छत्तीसगढ़

शासन की योजना के तहत उन्नत बीज, जैविक वर्मी कम्पोस्ट खाद तथा पौध संरक्षण दवाईयां हुई उपलब्ध…

राजनांदगांव। जिले में पौष्टिक एवं औषधीय गुणों से भरपूर लघुधान्य फसल कोदो एवं रागी की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। आज की आधुनिक जीवनशैली के दुष्प्रभाव को देखते हुए जनसामान्य को गुणों से भरपूर फसलों की खेती की ओर मुडऩा पड़ रहा है। मोटे अनाज में पौष्टिकता इतनी प्रबल है कि खेती के कार्य करने वाले मजदूर एवं किसान इन मोटे अनाजों को भोजन के रूप में लेकर समस्त पौष्टिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेते हैं। मोटे अनाज ग्लूटिन से रहित आवश्यक एमिनो अम्लयुक्त होने के कारण सुपाच्य होते हैं और इनसे किसी भी प्रकार की कोई एलर्जी नहीं होती है। यह अन्य धान्य की तुलना में कम ग्लूकोज उत्पादित करते हैं। कम ग्लासिमेक्स इनडेक्सयुक्त होते हैं। जो मधुमेह के जोखिम को कम करता है।

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आज के दौर में डायबिटीज की बीमारी एक महामारी के रूप में व्यापक रूप से बढ़ रही है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। प्रदेश में मिलेट मिशन चलाया गया है और लघुधान्य फसलों को बढ़वा दिया जा रहा है। शासन द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत लघुधान्य फसलों को प्रोत्साहित करते हुए खरीदी की जा रही है। इस योजना के तहत कोदो, कुटकी, रागी के किसानों को लाभ दिया जा रहा है। धान के बदले कोदो, कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, दलहन, तिलहन, सोयाबीन, सुगंधित धान, फोर्टीफाईड धान तथा वृक्षारोपण करने पर प्रति एक 10 हजार रूपए इनपुट सब्सिडी राशि दी जा रही है।राजनांदगांव जिले के छुरिया विकासखंड के ग्राम नादिया के कृषक श्री छत्रपाल जिनका 25 वर्षों से अधिक खेती का अनुभव है। उन्होंने कृषि विभाग की सलाह पर एक हेक्टेयर में रागी की फसल ली और 17 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त किया। जिससे उन्हें 93 हजार 500 रूपए की आय प्राप्त हुई। लागत के रूप में खर्च 21 हजार 505 रूपए को घटाकर लगभग 72 हजार रूपए का शुद्ध मुनाफा प्राप्त किया।

किसान श्री छत्रपाल को कृषि विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत शत-प्रतिशत अनुदान पर उन्नत बीज, जैविक वर्मी कम्पोस्ट खाद तथा पौध संरक्षण दवाईयां उपलब्ध कराई गई। शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से फसल की गुणवत्ता, उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि हुई है। कृषक श्री छत्रपाल ने बताया कि पहले खेती में लागत ज्यादा होने की वजह से उनका मुनाफा काफी कम हो जाता था। परन्तु रागी की फसल एक तो काफी कम लागत वाली है और इसकी अपेक्षाकृत कम उपजाऊ भूमि पर भी सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है। कृषि विभाग से मार्गदर्शन मिलने पर उन्होंने रागी की खेती के लिए मन बना लिया और अपनी सफलता से वे काफी उत्साहित हैं। कृषक श्री छत्रपाल द्वारा धान के स्थान पर लघुधान्य जैसे अन्य फसलों को अपनाकर फसल विविधीकरण की दिशा में नवोन्मेषी पहल से वे अन्य कृषकों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गये है।

Lokesh Rajak

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