रायगढ़

रायपुर : शाला प्रवेशोत्सव : अधिक से अधिक सरकारी स्कूलों को ‘सुघ्घर पढ़वैय्या योजना’ के निर्धारित मानदंडो में लाया जाएगा…

‘‘स्कूल जतन योजना’’: स्कूल आकर्षक एवं सीखने के प्रभावी केन्द्र के रूप में होंगे विकसित

Advertisements

कक्षाओं में नवीन, रोचक एवं प्रभावी शिक्षण प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा

अधिक से अधिक गांव होंगें शून्य ड्राप आउट घोषित  

रायपुर, 13 जून 2023 – राज्य में इस साल शाला प्रवेशोत्सव 16 जून से 15 जुलाई तक मनाया जाएगा। प्रवेश उत्सव के आधार पर स्कूलों में व्यापक बदलाव देखने को मिलेगा।  इस वर्ष अधिक से अधिक सरकारी स्कूलों को ‘सुघ्घर पढ़वैय्या योजना’ के   निर्धारित मानदंडो में लाया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप ‘‘स्कूल जतन योजना’’ शालाओं को आकर्षक एवं सीखने के प्रभावी केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा। शिक्षकों के सतत् क्षमता विकास के माध्यम से कक्षाओं में नवीन, रोचक एवं प्रभावी शिक्षण प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा। अधिक से अधिक गांवों को शून्य ड्राप आउट गांव के रूप में घोषित किया जा सकेगा। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव श्री आलोक शुक्ला ने इस संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश सभी कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को जारी किए हैैं।

प्रवेशोत्सव के दौरान ट्रेकिंग के लिए सूचकांक निर्धारित किए गए हैं। यह ट्रेकिंग बसाहट, ग्राम, वार्ड, शाला संकुल, विकासखण्ड, जिला एवं राज्य स्तर पर प्रतिदिन करने के प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं। शाला से बाहर रहने वाले बच्चों और अनियमित उपस्थिति वाले बच्चों की पहचान कर उनकी सूची बनाना एवं संख्या से अवगत करवाना। ऐसे बच्चों की सूची एवं संख्या से अवगत करवाना जिन्हें प्रवेशोत्सव के दौरान मुख्यधारा में शामिल करने में सफलता मिल गई हो। ऐसे गांव, वार्ड जहां शून्य ड्राप आउट हों एवं सभी बच्चे शाला में नियमित रूप से उपस्थित हो रहे हों। ऐसे स्कूलों की संख्या जिन्होंने ‘सुघ्घर पढ़वैय्या योजना’ में अपना पंजीयन करवाया हो। इसके साथ ही ऐसे स्कूलों की संख्या जिन्होंने सुघ्घर पढ़वैय्या योजना में अपना थर्ड पार्टी आंकलन करवाया हो। ऐसे स्कूलों की संख्या जिन्होंने ‘सुघ्घर पढ़वैय्या योजना’ में प्लेटिनम, गोल्ड, सिल्वर प्राप्त किया हो और ऐसे स्कूलों की संख्या जिन्होंने अपने बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता के लक्ष्यों को प्राप्त करने की चुनौती देकर समुदाय के सहयोग से अपना स्व-आकलन कर लिया हो। ट्रेकिंग के लिए इन सभी सूचकांकों को शामिल किया गया है।

इस वर्ष शिक्षा सत्र में कक्षाओं में कुछ नयापन और बदलाव लाने के सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें शालाओं में संकुलों के माध्यम से सुनिश्चित किया जाएगा। प्रत्येक शाला में उसके फीडर शाला एवं पिछली कक्षा के सभी बच्चों को अगली कक्षा में प्रवेश लेने की स्थिति एवं बच्चों से शाला जाने योग्य सभी बच्चे एवं शाला त्यागी, अप्रवेशी बच्चों की पहचान की जाए। सभी शाला अप्रवेशी बच्चों को इस सत्र में प्रत्येक बच्चे की ट्रेकिंग करते हुए उनका नियमित प्रवेश एवं सीखना सुनिश्चित करवाया जाए। कक्षा 1 से 3 तक उपलब्ध करवाए गए होलिस्टिक रिपोर्ट के आधार पर उन कक्षाओं के लिए निर्धारित सभी लर्निंग आउटकम को अगली कक्षा में प्रवेश लेने के पूर्व अच्छे से हासिल किया जाना सुनिश्चित करें, ताकि शिक्षकों को कक्षा अनुरूप दक्षताओं पर पूरे सत्र में कार्य करने का अवसर मिल सके। शाला परिसर में प्रिंट रिच वातावरण एवं शाला की बाहरी दीवार पर सभी कार्यरत शिक्षकों के फोटोग्राफ एवं उनका विवरण प्रत्येक प्राथमिक शाला के कक्षा 1 के बच्चों के साथ 90 दिनों का शाला हेतु तैयारी कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना है। प्रत्येक बच्चे को अभ्यास पुस्तिकाएं देते हुए उन पर नियमित अभ्यास कर उनके कार्यों में सुधार हेतु नियमित फीडबैक देने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का सुझाव दिया गया है।

