नई दिल्ली. मछली (Fish) का नाम सुनते ही हमारे मन में पानी का ख्याल जरूर आता है. आपने मछलियों को जमीन (Fish on lands) पर रहने की बात तो कहानियों में बहुत सुनी होगी, लेकिन मछलियों के जमीन पर रहने की बात हकीकत हो गई है. एक शोध में पाया गया है कि खास प्रजाति (Species) की मछलियां जमीन पर भी रहने लगी हैं.
कौन सी मछली आई है जमीन पर
यह शोध एक मछली की प्रजाति ब्लेनीज पर किया गया है. इन मछलियों की खासियत यह रही है कि उन्होंने बार बार समुद्र से बाहर आकर जमीन पर समय बिताया है. धीरे-धीरे इन्होंने जमीन पर रहने की कला ही सीख ली है. यानि उनमें से बहुत सारी मछलियां ऐसी हैं जो पानी में रहना छोड़ ही चुकी हैं और पूरी तरह से जमीन पर रहने लगी हैं.
कैसे पता लगी यह बात
इस शोध के नतीजे ब्रिटिश इकोलॉजी सोसाइटी की जर्नल फंक्शनल इकोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं. यह शोद न्यू साउथ वेल्स और मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के ब्लेनीज मछली के सैंकड़ों आंकड़े जमा किए जिसके वंश की कई तरह की मछलियां हैं. इनमें से कुछ तो अब भी पानी में ही रहती हैं, लेकिन कुछ ने पानी पूरी तरह से छोड़ दिया है. इन मछलियों ने अपने भोजन की भी व्यवस्था कर ली है. उनके बर्ताव के अध्ययन से उन जीवों को समझने में मदद मिलेगी जिनकेपूर्वज पहले पानी में रहते थे और फिर बाद में वे जमीन रहने वाले जीव हो गए. इसके अलावा वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे इस बदलाव को भी समझ पाएंगे और यह भी जान सकेंगे कि कैसे जीव पानी छोड़ कर जमीन के प्राणी होते गए थे.
पानी से ही जमीन पर आया था जीवन
गौरतलब है कि पृथ्वी पर जीवन के बारे में माना जाता रहा है कि पहले जीवन समुद्र या पानी में शुरू हुआ और फिर जमीन पर आया. वैज्ञानिक इस कड़ी को पूरी तरह से समझने की कोशिश में अब भी लगे हुए हैं. इस तरह का बदलाव आसान नहीं होता क्योंकि एक बार पानी से बाहर आ जाने पर भोजन की उपलब्धता पर सबसे पहले सवाल उठता है. इसका मतलब है यह है कि केवल पानी बाहर आना ही काफी नहीं है, इसके लिए खानपान की आदतें भी बदलती हैं जो कि आसान प्रक्रिया नहीं है. इसमें क्रमविकास संबंधी बदलाव होना तय होता है, जैसे कि दातों वगैरह में. जमीन पर रहने वाल ब्लेनीज ने चट्टानों से एल्गी और कचरा खाने की आदत विकसित कर ली है.
आसान नहीं होता इस तरह का बदलाव
इस शोध के प्रमुख लेखक डॉ टेरी ओर्ड ने कहा, “हमारी पड़ताल आशय यह अनुमान लगाने से था कि जब कोई जीव अपना आवास बदलता है तो उसके खानपान की विविधता और बर्ताव के लचीलापन का उसे फायदा मिलता है. लेकिन प्राकृतिक चुनाव के कारण यह लचीलापन खत्म होने लगता है. इसका मतलब यह हुआ कि अति विकसित प्रजातियों में बदलने की क्षमता कम होती जाती है या फिर अपने आवास में हुए पर्यावरण के बदलाव के साथ जूझने में परेशानी होती है.
क्यों अहम है यह घटना
इस खास तरह के बदलाव का सीधा संबंध जमीन पर पाए जाने वाले सभी रीढ़दार जीवों की उत्पत्ति से है. डॉ ओर्ड ने कहा, “अभी तक जीवाश्मों ने हमें इस बारे में काफी जानकारी दी है कि जमीन पर रीढ़वाले प्राणी कैसे आए, लेकिन आज के समय में इस तरह का जीता जागता नमूना हमें वे बातें जानने में मददगार हो सकता है जो हम जीवाश्मों के जरिए नहीं जान सके थे. इसके अलावा हमें यह भी पता चलेगा कि पानी से बाहर आने पर इन जीवों को कैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था.”
ब्लोनीज में से कुछ प्रकार की मछलियां तो पानी से कुछ समय के लिए बाहर लहरों के साथ आ जाती हैं. और उन्हीं के साथ वे खुद को गीला भी रखती हैं. लेकिन धीरे धीरे ये पानी से बाहर ही रहने लगीं. इसके लिए उन्होंने बदलते तापमान और ऑक्सीजन स्तर के अनुकूल खुद का ढाल भी लिया. वैज्ञानिकों के लिए इस तरह के बड़े बदलाव काफी उल्लेखनीय हैं.
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