राजनांदगांव – शास. दिग्विजय स्वशासी उच्चतर महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग, आईक्यूएसी, विज्ञान क्लब एवं पेंचवेली पीजी महाविद्यालय, परासिया, जिला छिंदवाड़ा के कोलाबरेशन में, प्राचार्य डॉ. के.एल. तांडेकर, की प्रेरणा व संरक्षण में तीन दिवसीय राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन “विश्व पर्यावरण दिवस” के अवसर पर किया गया, जिसका शीर्षक “प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत विकास” था।
विश्व पर्यावरण दिवस जैसे दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों का ध्यान उस दिन के प्रभावों की ओर आकर्षित करना होता है। पर्यावरण संकट की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने और इस संकट के बारे में लोगों को याद दिलाने के लिए पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, और इसी तरह इस वेबिनार का उद्देश्य और लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत के विभिन्न राज्यों से विद्वान जन चिंतन और विचार विमर्श करने के लिए जुड़ें।
उद्घाटन भाषण के मुख्य अतिथि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग की माननीय कुलपति डॉ. अरुणा पलटा द्वारा इस ज्वलंत विषय पर इस राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी के माध्यम से जागरूकता के लिए दिग्विजय कॉलेज की पूरी टीम को शुभकामनाएं दीं। इसके बाद श्रीमती उषा ठाकुर विभागाध्याक्ष प्राणिशास्त्र द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। तत्पश्चात माननीय प्राचार्य डॉ. के.एल. टांडेकर ने शुभकामनाएं दीं। मुख्य भाषण में डॉ. पंजाब राव चंदेलकर, प्राचार्य शास. पेंचवेली पीजी महाविद्यालय परासिया, जिला छिंदवाड़ा ने जैव विविधता के बारे में बताया, और जैव विविधता में विलुप्त होने वाले प्राणियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
श्री आलोक तिवारी (आई.पी.एस.) डी.एस.एफ., अरण्य भवन, अटल नगर, नवा रायपुर नें जल के स्रोत, उपयोग, वनों की कटाई और इसके संरक्षण सहित जल संरक्षण विषय पर चर्चा की।
डॉ. एल.पी. नागपुरकर ने टिकाऊ भविष्य के लिए अनुकूलन और प्रवासन पहल के माध्यम से जलवायु परिवर्तन और चिंता पर बहुमूल्य बातचीत की । उन्होंने टिकाऊ भविष्य के लिए जलवायु परिवर्तन पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने भविष्य में स्थिरता को बदलने के लिए 17 लक्ष्यों और सात संचालन सिद्धांतों के बारे में चर्चा की । निश्चित रूप से ग्लोबल वार्मिंग खाद्य स्थिरता और भोजन के उत्पादन को प्रभावित करती है, इस प्रकार जनसंख्या, समाज और मानव विविधता की स्थिरता को प्रभावित करती है, जिसके अभाव में वन्यजीव अपराध बढ़ रहा है।
डॉ संजय ठीसके ने ‘पर्यावरण संरक्षण’ के बारे में अपने विचार साझा किए। वह पर्यावरण को प्रभावित करने वाली विभिन्न समस्याओं सहित ग्लोबल वार्मिंग, जैव विविधता असंतुलन, पशु मानव अनुपात, वनों की कटाई, शहरीकरण के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात की।
डॉ. माजिद अली ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 पेश किया एवं इसकी जरुरत और कार्यान्वयन पर विस्तार पूरक चर्चा की। मंच संचालन मे डॉ. किरण लता दामले, डॉ. संजय ठीसके एवं डॉ माजिद अली का योगदान रहा।
इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी को सफल बनाने में महाविद्यालय की तकनीकी टीम के श्री आशीष मांडले व श्री नादिर इकबाल ने तकनीकी समर्थन दिया।
गोकुल निषाद, रसायन विज्ञान संकाय, श्री चिरंजीव पांडे, प्राणी विज्ञान संकाय, और प्राणीशास्त्र के एम.एस.सी. के छात्र, एन.सी.सी. कैडेट ने इस वेबिनार को सफल बनाने के लिए अपनी सक्रिय भागीदारी एवं सहयोग दिया।
भारत के विभिन्न राज्यों से लगभग 600 से अधिक के प्रतिनिधी, जिसमे जम्मू, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, यूपी, मिजोरम और मेघालय, और छत्तीसगढ़ के आंतरिक क्षेत्र से वेबिनार में पंजीकृत हुए। औसत 75 प्रतिनिधी यूट्यूब चैनल से लाइव जुड़ें।
टीम के सभी सदस्यों – शिक्षकों, छात्रों, आयोजकों ने इसे संभव बनाने के लिए, उनके प्रयास और कड़ी मेहनत कर इस वेबिनार को सार्थक बनाया।
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