रियाद. सऊदी अरब ने पाकिस्तान को ऋण (Loan) और तेल की आपूर्ति (End of Oil Supply) को समाप्त करने की घोषणा कर दी है. सऊदी अरब की इस घोषणा के बाद दोनों देशों के बीच एक दशक से चली आ रही दोस्ती (Friendship Between Saudi Arab and Pakistan) को समाप्त कर दिया है. यह जानकारी मिडिल ईस्ट मॉनिटर ने दी है. क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान जब पिछले साल फरवरी में पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे तब इन सौदों पर हस्ताक्षर किए गए थे. सऊदी अरब का यह नकरात्मक रवैया तब सामने आया है हाल ही में जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ कड़ा रुख नहीं अपनाने के लिए सऊदी अरब के नेतृत्व वाले आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को सख्त चेतावनी दी थी.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने दी थी धमकी
ऐआरवाई चैनल पर कुरैशी को यह कहते हुए दिखाया गया कि यदि आप इस मामले में आगे बढ़कर साथ नहीं आते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाने के लिए मजबूर होऊंगा जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने और पीड़ित कश्मीरियों का समर्थन करने के के लिए तैयार हैं. उन्होंने आगे यह भी कहा कि मैं एक बार फिर से ओआईसी को बहुत सम्मानपूर्वक बता रहा हूं कि हम ओआईसी के विदेश मंत्रियों की कॉउंसिल की एक बैठक की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
सऊदी अरब अपना नजरिया साफ करे: कुरैशी
कुरैशी ने कहा कि जिस तरह पाकिस्तान ने सऊदी अरब के अनुरोध के बाद खुद को कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन से अलग कर लिया वैसे ही अब रियाद को कश्मीर के मुद्दे पर अपना रुख साफ़ करना चाहिए और आगे आकर मामले का नेतृत्व करना चाहिए.
आर्टिकल 370 निरस्त करने पर पाक को लगी मिर्ची
भारत द्वारा पिछले साल ही आर्टिकल 370 को निरस्त कर देने के बाद इस्लामाबाद लगाता इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए जोर दे रहा है. आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर को राज्य को विशेष दर्जा दिया गया था. 22 मई को कश्मीर में ओआईसी के सदस्यों से समर्थन प्राप्त करने में विफल रहने के बाद
पीएम इमरान ने कहा-हम अपनों के बीच ही है भेद
पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान ने कहा कि इसका कारण यह है कि हमारी अपनी कोई आवाज नहीं है और हमारे अपनों के बीच ही बहुत से भेद और विभेद हैं. हम कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक में भी एक साथ नहीं खड़े हो सकते हैं.
तेल उधाार देने पर 9 अगस्त को लगाई थी रोक
सऊदी अरब ने बीते 9 अगस्त को पाकिस्तान को उधार में तेल देने पर रोक लगाने का फैसला किया था. दरअसल सऊदी अरब ने यह कदम पाकिस्तान की कश्मीर मुद्दे पर आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज को दो-फाड़ करने की धमकी देने के बाद उठाया है. घोर आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान को उबारने के लिए इमरान सरकार ने वर्ष 2018 में सऊदी अरब से 6.2 अरब डॉलर यानी करीब 46 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. इस उधार में 3.2 अरब डॉलर यानी करीब 24 हजार करोड़ रुपये की राशि का तेल कर्ज में देने का प्रावधान किया गया था.
सऊदी अरब के इस फैसले के बाद पाकिस्तान अब कर्ज की बकाया राशि लौटाने के लिए चीन के आगे हाथ फैला रहा है. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, सऊदी अरब से कर्ज लेने के इस प्रावधान की अवधि दो महीने पहले ही खत्म हो चुकी है. इसका अब तक नवीनीकरण नहीं हुआ है. पेट्रोलियम डिविजन के प्रवक्ता साजिद काजी के हवाले से द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि पाकिस्तान ने सऊदी अरब के दिए गए लोन में से एक अरब डॉलर का लोन चार महीने में वापिस लौटा दिया है. हालांकि अब वह बाकी कर्ज चुकाने के लिए भी चीन का मुंह ताक रहा है.
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