भिलाई के युवा ने शुरू किया था दवाओं की होम डिलीवरी का स्टार्टअप, लाकडाउन की अवधि में बन गया वरदान

स्टार्टअप केवल उद्यम को ही बढ़ावा नहीं देते, ऐसे विचार किसी संकट के समय संजीवनी की तरह भी साबित होते हैं मेडीशटर एप ने किया यही काम

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दुर्ग 30 अप्रैल 2020/लाकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों के कई नागरिक दुर्ग-भिलाई में फंसे हैं। उनके साथ बड़ी दिक्कत यह है कि उनके डाक्टरों द्वारा लिखी कुछ दवाएं यहां नहीं मिलती। अब लाकडाउन में मेडिकल स्टोर दर मेडिकल स्टोर भटकना संभव नहीं। उन लोगों के लिए यह और भी मुश्किल है जो बीमार हैं और अपनी दवा के लिए भटकना पड़ रहा है। दुर्ग-भिलाई में ऐसे लोगों के लिए हर्षित ताम्रकार द्वारा शुरू किया गया स्टार्टअप मेडीशटर एप बहुत उपयोगी साबित हुआ है। लाकडाउन के पहले इनके यूजर दुर्ग-भिलाई में 200 थे। अब इनके यूजर की संख्या साढ़े छह सौ हो गई है। हर्षित ने रिसाली का केस बताया। यहां कोलकाता से नीलांजना आई हुई थीं। उन्हें कोलकाता में डाक्टर ने हाई रिच प्रोटीन पाउडर लिखा था। यहां यह नहीं मिला। उन्होंने मेडीशटर एप से संपर्क किया। मेडीशटर एप ने इसे पुणे से मंगवाया और दो दिन में इसकी डिलीवरी हो गई। आज का भिलाई का वाकया कुछ यूँ हैं कि मेडीशटर में आज सुबह-सुबह एक यूजर ने दवा की पर्ची डाली। जब डिलीवरी बाय दवा लेकर गया तो यूजर ने बताया कि पति-पत्नी दोनों दिव्यांग हैं और उन्हें दवा लेने जाने में बड़ी परेशानी होती है। किसी ने मेडीशटर एप के बारे में बताया तो इसे इंस्टाल कर लिया। इसमें अपने मेडिकल स्टोर पर क्लिक किया और दवा की मात्रा लिख दी। दो घंटे के भीतर दवा हमको मिल गई। हर्षित ने बताया कि मेडिकल दवाओं की डिलीवरी के क्षेत्र में देश भर में बडेा स्टार्टअप शुरू हुए हैं लेकिन लोकल स्टार्टअप होने की कई खूबियां हैं जैसाकि हमारा यहां 30 मेडिकल स्टोर्स से टाइअप है। पेशेंट मेडिकल स्टोर क्लिक कर और दवा की जानकारी डालकर आर्डर कर सकते हैं। यदि मेडिकल स्टोर में दवा नहीं होती है तो हम उसे अरेंज करते हैं अथवा पेशेंट किसी दूसरे मेडिकल स्टोर में जाकर दवा के आप्शन के लिए क्लिक करता है। यदि दवा भिलाई-दुर्ग में उपलब्ध नहीं हो तो हम रायपुर से अरेंज करते हैं या महानगरों में डिलीवरी से दवा मंगाते हैं। हर्षित ने बताया कि इस माडल में मेडिकल स्टोर्स को भी लाभ है। यदि उनके स्टोर में कुछ दवा नहीं होती है तो भी हम थोड़ी देर में उन तक दवा अरेंज कर देते हैं। इससे दवा विक्रेता को यह लाभ होता है कि ग्राहक का भरोसा उसके लिए मजबूत हो जाता है। हर्षित ने बताया कि अलग-अलग सेगमेंट हैं जिसमें हम डिस्काउंट भी उपलब्ध कराते हैं उदाहरण के लिए तालपुरी के एक नागरिक ने दो-तीन दिन पहले बीपी मानिटर लिया। इसमें उन्हें काफी डिस्काउंट मिला। भिलाई के अरुण ग्रोवर ने बताया कि वे इस एप के यूजर हैं। काफी कम समय में दवा उन्हें मिल जाती है। हर्षित ने बताया कि हमारे एप से सबसे ज्यादा उन युवाओं को लाभ पहुंचा है जिन्हें रोजगार के लिए महानगरों में रहना पड़ता है। उनके अभिभावक यहीं पर हैं। वे एप के माध्यम से हमें आर्डर दे देते हैं और हम सप्लाई कर देते हैं।
उल्लेखनीय है कि लाकडाउन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती यही होती है कि घर पहुंचा कर कोई दवा दे दंे। ऐसे में चूंकि हर्षित खुद फार्मासिस्ट हैं और उनका कहना है कि इस नाते हम सही दवा उपभोक्ता तक पहुंचाने का दावा कर सकते हैं जो इस पेशे के लिए सबसे जरूरी है।

Lokesh Rajak

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