राजनांदगांव – दो सूत्रीय मांगों को लेकर विगत 52 दिनों से हड़ताल पर बैठे मनरेगा कर्मचारी, जिला पंचायत व जनपद पंचायतों द्वारा नोटिस जारी होने के पश्चात भी काम पर नहीं लौटें। जिला पंचायत सीईओ ने रोजगार सहायकों को अल्टीमेटम के साथ नोटिस जारी किया था जिसमें कहा गया था कि कर्तव्य में अनुपस्थित रहने की वजह से मनरेगा के कार्यों का क्रियान्वयन प्रभावित हो रहा है।
मनरेगा के प्रावधानों के अनुसार मनरेगा में पंजीकृत परिवारों के वयस्क सदस्यों द्वारा रोजगार की मांग किए जाने पर 15 दिवस के भीतर काम उपलब्ध कराए जाना अनिवार्य है किसी भी पंजीकृत श्रमिक द्वारा काम मांगने की स्थिति में निर्धारित समय सीमा में उन्हें काम उपलब्ध ना कराया जाना अधिनियम का उल्लंघन भी है।
जिला प्रशासन का करते है सम्मान
मनरेगा कर्मियों ने कहा कि हम जिला प्रशासन का सम्मान करते हैं । उनके द्वारा सौपे गए सारे दायित्वों का निर्वहन जिम्मेदारी पूर्वक हमारे द्वारा किया जाता है किंतु 100 दिवस के रोजगार की गारंटी देने वाले हम रोजगार गारंटी के कर्मचारियों के जॉब की गारंटी ना होना दुर्भाग्यपूर्ण है। मांग पूरी होने तक हम हड़ताल में निरंतर अहिंसा पूर्वक डटे रहेंगे।
नहीं पड़ेगा राज्य सरकार पर कोई आर्थिक भार
मनरेगा कर्मियों ने बताया कि शिक्षकों एवं सचिवों की तर्ज पर पंचायत नियमावली लागू करने पर राज्य सरकार पर किसी भी प्रकार का आर्थिक भार नहीं बढ़ेगा। केंद्र सरकार से प्रति वित्तीय वर्ष प्राप्त राशि के पूर्ण उपयोग से भी नियमितीकरण की मांग पूरी की जा सकती है।
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