राजनांदगांव : कारगिल’ के जरुरमंदों को आत्मनिर्भर बना आर्थिक रूप से कर रहे मजबूत , नौ सेना के सेवानिवृत्त कैप्टन ने संभाली बागडोर….


राजनांदगांव। कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है। बस इरादों में दम होनी चाहिए। कारगिल में बसे लोगों को आत्मनिर्भर बनाने आैर आर्थिक रूप से मजबूत करने नौ सेना के सेवानिवृत्त कैप्टन एसी पोखरियाल ने बागडोर संभाल ली है। कारगिल में बसे जरुरतमंद परिवारों की पहचान कर उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम और मजबूत बना रहे हैं। वे अब तक आधा दर्जन से अधिक लोगों को सिलाई मशीन दे चुके हैं।

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यहीं नहीं दो पूर्व सैनिक के लिए किराना की दुकान भी खोल चुके हैं। ताकि वह अपने परिवार के साथ कारगिल में रहकर गुजर बसर कर सके। नौ सेना में 34 साल नौकरी करने के बाद एसी पोखरियाल 18 सितंबर 2018 को कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्त के चार महीने बाद उन्हें राजनांदगांव जिला सैनिक वेलफेयर आफिसर बना दिया गया। जिला सैनिक वेलफेयर आफिसर बनने के दो वर्ष बाद उन्होंने कारगिल में रह रहे पूर्व सैनिक व अन्य जरुरत मंदों की सहायता करने की ठानी। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले कारगिल में तैनात जवानों से संपर्क साधा। जवानों से संपर्क करने के बाद उनसें जरुरतमंदों की जानकारी जुटाई।

कारगिल में तैनात जवानों ने कैप्टन पाेखरियाल को फोन के माध्यम से जरुरतमंद लोगाें की जानकारी दी। यहीं नहीं कारगिल के जवानों ने बारी-बारी से जरुरतमंदों को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए कैप्टन पोखरियाल से बात भी कराई। इस दौरान जरुरतमंदों ने सिलाई मशीन, हैंड पंप, सोलर प्लेट, सोलर हीटकर की जरुरत बताई। फिर क्या कैप्टन पोखरियाल ने अपने पैसों से सभी सामान खरीदकर अलग-अलग संसाधनों से जरुरतमंदों तक पहुंचा दिए।


किराना दुकान खोलने की जताई इच्छा
एक सैनिक लद्दाख स्काउट रिजेट सेंटर में नौ साल सेना की नौकरी करने के बाद परिवारिक कारणों से नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने के बाद उन्हें पेंशन भी मिलना बंद हो गया। जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लगी। पूर्व सैनिक ने भेड़ चलाना शुरू कर दिया। इसकी जानकारी लगते ही कैप्टन का दिल पिघल गया। उन्हाेंने पूर्व सैनिक की सहायता करने की सोंची। इसके लिए उन्होंने कारगिल में तैनात जवानों से संपर्क कर उनके बारे में विस्तृत जानकारी ली और उनकी सहायता करने का निर्णय लिया। पूर्व सैनिक ने कैप्टन एसी पोखरियाल से किराना दुकान खोलने की इच्छा जताई।

कुछ दिनों बाद कैप्टन ने किराना दुकान में लगने वाले सभी सामान खुद के पैसों से खरीदकर कारगिल भेजवा दिया। किराना के पूरे सामान मिलने के बाद पूर्व सैनिक ने उनका आभार व्यक्त भी किया। इसी तरह पूर्व सैनिक जिसके दोनों पैर ठंड के चलते गल गए थे, उनकी भी आर्थिक रूप से सहायता की। वे कारगिल में रहने वाले गड़रियों की भी सहायता कर चुके हैं।


गड़रिया ही सेना का मुख्य सूचना तंत्र
कैप्टन एसी पाेखरियाल का मुख्य मकसद कारगिल में बसे लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर उनके पलायन को रोकना है। कैप्टन पोखरियाल मूलत: उत्तराखंड के रहने वाले हैं। वे अपने 34 साल की नौकरी में दिल्ली, विशाखापट्टनम, हरिद्वार, मुंबई में अपनी सेवा दे चुके हैं। वे बताते हैं कि कारगिल में होने वाले हर एक गतिविधियों पर गड़रियों की नजर रहती है। गड़रिया ही सेना का पहला मजबूत तंत्र होते हैं। वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान सैनिकों की घुसपैठ की जानकारी गड़रियों ने ही भारतीय सेना को दी थी। जिसके बाद भारतीय सेना मोर्चा संभालते हुए पाकिस्तान के इरादों को स्तनाबूद कर दिया था। कारगिल युद्ध मेंे भारतीय सेना की जीत हुई थी। जिसमें सूचना तंत्र के रूप में गड़रियों की भी अहम भूमिका थी।


सहायता के लिए आना होगा आगे
कारगिल केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में स्थित है, जो 2676 मीटर की उंचाई में है। सर्दियों के मौसम में तापमान बेहद असुविधानजक हो जाता है। पारा गिरकर न्यूनतम माइनस 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। सर्दियों में भारी हिमपात होता है। जिसके चलते वह बसे लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दिक्कतों को देखते हुए कई लोग पलायन भी कर चुके हैं।

जिसमें कुछ गड़रिया हैं। कैप्टन एसी पोखरियाल का कहना है कि कारगिल में बसे लोगाें को पलायन से रोकना होगा। इसे रोकने के लिए लोगों को आगे आना होगा। ताकि कारगिल में रहने वाले जरुरतमंदों को जरुरत की सामानें उपलब्ध कराया जा सकें। कारगिल में रहने वाले गड़रिया ही सेना की मुख्य सूचना तंत्र होते हैं। यदि सूचना तंत्र ही गायब हो जाएंगे तो भारतीय सेना को काफी नुकसान होगा। इसके लिए लोगों को आगे आकर कारगिल में बसे लोगों की सहायता करनी होगी।


कारगिल से लोगाें के पलायन को रोकना बहुत जरुरी है। गड़रिया भी धीरे-धीरे पलायन कर रहे हैं। उन्हें रोकना होगा। गड़रिया ही सेना की मुख्य सूचना तंत्र होते हैं। क्योंकि गड़रिया भेड़ चलाते वक्त सीमा में हाेेने वाले हर गतिविधियों पर नजर रखते हैं। कारगिल में ऐसे कई जरुरतमंद व पूर्व सैनिक हैं, जिन्हें सहायता की जरुरत है। जरुरतमंदों की सहायता कर हमें उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत कर सकते हैं। इसके लिए लोगों को आगे आना होगा। कारगिल में बसे जरुरतमंद लोगों को जरुरत की सामानें उपलब्ध कराने की आवश्यता हैं। ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
कैप्टन एसी पोखरियाल, जिला सैनिक वेलफेयर आफिसर राजनांदगांव

Bhumika Dewangan

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