स्वस्थ जीवन शैली एवं पौष्टिक भोजन अपनाकर हेपेटाइटिस की बीमारी से दूर रहें – डॉ. प्रज्ञा सक्सेना
आयुर्वेद में लीवर के उपचार के लिए दवाईयों की दी जानकरी
राजनांदगांव विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. रमाकान्त शर्मा के निर्देश पर प्रभारी आयुष पॉलीक्लीनिक राजनांदगांव डॉ. प्रज्ञा सक्सेना द्वारा हेपेटाइटिस दिवस पर जागरूकता अभियान के अन्तर्गत लोगों को पोस्टर, पाम्पलेट, सेल्फी, व्याख्यान आदि के माध्यम से इस बीमारी के बारे में जागरूक किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. प्रज्ञा सक्सेना ने कहा कि हेपेटाइटिस लीवर की एक गंभीर बीमारी है। हेपेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लीवर में सूजन आ जाती है। जिससे लीवर का कार्य प्रभावित होता है। लीवर हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। ये भोजन के पाचन के साथ-साथ खून के टॉक्सिन्स को साफ करने में भूमिका निभाता है। हेपेटाइटिस कई वजहों से हो सकता है, जैसे वायरस संक्रमण, अत्यधिक शराब सेवन, नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर, ऑटोइम्यून बीमारी, दवाओं के अनुचित सेवन से होता है।
वायरस के पांच स्ट्रेन के आधार पर हेपेटाइटिस पांच ए, बी, सी, डी व ई प्रकार का होता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन शैली के साथ ही लीवर को स्वस्थ रखने के लिये सुपाच्य व पौष्टिक भोजन लें। भोजन में अंगूर, केला, ओट्स, सेव, खजूर, कॉफी, ग्रीन टी को शामिल करें। मसालेदार तली-भुनी चीजों का प्रयोग न करें। नशीले पदार्थो व अत्यधिक शराब का सेवन न करें। आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा व एकल औषधियां कालमेघ, नागरमोथा, दारूहरिद्रा, कटुकी, भुईआंवला, पुनर्नवा लीवर को स्वस्थ रखने में सहायक हैं।
प्रभारी आयुष पॉलीक्लीनिक राजनांदगांव डॉ. प्रज्ञा सक्सेना ने हेपेटाइटिस ए व ई के लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि 15 दिन से 2 महीने में प्रकट होते हैं। पेट में दर्द, कमजोरी जी मिचलाना, भूख न लगना, हल्का बुखार, पीलिया, पेशाब का पीला होना, त्वचा व आंखों के सफेद भाग का पीला हो जाना, त्वचा में खुजली होती है। यह संक्रमित (दूषित) पानी पीने व दूषित खाने से होता है। साफ-सफाई के अभाव, गंदे हाथों से खाने से ये फैलता है। मानसून के समय इसका संक्रमण तेजी से फैलता है। बचाव के लिए अपने आस-पास की सफाई रखकर, स्वच्छ भोजन व पीने के पानी का प्रयोग, खाने से पूर्व हाथों को धोकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बचाव के लिए रक्तदान से पूर्व हेपेटाइटिस बी व सी की जांच अवश्य करायें। गर्भवती माताएं हेपेटाइटिस बी की जांच अवश्य करायें। नवजात शिशुओं की तीनों चरण में हेपेटाइटिस बी का टीका अवश्य लगायें। संक्रमित व्यक्ति के घाव को खुला न छोड़े। संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल चीजें रेजर, कैंची, टॉवेल, कपड़े अलग रखें एवं परिवार के अन्य सदस्य हेपेटाइटिस बी का टीका अवश्य लगायें। लक्षण उपस्थित होने पर समय पर जांच व उपचार करायें।
हेपेटाइटिस सी का टीका उपलब्ध नहीं है तो बचाव के तरीकों को अपनायें व समय पर उपचार लें। कार्यक्रम में डॉ. स्नेह गुप्ता, डॉ. भारती यादव ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम में श्रीमती हेमलता बड़ा (नर्सिंग सिस्टर), श्रीमती अनुसुईया साहू (फार्मासिस्ट), श्री फुलेश्वर, श्रीमती दामिनी, सुश्री शैल, श्रीमती सुनीता देवांगन, श्रीमती किरण ने अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में कोविड-19 अनुकूल नियमों का पालन किया गया।
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