इसी प्रकार विद्यार्थियों को एक दूसरे से सीखने के लिए प्रत्येक विद्यार्थी को छोटे-छोटे समूहों में एक दूसरे के साथ मिलकर सीखने-सिखाने के नियमित अनुभव को साझा करेंगें। बच्चों को प्रदत्त पाठ्यपुस्तकों में कव्हर डलवाएं ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके। प्रारंभ से ही बच्चों के पठन कौशल विकास पर फोकस करते हुए उनकी समझ के साथ पढ़ने की गति में सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाए। प्रत्येक बच्चे को कक्षा तीन तक पढ़ने के कौशल के विकास एवं उसके बाद समझ एवं गति के साथ पढने में निरंतर सुधार लाने की दिशा में प्रत्येक बच्चे पर ध्यान देते हुए आगे बढ़ने कहा गया है। शिक्षक कक्षा शिक्षण में नवीन प्रविधियों का अधिकाधिक उपयोग करते हुए बच्चों के बेहतर सीखने की दिशा में काम करना जारी रखें। खिलौनों से सीखना, स्थानीय भाषा में सीखने में सहयोग करना, खेल-खेल में सीखना, अनुभवों से सीखना, बड़े एवं छोटे समूह बनाकर एक दूसरे से सीखना, समुदाय से सीखने में सहयोग लेने जैसे रणनीतियों का पूरी कड़ाई से अपनी अपनी कक्षाओं में पालन करवाएं। आंकलन को प्रभावी बनाने हेतु सीखने का आंकलन के बदले में सीखने के लिए आंकलन को उपयोग में लाएं।

Lokesh Rajak

Recent Posts

राजनांदगांव : गायत्री विद्यापीठ में 38 बटालियन के तत्वाधान में वार्षिक प्रशिक्षण शिविर का खेलकूद एवं रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समापन…

राजनांदगांव - जे एल एम गायत्री विद्यापीठ राजनांदगांव में 38 छत्तीसगढ़ बटालियन राष्ट्रीय कैडेट कोर…

14 mins ago

राजनांदगांव : नगर निगम के एसएलआरएम सेन्टर से प्राप्त करे जैविक व वर्मी खाद…

राजनांदगांव 14 मई। नगर निगम के एसएलआरएम सेन्टरों में स्वच्छता दीदीयांे द्वारा गीला कचरा से…

50 mins ago

राजनांदगांव : चिखली में अवैध प्लाटिंग की तैयारी, निगम ने खरीदी बिक्री प्रतिबंधित का लगाया बोर्ड…

कार्यवाही के पूर्व संबंधित को नोटिस राजनांदगांव 14 मई। निगम सीमांतर्गत अवैध कालोनी एवं अवैध…

56 mins ago

राजनांदगांव : एकलव्य विद्यालय के विद्यार्थियों का रहा उत्कृष्ट प्रदर्शन…

सीबीएसई बोर्ड का परीक्षा परिणाम जारी - एकलव्य विद्यालय के विद्यार्थियों का रहा उत्कृष्ट प्रदर्शन…

1 hour ago

राजनांदगांव : राजस्व शिविरों के आयोजन से आम जनता को मिल रहा लाभ…

- राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए किया जा रहा शिविरों का आयोजन - कलेक्टर…

1 hour ago

राजनांदगांव : मतगणना कार्य के लिए नियोजित कर्मचारियों-अधिकारियों का प्रथम चरण का प्रशिक्षण 15 मई से…

लोकसभा निर्वाचन 2024 मतगणना कार्य के लिए नियोजित कर्मचारियों-अधिकारियों का प्रथम चरण का प्रशिक्षण 15…

2 hours ago

This website uses cookies.