छत्तीसगढ़

राजनांदगांव : 15200 पंजीकृत किसान नहीं बेच पाए धान, सरकार की गलत नीति- मधुसूदन यादव…

राजनांदगांव. जिला भाजपाध्यक्ष मधुसूदन यादव ने दावा किया है कि प्रदेश सरकार द्वारा धान खरीदी को लेकर के बड़े-बड़े दावे के बाद भी सिर्फ राजनांदगांव जिले में ही 15200 पंजीकृत किसान धान नहीं बेच पाए। यह राज्य सरकार के किसान विरोधी नीति का परिणाम है।

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जिलाध्यक्ष श्री यादव ने आगे कहा कि सरकार धान खरीदी को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है वहीं जिले पंजीकृत 15200 किसान धान नहीं बेच पाए इसके कौन जिम्मेदार है यें सरकार को तय करना चाहिए। भाजपा ने हमेशा यह मांग उठाई है कि धान खरीदी 1 नवंबर से की जाए लेकिन प्रदेश में स्थापित किसान विरोधी सरकार ने इस मांग को सिर्फ इसलिए अनसुना कर दिया कि यह विपक्ष की मांग है। इसका परिणाम यह हुआ कि पूरे प्रदेश में लाखो किसान तथा जिले में 15200 किसान धान बेचने से वंचित हो गए।


हमे यह समझना चाहिए कि सिर्फ राजनांदगांव जिले में 15200 किसानों ने धान नहीं बेच पाए क्योंकि ये सभी लघु एवं सीमांत किसान है. इन्हे अनेक तरीके से कर्ज लेना पड़ता है ताकि वे खेती कर सके। और उनका कर्ज चुकाने का समय सीमा भी तय होता है। 1 नवंबर से पहले सभी किसानों का धान कट चुका था लेकिन सरकार ने धान खरीदी 1 दिसंबर से शुरू किया जिसके चलते किसानो को अपनी फसल मंडी या कोचियों को कम दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।


सरकार दावा कर रही है कि हम अब तक सबसे ज्यादा धान खरीदे ये सही है लेकिन अभी तक 15200 किसान सोसायटियों में धान नहीं बेच पाए यह भी रिकार्ड है।
यदि सरकार सबसे ज्यादा धान खरीदी का दावा कर वाह-वाही लूट रही है तो अब तक सबसे ज्यादा किसान धान बेचने से वंचित हुए इसके जिम्मेदारी भी ले। राज्य सरकार की नीति किसानों को नुकसान पहुंचाने वाली है जैसे किसानों को धान बेचने से वंचित करना, बरदाना ना देना, बरदाने की कीमत 25 रु देना और बाजार में कांग्रेसी ठेकेदारों द्वारा 40-50 रु में उपलब्ध कराना, एक माह विलंब से धान खरीदी करना ताकि सुखद बढ़े, तौल में दो किलो ज्यादा लेना, गिरदावरी के नाम पर रकबा कम करना। इस तरह राज्य सरकार धान की कीमत 2500 रु देने की बात कह कर किसान के जेब से 600 रु लूट रही है। यह धोखेबाजी है तथा किसानो को छलने की साजिश है।


यदि यह सरकार किसानों के प्रति ईमानदार है तो गिरदावरी के नाम से किए गए रकबा वापस करे, सभी किसानों को बरदाना उपलब्ध कराए, एक किश्त में 2500 का भुगतान करे, 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू करे। किसानों की यही मुख्य मांग है यदि यह सरकार किसान हितैषी है तो इन सभी मांगों को पूर्ण करने की घोषणा करे अन्यथा यह स्वीकार कर ले की किसानों की आड़ में अपनी तारीफ करवाते हुए और किसानों को लूटते हुए विपक्ष को बदनाम करने की साजिश की जा रही है।

Lokesh Rajak

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