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राजनांदगांव : नेशनल लोक अदालत में 1 लाख 6 हजार 657 प्रकरण से अधिक मामले निपटाए गए…

*नेशनल लोक अदालत संपन्न*

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राजनांदगांव 08 मार्च 2025। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के तत्वाधान, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन एवं प्रधान जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव श्रीमती सुषमा सावंत के निर्देशन में नेशनल लोक अदालत का वर्चुअल और भौतिक उपस्थिति मोड में आयोजन किया गया। 

नेशनल लोक अदालत में सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों में लोक अदालत आयोजित की गयी। राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी एवं खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिले के न्यायालय में लंबित, राजस्व न्यायालय एवं प्री-लिटिगेशन के 1 लाख 10 हजार 369 प्रकरणों को निराकरण के लिए चिन्हित किया गया। जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती सुषमा सावंत के नेतृत्व में लोक अदालत के आयोजन की सभी तैयारी पूर्ण कर ली गयी थी। 

नेशनल लोक अदालत आयोजित करने के लिए कुल 49 खंडपीठों का गठन किया गया था। लोक अदालत में 1 लाख 6 हजार 657 मामलों का सफलतापूर्वक निपटान किया गया। निपटान किए गए मामलों में कुल 1 लाख 973 मामले प्री-लिटिगेशन चरण के थे और 5 हजार 684 मामले ऐसे थे, जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित थे।

निपटान राशि लगभग 191 करोड़ 64 लाख 63 हजार 658 रूपए 87 पैसे थी। नेशनल लोक अदालत में आपराधिक राजीनामा योग्य मामले, मोटर वाहन दुर्घटना दावा से संबंधित मामले, धारा 138 एनआई एक्ट से संबंधित मामले अर्थात् चेक से संबंधित मामले, वैवाहिक विवाद के मामले, श्रम विवाद के मामले, बैंक ऋण वसूली वाद, रूपया वसूली वाद, विद्युत बिल एवं टेलीफोन बिल के मामले, भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले, राजस्व न्यायालय के मामले एवं अन्य राजीनामा योग्य वाद आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई। 

नेशनल लोक अदालत में न्यायालयों में निराकृत हुए प्रकरणों की सफल कहानियां

माता-पिता के भरण-पोषण का मामला नेशनल लोक अदालत में समझौता के आधार पर हुआ निराकृत 

नेशनल लोक अदालत के आयोजन अंतर्गत न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय राजनांदगांव विनीता वार्नर के न्यायालय में प्रस्तुत प्रकरण अनुसार पक्षकार थनवारिन बाई सोनकर व अन्य विरूद्ध धनेश सोनकर व अन्य, आवेदकगण जन्म से दिव्यांग है व भिक्षा मांगकर अपना जीवन-यापन करते हैं। अनावेदकगण राजीखुशी डोंगरगांव में मकान बनाकर अपनी-अपनी पत्नी के साथ निवासरत हैं तथा केटरिंग का कार्य करते हैं। 15-20 वर्षों से आवेदकगण का ध्यान नहीं रखते हैं, न सुख-दुख में पूछ-परख करते हैं। उभयपक्ष के उपरोक्त व अन्य तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए राजीनामा की कार्यवाही की गई।

जिस पर अनावेदकगण ने कहा कि वे अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। माता-पिता के पालन-पोषण की राशि प्रतिमाह नहीं दे सकते। तब समझौता के प्रयास में सुझाव दिया गया कि आवेदकगण 3 पुत्र हैं, जो 3-3 माह माता-पिता को साथ में रखकर उनका पालन-पोषण करें। साथ तीनों पुत्रों के घर में तीन-तीन माह रहने की सहमति दी गई। उभयपक्ष के मध्य राजीनामा की कार्यवाही की गई, जो सफल रही। प्रकरण नेशनल लोक अदालत में समाप्त किया गया।

नेशनल लोक अदालत में पति-पत्नी के मामले का हुआ निराकरण

न्यायालय कुटुम्ब न्यायालय राजनांदगांव में लंबित व्यवहार वाद, पक्षकार ज्ञानदास कोसरे विरूद्ध श्रीमती लक्ष्मी कोसरे, धारा-09 हिंदू विवाह अधिनियम के प्रकरण को नेशनल लोक अदालत में निराकृत हेतु रखे जाने पर प्रकरण के दोनों पक्ष न्यायालय में उपस्थित हुए। वादी एवं प्रतिवादी का विवाह हिन्दू धर्म एवं सामाजिक रीति रिवाज अनुसार 29 सितम्बर 2016 को संपन्न हुआ।

उभयपक्ष के दाम्पत्य जीवन से दो पुत्र संतान उत्पन्न हुई। प्रतिवादी द्वारा वादी और उसके परिवार वालों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं करती थी और वादी के माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती हूं, कहकर विवाद करती थी और आए दिन अपने माता और भाई को बुलाकर मायके चली जाती थी तथा 11 जुलाई 2024 से बच्चों को साथ में लेकर मायके रह रही है। न्यायालय में उपस्थित होने पर दोनों पक्षों को न्यायालय द्वारा समझाईश दिए जाने पर दोनों पति-पत्नी आपस में पुन: दाम्पत्य जीवन निर्वाह करने हेतु साथ-साथ रहने हेतु सहमत हुए। उभयपक्ष राजीखुशी अपने घर सुख-पूर्वक जीवन व्यतीत करने हेतु चले गये। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पति-पत्नी के मामले का विगत एक वर्ष दो माह से न्यायालय में लंबित था, जिसका निराकरण किया गया। 

घरेलू हिंसा से पीडि़त पति-पत्नी का मामला नेशनल लोक अदालत में सुलझा 

आवेदिका एवं अनावेदक क्रमांक 1 का विवाह हिंदू रीति-रिवाज से 16 फरवरी 2022 को संपन्न हुई थी। दोनों के दाम्पत्य जीवन से एक पुत्र का जन्म हुआ था, जिसकी मृत्यु जन्म के 10 दिवस में ही हो गई थी, उसी घटना से व्यथित होकर अनावेदक, आवेदिका के साथ बेवजह गाली-गलौच एवं मारपीट करता था। आवेदिका द्वारा न्यायालय द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 राजनांदगांव के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, गोपनीयता की दृष्टि से नाम एवं फोटो उजागर नहीं की जा रही है।

उभयपक्ष ने न्यायालय के बाहर राजीनामा कर चुके हैं तथा वह न्यायालय में राजीनामा करना चाहते हैं। उन्होंने न्यायालय से निवेदन किया कि वे प्रस्तुत आवेदन को स्वीकार कर प्रकरण समाप्त करने का आदेश पारित किया जाए। नेशनल लोक अदालत में पति-पत्नि उपस्थित हुए, जिन्हें समझाईश देने के बाद उनके द्वारा अब विवाद न कर सुखमय दापत्य जीवन व्यतीत करने व्यक्त करते हुए, प्रार्थिया व पत्नि दर्ज प्रकरण को राजीनामा के माध्यम से वापस लिया गया। इस प्रकार पति पत्नि के मध्य विवाद का पटाक्षेप नेशनल लोक अदालत के माध्यम से हुआ और दोनों खुशी-खुशी अपने घर को एक साथ प्रस्थान किये।

Lokesh Rajak

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