रायपुर : ‘गैरों के बीच छोटे भाई की तरह अपनेपन का अहसास कराया’,कोविड अस्पतालों में अपनेपन के साथ मरीजों की देखभाल, परेशान मरीजों का हौसला भी बढ़ा रहे हैं स्टॉफ…

रायपुर. 19 सितम्बर 2020- “आप टेंशन मत लो। आप जैसा सोचोगे वैसा आपके साथ होगा। आराम से फ्री-माइंड होकर इन्जॉय करो। जल्द ही आप घर चले जाओगे। आपका दस दिन कम्प्लिट… और फिर आप घर पर नजर आओगे।” पढ़ने-सुनने में यह किसी मनोचिकित्सक और उसके मरीज के बीच की बातचीत लगती है। पर दरअसल यह एक अस्पताल कर्मचारी और कोरोना संक्रमित मरीज के बीच की बातचीत है। प्रदेश के कोविड अस्पतालों में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अस्पताल प्रशासन द्वारा सौंपे गए दायित्वों को पूर्ण करने के साथ ही वहां इलाज करा रहे मरीजों की हौसला अफजाई और मनोबल बढ़ाने का भी काम कर रहे हैं।

Advertisements

ऊपर जिक्र में आया बातचीत माना कोविड अस्पताल में वार्डब्वॉय का काम करने वाले श्री चंद्रशेखर और वहां इलाज करा रहे कोविड-19 के मरीज के बीच की है। प्रदेश के कोविड अस्पतालों में भर्ती मरीजों को कोरोनामुक्त करने में डॉक्टरों और नर्सों के साथ वहां का पूरा अमला लगा हुआ है। अपने कार्यालयीन दायित्वों के साथ ही वे हर स्तर पर मरीजों की सहायता कर रहे हैं। चाहे उनकी जरूरत का समान उन तक पहुंचाना हो, उनकी सेहत का हाल-चाल जानना हो, वक्त पर उनके खाने-पीने की व्यवस्था को अंजाम देना हो या कोरोना से परेशान होकर हौसला खो रहे मरीजों का मनोबल बढ़ाना हो, वे हर जरूरत पर वहां मौजूद हैं।

कोरोना को मात देकर माना कोविड अस्पताल से आज ही घर लौटीं सुश्री अंकिता शर्मा कहती हैं – “अस्पताल में एक समय मैं सोचती थी कि घर कब पहुंचुंगी ! अकेलेपन के कारण मन में कई तरह के ख्याल आ रहे थे। नींद उड़ चुकी थी। मानसिक दुर्बलता के उस दौर में चंद्रशेखर की बातों ने अपनापन दिया, आत्मबल दिया।” चंद्रशेखर ने अंकिता की मनःस्थिति को भांप कर अपनी बातों से उसे हिम्मत बंधाई, सकारात्मकता दी। तनावमुक्त रहने कहा और जल्दी ही स्वस्थ होकर घर लौटने की उम्मीद भी जगाई। अंकिता चंद्रशेखर को धन्यवाद देते हुए कहती है कि उसने गैरों के बीच छोटे भाई की तरह मुझे अपनेपन का अहसास कराया।

पिछले कुछ महीनों से माना कोविड अस्पताल में काम कर रहे श्री चंद्रशेखर कहते हैं कि यहां मरीजों की मदद कर संतोष महसूस होता है। अस्पताल द्वारा दिए गए काम को पूरा करने के साथ ही वे जब किसी मरीज को निराश, हताश या हौसला खोते हुए देखते हैं, तो वे अपनी बातों से उनका मनोबल बढ़ाते हैं। वे कहते हैं – “पहले मुझे भी यहां डर लगता था। लेकिन अब नहीं लगता है। बीमारी और मानसिक परेशानी से जूझ रहे लोगों की सहायता करना अच्छा लगता है। हमारी बातों से किसी का मनोबल बढ़ता है, चिंता दूर होती है या मरीज के मन में सब कुछ ठीक हो जाने का भरोसा जगता है, तो इससे संतुष्टि मिलती है।

Laxmikant chandel

Recent Posts

मोहला : सम्मान: सीमा सशस्त्र बल के 61वीं वर्षगांठ पर नक्सल ऑपरेशन में अदम्य साहस के लिए मिला वीरता पदक पुरुस्कार…

- गृहमंत्री अमित शाह के हाथों गैलेंट्री अवॉर्ड वीरता पदक से सम्मानित हुए रोहित कुमार…

14 hours ago

राजनांदगांव : “छत्तीसगढ़ हॉकी लीग: युवाओं के खेल कौशल को निखारने की अद्भुत पहल”-संतोष पाण्डेय…

"रुद्राक्षम् वेलफेयर सोसाइटी का प्रयास खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत" - खूबचंद पारख साईं राजनांदगांव और…

14 hours ago

राजनांदगांव : किसानों को कृषि के उन्नत तकनीक के साथ शासन की योजनाओं से कराया गया अवगत…

सुशासन सप्ताह अंतर्गत विकासखंडों में किसान सम्मेलन का आयोजन - विष्णु की पाती पाकर गदगद…

15 hours ago

खैरागढ़: बाल नेत्र सुरक्षा अभियान के तहत 7367 छात्रों का किया नेत्र परीक्षण…

दृष्टि दोष से पीड़ित छात्र-छात्राओं का तत्काल हुआ इलाज पीड़ित छात्रों को दवाई के साथ…

15 hours ago

राजनांदगांव : महतारी शक्ति ऋण योजना के अंतर्गत 25 हजार रूपए तक ऋण भी उपलब्ध कराने का लिया गया निर्णय…

*जनादेश परब* *- मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का संदेश विष्णु की पाती पाकर महतारी…

15 hours ago

This website uses cookies.