नीति आयोग में भी किया गौरवान्वित करने
वाला काम…
राजनांदगांव , 4 अगस्त । राजनांदगांव , संस्कारधानी नगरी के नाम को दिल्ली से लेकर नेपाल और इंग्लैंड तक में पहुंचाने वाली शहर की बेटी नेहा अवस्थी ने उपलब्धियों की लंबी सूची तैयार कर दिखाई है । अपनी बोर्ड परीक्षा सफलता के बाद आर्किटेक्ट में इंजीनियरिंग कर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा । रामगढ़ के खंडहरों पर शोध कार्य कर उन्होंने अपने अध्ययन को सार्थक कर दिखाया । नीति आयोग में सेवाएं देते हुए उन्होंने अनेक प्रोजेक्ट में सकारात्मक भूमिका निभाई । चिवनिग स्कॉलरशिप प्राप्त कर उन्होंने देश में राजनांदगांव का परचम लहराया ।
नगर के प्रतिष्ठित अवस्थी परिवार की बेटी नेहा अवस्थी स्व.सुरेंद्रनाथ – शोभा अवस्थी की सुपौत्री एवं संजीव -ममता अवस्थी की पुत्री हैं । नेहा अवस्थी ने अपना अध्ययन पूरा करने के बाद सन 2021 में नीति आयोग में सेवाएं देना शुरू किया । हमसे चर्चा के दौरान नेहा ने बताया कि नीति आयोग में रहते हुए नेपाल में हिमालय की तबाही को बचाने के लिए 8 देशों के प्रतिनिधियों के साथ काम किया ।.यह अत्यंत गौरव का विषय है कि उस दल में नेहा भी थी , जिसने भारतवर्ष का प्रतिनिधित्व किया ।
नीति आयोग में रहते हुए ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स में मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग अर्बन अफेयर्स के अंतर्गत दिल्ली के मास्टर प्लान के लिए पांच वर्षों तक काम किया । मास्टर प्लान का उक्त कार्य अभी प्रगति पर है जो 2041 तक चलेगा
। इसी तरह उत्तर प्रदेश के 100 पिछड़े शहरों की नई बसाहट एवं साज – सज्जा के लिए ” एक्सपेरिमेंटल सिटीज प्रोग्राम ” की 100 करोड़ के बजट वाली स्कीम में भी भूमिका निभाई ।
अभी जुलाई के अंतिम सप्ताह में उन्होंने अपने एक बड़े लक्ष्य को साधने के बाद घर लौटने पर हमसे मुलाकात की ।
उन्होंने यू के सरकार की ” चिवनीग स्कॉलरशिप ” को हासिल कर इंग्लैंड में एक वर्ष तक ” पब्लिक पॉलिसी ” में मास्टर डिग्री प्राप्त की । सभी विषयों में एक्सीलेंट प्रदर्शन के साथ नेहा ने अपनी स्कूल की पढ़ाई को सार्थक कर दिखाया । नेहा ने चर्चा के दौरान बताया कि यू के सरकार की इस स्कॉलरशिप को पाने के लिए 192 देश के लोग आवेदन करते आ रहे हैं । भारतवर्ष से 44 लोग इंग्लैंड गए थे , जिसमें अर्बन प्लानिंग क्षेत्र से नेहा अकेली थी । यू के सरकार पिछले 40 वर्षों से स्कॉलरशिप देती आ रही है । इसमें पढ़ाई से लेकर खाने – पीने , रहने के साथ आने – जाने का मिलाकर 90 लाख से 1 करोड़ तक की स्कॉलरशिप दी जाती है । इंग्लैंड में अध्ययन पूरा करने के उपरांत डिग्री सेरेमनी में ” वोट ऑफ थैंक्स ” के लिए उन्हें मिले अवसर को वे अपने जीवन का स्वर्णिम पल मानती हैं । पूरे विश्व से चुने हुए लोग ही इसके पात्र हो पाते हैं ।
नेहा का कहना है कि उनकी उपलब्धि में माता – पिता का विशेष योगदान रहा है । उन्हें हमेशा परिजनों से ” मोटिवेशन ” मिलता रहा है । विवाह के बाद उनके पति एवं ससुराल पक्ष का योगदान भी सराहनीय रहा है ।
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