छत्तीसगढ़

रायपुर : नेशनल मीडिया में छत्तीसगढ़ की झांकी बस्तर की आदिम जनसंसद मुरिया दरबार की धूम…

एक्स पर छत्तीसगढ़ की झांकी को सराहा

Advertisements

रायपुर, 26 जनवरी, 2024/आज कर्तव्य पथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी ने देश में लोकतंत्र की सबसे पुरातन परंपराओं में से एक बस्तर की आदिम जनसंसद मुरिया दरबार की झलक दिखाई। ओडिशा के बाद जैसे ही छत्तीसगढ़ की झांकी आई, कर्तव्य पथ पर प्रमुख अतिथियों ने ताली बजाकर इसका अभिवादन किया। छत्तीसगढ़ की झांकी निकलने के समय फ्रेंच प्रेसीडेंट इमैन्युअल मैक्रों को इसके बारे में बताया गया।

इस सुंदर झांकी को नेशनल मीडिया ने बहुत सराहा। एक्स में नेशनल मीडिया ने प्रमुखतः छत्तीसगढ़ की झांकी की तारीफ करते हुए लिखा कि छत्तीसगढ़ की झांकी इस मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि ये जनजातीय समुदाय में परंपरागत लोकतांत्रिक मूल्यों और लोकतांत्रिक चेतना की झलक दिखाती है।

इकानामिक टाइम्स https://x.com/EconomicTimes/status/1750765986498957788?s=20 ने एक्स में लिखा है कि छत्तीसगढ़ की झांकी आदिवासी समुदायों में लोकतांत्रिक चेतना और परंपरागत लोकतांत्रिक मूल्यों की झलक दिखाती है। https://x.com/DDNewslive/status/1750768420126363820?s=20 डीडी न्यूज की एक्स पर टिप्पणी में लिखा है कि बस्तर में आजादी के 76 साल बाद भी जनजातीय समुदाय अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं का प्रदर्शन करता है।


छत्तीसगढ़ की झांकी में इस लोकतांत्रिक चेतना और परंपरागत मूल्यों को बखूबी दिखाया गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक्स में अपनी टिप्पणी पर लिखा कि बस्तर की झांकी 600 साल की लोकतंत्र की जनजातीय परंपरा को और यहां लोकतंत्र के संबंध में चल रही वाचिक परंपराओं का सुंदर प्रदर्शन है।

हिंदुस्तान टाइम्स https://x.com/htTweets/status/1750761907659903198?s=20 ने छत्तीसगढ़ की झांकी को दिखाते हुए लिखा। यह आदिम जनसंसद है।एएनआई, इंडियन एक्सप्रेस, टाईम्स नॉव, न्यूज 18, ट्रिब्यून, मिरर नॉव, एनडीटीवी ने भी एक्स में अपनी टिप्पणियों पर यह बात की। छत्तीसगढ़ की यह झांकी बताती है कि किस तरह से लोकतांत्रिक मूल्य बस्तर के समाज में हमेशा से रहे। बड़े डोंगर क्षेत्र में लिमऊ राजा से लेकर जगदलपुर में मुरिया दरबार तक लोकतांत्रिक चेतना बस्तर के समाज में स्वतः ही प्रवाहित हो रही है।

इसके साथ ही बस्तर में बेल मेटल के सुंदर काम, बस्तर के अद्भुत वाद्ययंत्रों की धुन और लोकनृत्य के प्रदर्शन के चलते इस झांकी ने लोगों को काफी मोहा। आजादी के अमृतकाल में यह झांकी बताती है कि भारत में लोकतांत्रिक परंपराओं की जड़ें बहुत गहरी हैं। यही नहीं, इन क्षेत्रों में इस परंपरा का प्रवाह आज तक कायम है।

Lokesh Rajak

Recent Posts

राजनांदगांव: कक्षा तीसरी छठवीं और नवमी की परख परीक्षा आज से…

राजनांदगांव। स्कूली बच्चों की दक्षता जांचने के लिए आयोजित परख परीक्षा का आयोजन प्रदेशभर में…

2 hours ago

बंग्लादेश में हिंदुओं की हत्या,संतो की गिरफ्तारी के विरोध में सर्व हिन्दू समाज का बालोद में आक्रोश रैली…

हिन्दुओ के ऊपर हमले को लेकर हिन्दू समाज मे भारी आक्रोश,बांग्लादेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी…

16 hours ago

राजनांदगांव: रानी लक्ष्मी बाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण हेतु 13 दिसम्बर तक आवेदन आमंत्रित…

राजनांदगांव 03 दिसम्बर 2024। राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा रायपुर के निर्देशानुसार जिले में रानी…

16 hours ago

राजनांदगांव: जनसम्पर्क विभाग के लिपिक देवेन्द्र यादव एवं सफाई कर्मी बिंदा बाई को सेवानिवृत्त होने पर निगम में दी गई बिदाई…

राजनंादगांव 3 दिसम्बर। नगर निगम के जनसम्पर्क एवं स्वास्थ्य विभाग मे कार्यरत कर्मचारी अधिवार्षिकी आयु…

16 hours ago

This website uses cookies.