बलरामपुर: समन्वित कृषि प्रणाली अपनाकर लाभान्वित हो रहे हैं किसान…

कृषक मसीदास की सफलता से किसानों को मिल रही है प्रेरणा 

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बलरामपुर- 1 अक्टूबर 2020/ छोटी-छोटी कोशिशों से ही बड़े कार्यों की शुरूआत होती हैं। कृषि में नवाचार एवं तकनीक स्वीकार करना समय की मांग है। जिले मे कृषि कार्य लोगों की आजीविका का प्राथमिक स़्त्रोत है तथा क्षेत्र के किसान आधुनिक कृषि प़द्धति एवं तकनीक को अपनाकर सफल हो रहे हैं। शासन की मंशा भी कृषक हितों को सर्वांेपरी रखते हुए योजनाओं का क्रियान्वयन करना है।

कृषकों की सफलता तथा आय में वृद्धि शासन के उद्देश्यों को पूरा कर रहा है। जिले में कृषि प्रसारिकी का अच्छा उदाहरण देखने को मिला है, जहां समन्वित कृषि प्रणाली माॅडल को अलग ही रूप में कृषकों की बाड़ी तक पहुंचाया गया है। इस तकनीक में बाड़ी का उपयोग एक ही स्थान पर धान उत्पादन, मछली पालन एवं मेढों में सब्जी का उत्पादन करने में होता है। जिससे आवश्यकता के अनुरूप पौष्टिक साग-सब्जियां बाड़ी से ही प्राप्त हो जाती हैं एवं अतिरिक्त साग-सब्जियां बेच कर कृषकों को अच्छी आय प्राप्त हो रही है। इस तकनीक के उपयोग की विशेष बात यह है कि रासायनिक कीटनाशक के स्थान पर पूर्ण रूप से जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है।

जिले में 75 कृषकों के बाड़ी में कृषि विभाग द्वारा आत्मा योजना अंतर्गत इस तकनीक का प्रदर्शन लगवाया गया है। इनमें से ही एक किसान मसीदास किस्पोट्टा हंै जो विकासखण्ड बलरामपुर के ग्राम पुटसुरा के रहने वाले है। मसीदास किस्पोट्टा सन् 2004 में नक्सली गतिविधियों से जुुड़ गये थे किन्तु शासन के पहल पर उन्होंने आत्मसमर्पण कर जिन्दगी की नई शुरूआत की। मसीदास जैसे लोग बिरले ही मिलते हैं जो जिन्दगी में हुए बदलाव को स्वीकार कर सफलता की नई इबारत लिखते हैं। मसीदास का परिवार पूर्व से ही कृषि कार्य में संलग्न था इसलिए उन्होेंने भी आत्मसमर्पण के पश्चात् कृषि कार्य को अपना पेशा बनाया तथा धान एवं मक्के की खेती कर जीवनयापन कर रहे थे।

कृषि विभाग द्वारा ऐसे जनजाति समुदाय के लोगों का चिन्हांकन कर आत्मा योजना अन्तर्गत इनकी बाड़ियों में समन्वित कृषि प्रणाली का प्रदर्शन करवाया गया था। मसीदास के बाड़ी के लगभग 20 डिसमिल क्षेत्र में मैदानी कर्मचारियों के देख-रेख एवं तकनीकी मार्गदर्शन में समन्वित कृषि प्रणाली माॅडल तैयार किया गया। मसीदास ने समन्वित कृषि प्रणाली के विषय में चर्चा करते हुए कहा कि घर के निकट होने से बाड़ी की अच्छे से देख-रेख हो जाती है। एक ही स्थान से धान, मछली एवं सब्जी का उत्पादन होने से काम आसान हो गया है एवं कम लागत में ही अच्छी आय प्राप्त हो रही है। माॅडल की विशेष बात यह है कि इससे किसान परिवारों की सब्जी की आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है साथ ही अतिरिक्त सब्जियां बाजार में भी बेच पा रहे हैं।

मसीदास बताते हैं कि बरबटी एवं करेले के अच्छे दाम मिलने से अब तक लगभग 8 हजार की आय हो चुकी है। धान एवं मछली का उत्पादन भी अच्छा है। मसीदास जिन्दगी में हुई इस बदलाव से खुश हैं तथा प्रशासन का बारम्बार धन्यवाद देते हुए कहते है कि किसान को समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाना चाहिए। उप संचालक कृषि श्री अजय अनंत ने बताया कि समन्वित कृषि प्रणाली एक कारगर तकनीक है तथा इसका फायदा किसानांे को देखने को मिल रहा हैं। समन्वित कृषि प्रणाली से एक ही स्थान पर मछली, सब्जी एवं धान के उत्पान से लगभग 25 से 30 हजार की आमदनी प्राप्त हो सकती है। इस माॅडल से किसान प्रेरित हो रहे हैं तथा आगामी समय में इसका विस्तार करने की योजना है।

Bhumika Dewangan

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