन फसल अधिसूचित है। कृषकों को जलप्लावन के कारण होने वाली हानि की स्थिति में योजनांतर्गत क्षतिपूर्ति प्रदाय कराने हेतु उप संचालक कृषि श्री अश्वनी बंजारा एवं एन.डी.लिल्हारे, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, विकासखंड -धमधा एवं स्थानीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों द्वारा अतिवृष्टि से प्रभावित ग्राम-देऊरकोना, भाठाकोकडी, गोबरा, घोठा, सुखरीकला, सुखरीखुर्द, रूहा, पेण्ड्री, खिलौराकला, खिलौराखुर्द, तुमाखुर्द इत्यादि में भ्रमण कर नजरी आंकलन किया गया साथ ही कृषकों को स्थानीय आपदा की स्थिति में बीमा का लाभ दिलाने के लिए आवश्यक जानकारी देते हुये निर्धारित प्रपत्र में आवेदन प्राप्त किये गये।
फसल क्षति अवलोकन के दौरान विभागीय अधिकारियों द्वारा विभिन्न ग्रामों के कृषकों श्री महावीर पटेल, श्री पंचू/ खोलबाहरा ग्राम-भाठाकोकडी, श्री युवराज पटेल, श्री भरतलाल/सोगालाल जी, श्री बालाराम सुनहर (सरपंच), श्री जीवन पटेल ग्राम-घोठा, श्री महेश पटेल/मोहन, श्री टीकाराम/भागवत, श्री मानिक/धीराजी, श्री रमेश/गजराज, श्रीमति यशोदा बाई/धनेश, श्री दिनेश/रामचंद, श्री नटवर/गजराज, श्री संतोष/ चैनसिंह ग्राम-पेण्ड्री एवं अन्य स्थानीय कृषकों से चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत अतिवृष्टि/स्थानीय आपदाओं की स्थिति में कृषकों को क्षतिपूर्ति:- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत शासन द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार स्थानीय जोखिमों यथा-ओलावृष्टि, जलप्लावन, बादल फटना और प्राकृतिक आकाशीय बिजली से अधिसूचित फसलों में नुकसान होने की स्थिति में व्यक्तिगत बीमित कृषक को क्षतिपूर्ति दिये जाने का प्रावधान है। धान सिंचित एवं धान असिंचित फसल में जलप्लावन से होने वाली क्षति इस घटक में शामिल नहीं है। जिले में जलप्लावन स्थानीय आपदा के लिये खरीफ में सोयाबीन अधिसूचित फसल है। यदि किसी प्रभावित इकाई (अधिसूचित ग्राम) में 25ः से ज्यादा हानि होती है तो संयुक्त समिति द्वारा सैम्पल जांच कर उस इकाई में सभी बीमित कृषकों को क्षतिपूर्ति देय होगी।
स्थानीय आपदा में बीमा का लाभ लेने के लिए कृषक क्या करें:- कृषक इसकी सूचना सीधे संबंधित क्रियान्वयन बीमा कंपनी (एग्रीकल्चर इंश्योरेंश कम्पनी) के टोल फ्री नम्बर 1800-11-6515 या ई-मेल आई.डी. fasalbima@aicofindia.com पर या स्थानीय पटवारी/ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों/संबंधित बैंक अथवा विकासखण्ड/जिला कृषि अधिकारी/राजस्व अधिकारी को लिखित रूप से निर्धारित समय-सीमा 72 घंटे के भीतर बीमित फसल के ब्यौरे, क्षति की मात्रा तथा क्षति के कारण सहित सूचित कर सकते है या कृषक अपने स्मार्टफोन पर गुगल प्ले स्टोर से ‘‘pmfby crop insurance’’ ऐप को डाउनलोड कर खुद ही अपने फसल की क्षति की जानकारी ऐप में दर्ज कर सकते है।
स्थानीय आपदा क्षतिपूर्ति हेतु दावा भुगतान की प्रक्रिया:- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत स्थानीय आपदा से क्षति की स्थिति में क्षति का आंकलन करने के 15 दिवस के भीतर बीम कम्पनी द्वारा क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान किये जाने का प्रावधान है, इस घटक के अंतर्गत अधिकतम देय सहायता बीमित राशि के अध्याधीन प्रभावित क्षेत्र में आपदा घटित होने तक फसल की कास्त लागत के अनुपात में देय होगी। यदि फसल कटाई प्रयोग के आधार अधिसूचित क्षेत्र में दावा भुगतान स्थानीय क्षतिपूर्ति से अधिक निर्धारित होता है तो दोनो में से जो भी देय दावा अधिक होगा वह बीमित कृषकों को देय होगा।
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