राजनांदगांव: कुपोषण एवं एनीमिया के स्तर में कमी लाने के लिए शिशु और बच्चों के लिए बाल आहार सप्ताह का आयोजन…

राजनांदगांव- कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती रेणु प्रकाश ने बताया कि जिले में कुपोषण एवं एनीमिया के स्तर में कमी लाने के उद्देश्य से 24 से 31 अगस्त 2020 तक शिशु और बच्चों के लिए बाल आहार सप्ताह (आईवायसीएफ) का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें 2 या 2 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, लाभार्थियों और समुदाय में व्यवहार परिवर्तन के लिए प्रेरित करने और जुटाने के उद्देश्य से विशिष्ट पहल किया जाना शामिल है। सप्ताह के तहत महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्तनपान और अन्य माध्यमों के द्वारा बाल पोषण में सुधार के लिए समुदायों के बीच व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है।

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जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती रेणु प्रकाश ने कहा किए कि इस दिशा में पोषण के तहत एक बच्चे के पहले 1000 दिन सबसे महत्वपूर्ण हैं, जिसमें गर्भावस्था के नौ महीने, छह महीने का विशेष स्तनपान और 6 महीने से 2 साल तक की अवधि शामिल है। इस अवधि के दौरान समय पर हस्तक्षेप भी शिशु मृत्यु दर (आईएमआर)और मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में कमी आती है और जन्म के समय बच्चे के वजन में कमी के सुधार में योगदान महत्वपूर्ण होता है। बच्चे के 1000 दिनों और उनकी निवारक देखभाल जिसमे गृह भेंट और ग्रामीण स्वास्थ्य, पोषण एव स्वच्छता दिवस के मौके पर स्वास्थ्य विभाग तथा एसएचजी के अमले के साथ अभिसरण होगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 0 से 24 महीने की उम्र के बच्चों के घरों का दौरा करेंगी और स्तनपान, शिशुओं में खतरे के संकेत पर माताओं को संवेदनशील बनाएंगे, कमजोर नवजात की देखभाल, बीमार बच्चों और स्वस्थ्य बच्चे को आहार विविधता, आवृत्ति तथा मात्रा के संबंध में पूरक आहार पर विशेष ध्यान दिया जाना है।


डीपीओ श्रीमती रेणु प्रकाश ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षकों और परियोजना अधिकारी द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत सुखा राशन वितरण, गृह भेट, कोरोना सर्विलांस, लॉकडाउन के दौरान हितग्राहियों को दी जा रही शासकीय सेवाओं का जायजा और मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत कुपोषण का मुकाबला करने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एलएस, सीडीपीओ, पूरी आईसीडीएस टीम ने बाल-पोषण पर निरंतर काफी प्र्रयास किया जा रहा हैं, जो एक प्रभावी हस्तक्षेप है। जिससे हम एक वास्तविक और पर्याप्त बदलाव लाना चाहते हैं।


डिस्ट्रिक्ट लीड, स्वस्थ भारत प्रेरक श्री सौरव अमान ने बताया की आमतौर पर निर्णय लेने में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में पुरुषों की विशेष भागीदारी रहती है, तो इस तरह उन्हें भी मातृ एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य पर ठीक तरीके से जागरूक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ लड़ाई केवल महिलाओं की लड़ाई नहीं होनी चाहिए, इसमें पुरुषों को भी आगे आना चाहिए और एक जीवंत और स्वस्थ समाज तथा राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं का समर्थन करना चाहिए। श्री सौरव अमन ने कहा कि पोषण एवं स्वास्थ्य में निवेश देश के समग्र विकास की स्थिति को बढ़ाने के लिए सबसे प्रभावी एवं महत्वपूर्ण है, खासकर कोविड-19 के समय में। उन्होंने कहा कि कई मोर्चों पर कई हस्तक्षेप के बावजूद, भारत अपनी पोषण संबंधी चुनौतियों से उबर नहीं पाया है। उन्होंने कहा कि कुपोषण की बहुआयामी प्रकृति को स्वीकार करना आवश्यक है। हमारे स्वास्थ्य और पोषण संबंधी विकल्प और प्रथाएं हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक, रीति-रिवाजों, प्रथाओं और व्यवहारों में मजबूती से अंतर्निहित हैं।