मुख्यमंत्री की घोषणा: खरखरा जलाशय अब स्व. श्री राजीव गांधी और खरखरा-मोहदी पाट परियोजना दाऊ प्यारेलाल बेलचंदन के नाम पर
गोडमर्रा-सुरेगांव तक 3.50 किलोमीटर सड़क निर्माण और गोडमर्रा पाट सौंदर्यीकरण की दी मंजूरी
मुख्यमंत्री गोडमर्रा में किसान सम्मेलन में शामिल हुए
रायपुर. 28 दिसंबर 2021मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पुरखों के सपनों के अनुरूप छत्तीसगढ़ में किसानों, गरीबों और श्रमिकों के श्रम को सम्मान दिलाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के पुरखों के सपने को पूरा करने विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल में ‘‘किसानों को दाम, युवाओं को काम, महिलाओं को सम्मान, संस्कृति को पहचान, आदिवासियों का उत्थान, श्रमिकों और ग्रामीणों का कल्याण’’ का पूरा ख्याल रखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल आज बालोद जिले के विकासखण्ड डौण्डीलोहारा के ग्राम गोडमर्रा में आयोजित विशाल किसान सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर वहां देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्व. श्री राजीव गांधी जी की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने इस मौके पर गोडमर्रा-सुरेगांव तक 3.50 किलोमीटर सड़क निर्माण, गोडमर्रा पाट का सौंदर्यीकरण, खरखरा जलाशय का नामकरण भूतपूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्व. राजीव गांधी जी के नाम पर तथा खरखरा-मोहदी पाट परियोजना का नामकरण दाऊ प्यारेलाल बेलचंदन के नाम कर करने की घोषणा की।
कार्यक्रम में संसदीय सचिव व गुंडरदेही विधायक श्री कुंवर सिंह निषाद, संजारी-बालोद की विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती सोनादेवी देशलहरे, जनपद पंचायत के अध्यक्ष श्री जागृत सोनकर सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में सिर्फ आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी गई, बल्कि उन्होंने श्रम को सम्मान दिलाने का काम किया। महात्मा गांधी ने छोटा नागपुर में नील की खेती करने वाले मजदूरों को अधिकार दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी। पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में प्रतापगढ़ में आंदोलन हुआ। दूसरी ओर बुनकर के यंत्र चरखे को महात्मा गांधी ने देश की लड़ाई का प्रतीक चिन्ह बनाया। देश की आधी आबादी लेकिन चारदीवारी के भीतर बंद रहने वाली महिलाओं को शिक्षा, संपत्ति का अधिकार दिलाने का काम किया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने देश की आजादी की लड़ाई में अपना योगदान देने वाले महापुरुषों को याद किया। उन्होंने बाबा गुरु घासीदास जी, संत कबीर जी, रामकृष्ण परमहंस पंडित सुंदरलाल शर्मा, डॉ. खूबचंद बघेल को नमन करते हुए कहा कि हमें छत्तीसगढ़ में गरीबी, भुखमरी, असमानता को दूर कर समृद्ध, मजबूत, शिक्षित तथा शांति और भाईचारे का छत्तीसगढ़ बनाना है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री राजीव गांधी के विचारों के अनुरूप राज्य में किसानों, गरीबों और श्रमिकों की तरक्की और बेहतरी के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश को खाद्यान के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसानों से हरित क्रांति का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण, किसानों एवं गरीब तबकांे के लिए बैकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की। उन्होंने कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए अनेक सिंचाई योजना की शुरुआत की। अब किसानों के मेहनत से अनाज उत्पादन की स्थिति यह है कि देश में अकाल के हालात भी आ जाने पर देश की 140 करोड़ जनता के लिए अगले तीन साल तक अनाज की उपलब्धता है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम दिलाने में जब अड़चन आयी तो राजीव गांधी किसान न्याय योजना लागू की गई। समर्थन मूल्य के अलावा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए किसानों को इनपुट सब्सिडी के रूप में 9 हजार रुपए प्रति एकड़ के मान से दी जा रही है। इस बार अब तक 45 सौ करोड़ रुपए किसानों के खातों में पहुंच चुका है, वहीं 12 सौ करोड़ रुपए मार्च महीने में खातों में पहुंच जाएगा। बीते वर्ष हमने किसानों को 57 सौ करोड़ रुपए भुगतान किया और इस वर्ष भी पूरा भुगतान करेंगे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमने सरकार बनते ही जहां किसानों की ऋण माफी और किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने का वादा निभाया। साथ ही इससे आगे बढ़कर कोदो, कुटकी, रागी का भी समर्थन मूल्य पर खरीदी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, राज्य में समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघुवनोपजों को 7 से बढ़ाकर 52 कर दिया गया है। इतना ही नहीं वनोपजों के वैल्यू एडिशन (मूल्य संवर्धन) का भी काम किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारी सरकार किसानों को इतना समृद्ध करना चाहती है कि सभी के जीवन स्तर में सुधार हो।
गौपालन को अर्थव्यवस्था से जोड़ा जा रहा है। प्रदेश में लगभग 8 हजार गौठान बन चुके हैं। गोबर खरीदी कर रहे हैं। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनायी जा रही है। गोबर से गौ काष्ठ, दीये, गमला जैसे कई उत्पाद बनाए जा रहे हैं। उन्होंनेे कहा कि गोबर से अब दीवारों की पुताई भी होगी। गोबर से पेंट बनाने के लिए एमओयू किया गया है। गौठानों में इससे बिजली बनाने का भी काम चल रहा है। महिला स्व-सहायता समूहों की बहनें गोबर से बिजली बनाकर बिजली उत्पादक के रूप में जानी जाएंगी, जिसका पैसा सीधे उनके खाते में जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र से अपने हिस्से की डीएपी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार पूरा प्रयास करेगी लेकिन डीएपी नहीं मिलता है तो गोबर से बनाए गए वर्मी कम्पोस्ट खाद के रूप में काम आएगा। उन्होंने किसानों से ज्यादा-से-ज्यादा वर्मी कम्पोस्ट बनाने का आह्वान किया।
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