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देश : फांसी के फंदे तक पहुंचने से पहले 300 मीटर की दूरी तय करेगी शबनम…

उत्तर प्रदेश : जेल की बैरक से फांसी के तख्ते तक पहुंचने के लिए शबनम को 300 मीटर की दूरी तय करनी होगी। बैरक से फांसी के तख्ते तक दो पहरेदार उसे कड़ी सुरक्षा में पहुंचाएंगे। इस दौरान कोई भी पेहरेदार कुछ भी नहीं बोलेगा।

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शबनम की मौत का फरमान जब जारी हो जाएगा, तो उसे रामपुर जेल से मथुरा जिला कारागार शिफ्ट कर दिया जाएगा। उसे दूसरे बंदियों से अलग तनहाई बैरक में रखा जाएगा। जिला कारागार में तनहाई बैरक जेल चिकित्सालय के पीछे बनी है। यहां से फांसी घर तक की पैदल दूरी करीब 300 मीटर है। यह दूरी उसे दो पहरेदारों के साथ पैदल तय करनी होगी। पहरेदार उसे कड़ी सुरक्षा में पहुंचाएंगे। इस दौरान कोई भी पेहरेदार कुछ भी नहीं बोलेगा।

शबनम की मौत का फरमान जब जारी हो जाएगा, तो उसे रामपुर जेल से मथुरा जिला कारागार शिफ्ट कर दिया जाएगा। उसे दूसरे बंदियों से अलग तनहाई बैरक में रखा जाएगा। जिला कारागार में तनहाई बैरक जेल चिकित्सालय के पीछे बनी है। यहां से फांसी घर तक की पैदल दूरी करीब 300 मीटर है। यह दूरी उसे दो पहरेदारों के साथ पैदल तय करनी होगी। पहरेदार जब उसे बैरक से निकालकर फांसी के तख्ते तक पहुंचाएंगे तो, इस दौरान वह शबनम से और आपस में भी कोई बात नहीं करेंगे। वह उसे फांसी घर के छोटे दरवाजे पर जेल के चार्ज में दे देंगे।

हर दिन शबनम के वजन की होगी जांच शबनम का डेथ वारंट जारी होने के बाद जब उसे मथुरा जेल शिफ्ट किया जाएगा, तो इसके बाद हर दिन उसका वजन चेक किया जाएगा। जेल चिकित्सक की देख रेख में यह कार्य सम्पन्न होगा। वजन कम हो रहा है या बढ़ रहा है, इसका पूरा रिकॉर्ड जेल चिकित्सक द्वारा दर्ज किया जाएगा।

चिकित्सकों को टीम नियमित करेगी उसके स्वास्थ्य की जांच

शबनम के स्वास्थ्य की जांच हर दिन जेल चिकित्सकों की टीम करेगी। उसे कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है, वह पागलपन का शिकार तो नहीं हो रही है। साथ ही इस बात का पता भी किया जाएगा की वह गर्भवती तो नहीं है। असाध्य रोग या पागलपन की दशा में टल जाएगी फांसी ।


फांसी से पूर्व कैदी में असाध्य रोग, पागलपन या उसके गर्भवती होने का पता चलता है तो अधीक्षक दण्डादेश की कार्रवाई को रोक देगा और तुरंत जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करेगा, जो सेशन जज के माध्यम से राज्य सरकार के आदेशों के लिए एक रिपोर्ट तुरंत प्रस्तुत करेगा।

अधीक्षक की भूमिका रहेगी महत्वपूर्ण

फांसी की सजा से पूर्व जो भी व्यवस्थाएं की जाएंगी उनका भार जेल अधीक्षक पर ही रहेगा। इस दौरान अधीक्षक फांसी के रस्सी को चेक करेगा। दोष सिद्ध कैदी से सम्बन्धित महत्वपर्ण सूचनाओं का निपटरा भी अधीक्षक के द्वारा ही किया जाएगा। अधीक्षक को फांसी से 24 घंटे पहले मुख्यालय पर बना रहना होगा। इस दौरान वह बंदीगृह का चार्ज किसी को नहीं सौंपेगा।

Lokesh Rajak

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