प्रदेश में डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत अनुबंधित अस्पतालों में भी कोविड-19 का निःशुल्क इलाज होगा। राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग ने अनुबंधित निजी अस्पतालों में इसके इलाज का पैकेज तय कर अनुमति दी है। अब तक कोविड-19 के मरीजों का सरकारी अस्पतालों में ही उपचार हो रहा था। शासन द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार सुविधायुक्त 50 या 50 से अधिक बिस्तरों वाले निजी अस्पतालों को उपचार की अनुमति दी गई है। इन अस्पतालों में कोरोना वायरस संक्रमितों का ही इलाज किया जाएगा। कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के लिए यहां इलाज की सुविधा नहीं होगी।
प्रदेश में लगातार बढ़ते कोविड-19 के मरीजों और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव के निर्देश पर अनुबंधित निजी अस्पतालों को डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत इलाज की अनुमति दी गई है। इन दोनों योजनाओं के तहत जनरल वार्ड में आइसोलेशन सुविधा के साथ कोविड-19 के उपचार के लिए 2200 रूपए प्रतिदिन, आईसीयू में बिना वेन्टीलेटर के आइसोलेशन सुविधा के साथ 3750 रूपए प्रतिदिन तथा आईसीयू में वेन्टीलेटर और आइसोलेशन सुविधा के साथ 6750 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से शासन द्वारा निजी अस्पतालों को भुगतान किया जाएगा। शासन द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का पालन सभी अस्पतालों के लिए अनिवार्य होगा।
तकनीकी समिति देगी अस्पतालों को अनुमति, करने होंगे संक्रमण रोकने के उपाय
स्वास्थ्य विभाग की तकनीकी समिति द्वारा निजी अस्पताल में मौजूद सुविधाओं के परीक्षण तथा समिति की अनुशंसा के बाद ही कोविड-19 के इलाज की अनुमति दी जाएगी। अस्पतालों को संक्रमण रोकने के सख्त उपाय करने होंगे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संक्रमण की रोकथाम के लिए समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा। अस्पताल में कोविड-19 के मरीजों और अन्य मरीजों के आने-जाने की अलग-अलग व्यवस्था करनी होगी। निजी अस्पतालों को डॉनिंग-डाफिंग क्षेत्र के साथ ही अपने स्टॉफ को क्वारेंटाइन कराने की व्यवस्था स्वयं करनी होगी।
अस्पताल की कुल बिस्तर क्षमता का न्यूनतम 10 फीसदी आईसीयू अनिवार्य
अनुबंधित निजी अस्पतालों में कुल बिस्तर क्षमता का न्यूनतम 10 प्रतिशत आईसीयू होना अनिवार्य है। साथ ही वेन्टीलेटर और ऑक्सीजन की सुविधा भी जरूरी है। अस्पताल में पूरे समय एम.बी.बी.एस. डॉक्टर ड्यूटी पर रहेंगे। साथ ही क्वालिफाइड विशेषज्ञ भी रखने होंगे जिससे कि मरीजों को किसी भी विषम परिस्थिति से उबारा जा सके।
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