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व्यवसायिक रूप से सहयोग कर रही मनरेगा योजनान्तर्गत नरवा विकास से मत्स्य पालन को बढ़ावा

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कोरोना महामारी के संक्रमण के बचाव के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महात्मा गांधी नरेगा योजना बढ़-चढ़ कर योगदान दे रहा है। जहां एक तरह सारे व्यवसाय और रोजी रोटी कमाने के साधन बंद है, वही ग्रामीण इलाके में, पंजीकृत लोगो को रोजगार उपलब्ध करा कर उनके लिए परिसंपत्तियों का निर्माण भी किया जा रहा है। यू तो मनरेगा के अंतर्गत 262 प्रकार के कार्य ग्रामीण क्षेत्र में किये जा सकते है। इनमे से 62 प्रकार के कार्य व्यक्ति विशेष के भूमि पर किये जा सकते है।

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       मनरेगा अन्तर्गत सुराजी योजना के तहत नरवा विकास कार्यो में मत्स्य पालन के लिए डबरी-तालाब बनाने का काम भी जिला बस्तर के हितग्राही लाभ ले रहे हैं। ग्राम पंचायत-केलाउर, जनपद पंचायत दरभा के हितग्राही दसराम पिता टूटी के जमीन पर 9.52 लाख की लागत से मनरेगा अंतर्गत डबरी तालाब निर्माण किया जा रहा है। दसराम का मत्स्य पालन का सपना अब होगा साकार। उसने ग्राम सभा के माध्यम से अपने जमीन पर मत्स्य पालन के लिए बड़ा तालाब बनवाने के लिए आवेदन किया था। जिस पर पहल करते हुए। ग्राम पंचायत ने जनपद के माध्यम से मनरेगा अंतर्गत तालाब निर्माण का कार्य स्वीकृत करवाया।

      मनरेगा अंतर्गत व्यक्ति की भूमि पर 3 लाख तक ही कार्यो की स्वीकृति दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन शासन के आदेशानुसार केवल मछली पालन के उद्देश्य से व्यक्ति अपनी जमीन पर 10 लाख तक के कार्यो की स्वीकृति ले सकता है। इसी का फायदा दसराम को भी मिला। मनरेगा के प्रावधान अनुसार डबरी-तालाब का निर्माण, पंजीकृत जॉब कार्डधारी परिवार के द्वारा ही बिना मशीन के प्रयोग के किये जाने हेतु स्वीकृत की जाती है। दसराम को स्वीकृत हुए डबरी-तालाब के निर्माण कार्य मे स्वयं दसराम के व्यस्क सदस्य के साथ पारे मोहल्ले के पंजीकृत परिवार भी कार्य कर रहे है। इससे दसराम का तालाब निर्माण होने के साथ-साथ 190 रुपये के हिसाब से प्रतिदिन कार्य करने वाले श्रमिको का रोजी भी मिल रहा है।

  क्या है प्रावधान और प्रक्रिया 10 लाख रुपये तक का मत्स्य पालन के लिए तालाब निर्माण का

मनरेगा अंतर्गत कार्य की स्वीकृति के लिए ग्राम सभा के माध्यम से प्रस्ताव जनपद कार्यालय में जमा किया जाता है। जहाँ से मत्स्य पालन विभाग को सूचित कर कार्य  स्थल का मछली पालन के लिए उपयुक्त है अथवा नही का सत्यापन करवाया जाता है। मत्स्य विभाग के द्वारा जमीन का निरीक्षण किया जाकर प्रतिवेदन दिया जाता है। तब जाकर हितग्राही के भूमि पर 10 लाख रुपये तक कि डबरी का निर्माण कार्य स्वीकृत किया जाना है, जिसे जॉब कार्डधारी परिवार के द्वारा खोदा जाता है।

 जिले में दरभा के केलाउर ग्राम पंचायत के अलावा कुटुंबसर ग्राम पंचायत में भी हितग्राही के भूमि पर मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण कार्य स्वीकृत कर निर्माण कराया जा रहा है।
इनके अलावा जगदलपुर के ग्राम पंचायत करनपुर के समारू-सामलु, संपत-दुलडु ग्राम पंचायत कैकागढ़ के रमा-सोमारू, ग्राम पंचायत कवालीकला के सोनाय-पुरखोती के भूमि पर भी मनरेगा अंतर्गत मछली पालन के लिए 10 लाख तक के तालाब का निर्माण कराया जा रहा है।
साथ ही दरभा के 8 ग्राम पंचायतों के हितग्राहियों की जमीन का सत्यापन करवाने के लिए मत्स्य विभाग को पत्र लेख किया गया है। रोजगार के साथ, पंजीबद्ध परिवार को मछली पालन के लिए तालाब बनाने की सुविधा भी मिल रहा है।                                       

Lokesh Rajak

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