राजनांदगांव छत्तीसगढ़ मनरेगा अधिकारी कर्मचारी संघ के बैनर पर कर्मचारियों एवं रोजगार सहायकों की जारी अनिश्चित हड़ताल ने गांवों के लाखों ग्रामीण मजदूरों का रोजगार छीन लिया है पखवाड़े भर से इन मजदूरों के हाथ खाली हैं व काम नहीं मिलने से यह ग्रामीण मजदूर परेशान हैं और अब यह पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं यह पहला मौका है जब रोजगार की गारंटी शुन्य हो गई है फिर भी सरकार इस दिशा में गंभीरता से ध्यान नहीं दे रही है। उधर मनरेगा की सामग्री का 2 करोड़ भुगतान अटका हुआ है भुगतान नहीं होने से सरपंचों के साथ ही ठेकेदारों की परेशानी बढ़ गई है।
प्रदेश के साथ में जिलों की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी मनरेगा पर हड़ताल का साया पड़ गया है इस योजना के तहत जिले में लगभग ढाई लाख जॉब कार्ड हैं और 5 लाख ग्रामीण मजदूरों को काम मिलता है। लेकिन विडंबना यह है कि मजदूर पखवाड़े भर से खाली बैठे हैं मनरेगा कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है।
नियमित करने सहित अन्य मांगों को लेकर यह कर्मचारी सड़क की लड़ाई लड़ रहे हैं मार्च से अप्रैल एवं मई में मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा काम होते हैं लेकिन मुख्य सीजन में ही यह मजदूर खाली बैठे हैं कई मजदूर हड़ताल खत्म होने का इंतजार में है तो कई मजदूर पलायन कर रहे हैं बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशन में मजदूरों का रेला दिख जाएगा ।
मनरेगा में साल भर में 150 दिन कार्य देने की गारंटी है लेकिन आंदोलन लंबा चलेगा तो मजदूरों को पूरा कार्य दिवस तक काम नहीं मिल पाएगा। अभी डेढ़ माह है काम का समय है इसके बाद मानसून की उल्टी गिनती शुरू हो जाती है।
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