राजनांदगांव: गांधी के मूल्यों को याद कर बौद्ध समाज के युवाओं द्वारा मनाई गई गांधी जयंती…


-युवा साथी हितेंद्र रंगारी(भूतपूर्व अध्यक्ष, प्रज्ञा बुद्ध विहार, तुलसीपुर) के द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर बहुजन समाज एवं समाज के युवाओं को नशा मुक्ति तथा नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करने का लिया गया संकल्प।

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-गांधी जी और बाबा साहेब आंबेडकर जी के संबंधों पर की गई चर्चा।

राजनांदगांव।2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर बौद्ध समाज के युवाओं द्वारा गांधी जी के मूल्यों को याद कर गांधी जयंती मनाई गई।जिसमे कलेक्टोरेट राजनांदगांव में स्थित गांधी जी एवं बाबा साहेब आंबेडकर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सामूहिक बुद्ध वंदना की गई।

बौद्ध समाज के युवा साथी हितेंद्र रंगारी(भूतपूर्व अध्यक्ष, प्रज्ञा बुद्ध विहार, तुलसीपुर) के द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर बहुजन समाज एवं समाज के युवाओं को नशा मुक्ति तथा नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया गया।जिसमे राज्य में पूर्ण शराब बंदी के साथ शहर के युवाओं को गांजा,भांग जैसे मादक पदार्थों से दूर रहने एवं इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए अपने विचार प्रकट किया गया।साथ ही शहर के ऐसे क्षेत्रों पर भी चिंता प्रकट की गई जहां युवाओं के साथ नाबालिग बच्चे भी गांजा, शराब का सेवन कर अपने शारीरिक और मानसिक विकास एवं स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है।

देश और समाज को नशे से दूर रखने एवं नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता के लिए सभी को साथ आने की अपील की गई।
गांधी जी के मूल्यों को याद कर सभी साथियों द्वारा कहा गया कि देश एवं समाज में असहमति के साथ बढ़ रही नियंत्रणवादी प्रवृत्ति अंग्रेजी शासनकाल की याद दिलाती है,जहां अंग्रेजो द्वारा गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन को असहमति के साथ खत्म कर अपनी नियंत्रणवादी निति को थोपने के प्रयास किया गया।जिसमे गांधी जी की अहिंसा ने अंग्रेजो को इसमें असफल कर दिया।ठीक इसी तरह आज भी गांधी जी के मूल्यों से ही लोकतंत्र को मजबूत बनाये रखा जा सकता है।

गांधी जी और बाबा साहेब आंबेडकर जी के संबंधों पर बाबा साहेब आंबेडकर जी के प्रमुख सहायक नानक चंद रत्तू जी की पुस्तकों का उल्लेख कर चर्चा की गई।जिसमे नानक चंद रत्तू जी द्वारा कहा गया है कि गांधी जी और बाबा साहेब आंबेडकर के बीच बहुत ही गंभीर वैचारिक मतभेद हुआ करते थे,लेकिन फिर भी बाबा साहेब आंबेडकर जी भारतीय लोकतंत्र के लिऐ गांधी जी को महत्वपूर्ण मानते थे।
इस तरह बौद्ध समाज के युवाओं द्वारा बाबा साहेब आंबेडकर जी और गांधी जी के विचारो एवं इनके बीच वैचारिक मतभेद को स्वस्थ लोकतंत्र एवं देश की प्रगति के लिऐ आवश्यक तत्व मानते हुए दोनो महापुरुषों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की गई।

इस संक्षिप्त कार्यक्रम को मुख्य रूप से बौद्ध समाज के हितेंद्र रंगारी, तुषार पाटिल, दीपेश शेंडे, पियुष उके और कलेक्टोरेट में उपस्थित सभी नागरिकों की सहभागिता के साथ किया गया।

RAHUL RAMTEKE

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