छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने तलाक को लेकर अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पत्नी अगर पुरुषों की तरह पान मसाला, गुटखा और शराब के साथ मांस खाकर पति को तंग करती है, तो यह क्रूरता है.
राजनांदगांव – छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया है जो अपने आप में चर्चा का विषय बना हुआ है यह एक परेशान पति ने अपनी पत्नी से निजात पाने के लिए कोर्ट को बताया कि किस तरह से वह शराब पीने की आदि है और गुटका खाकर कमरे में यहां वहां थूक दिया करती है,
मना करने पर उसने तीन बार खुद की जान लेने की कोशिश की। और परिवार वालों को फंसाने का भी प्रयास किया। इस पूरे मामले को लेकर हाई कोर्ट की टिप्पणी विशेष चर्चा में रही जिसमें कहा गया कि इस तरह का व्यवहार जो शराबी पत्नी के द्वारा किया जा रहा है गंभीर तरह की गैरजिम्मेदारी और क्रूरता है।
N1. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने तलाक को लेकर अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पत्नी अगर पुरुषों की तरह पान मसाला, गुटखा और शराब के साथ मांस खाकर पति को तंग करती है, तो यह क्रूरता है. बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डबल बेंच ने इन आधारों पर पति को तलाक मांगने का अधिकारी बताया है.
समझाने पर भी नही मानी पत्नी, और ससुराल वालों से दुर्व्यवहार शुरू कर दिया।
उच्च न्यायालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दरअसल, कोरबा जिले के बांकीमोंगरा के युवक की कटघोरा की एक युवती से हुई थी. शादी के महज सात दिन बाद 26 मई 2015 की सुबह उसकी पत्नी बिस्तर में बेहोश पड़ी थी. पति उसे इलाज कराने के लिए लेकर गया, तो पता चला कि वह शराब पीने के साथ ही नॉनवेज और गुटखा खाने की आदी है. इसे लेकर परिजनों ने उसे समझाया. इसके बाद भी वह नहीं मानी और पत्नी ने ससुरालवालों से दुर्व्यवहार भी शुरू कर दिया.
परेशान होकर पत्नी ने तीन से अधिक बार आत्महत्या करने की कोशिश की…
पत्नी गुटखा खाकर बेडरूम में इधर-उधर थूक देती थी और मना करने पर झगड़ा करने लगती। उसने 30 दिसंबर 2015 को अपने ऊपर आग लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। ससुरालवालों ने आग बुझाकर उसकी जान बचाई। इसके बाद दो बार छत से कूदकर और दो बार कीटनाशक पीकर आत्महत्या करने की कोशिश करते हुए ससुराल वालों पर ही आरोप लगा दिए। हाईकोर्ट ने इसे गंभीर प्रकृति की गैर जिम्मेदारी और क्रूरता माना।
कोरबा फैमली कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी।
जानकारी के अनुसार, कोरबा के फैमिली कोर्ट ने तलाक के लिए दायर पति की याचिका खारिज कर दी थी। उसने हाईकोर्ट की शरण ली। जस्टिस गौतम भादुड़ी, जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने प्रकरण की सुनवाई के बाद पति की रिट अपील स्वीकार करते आदेश दिया कि फैमिली कोर्ट को सुनवाई में तथ्यों का ध्यान रखना था।
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