छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के एक साल पुराने मंत्रिमंडल का पहला विस्तार जल्द होने की हलचल दिल्ली से लेकर रायपुर तक तेज हो गई है। राज्य की सियासत से लेकर आम लोगों की नजरें इस बात पर लगीं हैं कि किस विधायक को मंत्री बनने का माैका मिलने जा रहा है। हालांकि भाजपा नेतृत्व की माैजूदा सियासत में अंदाजा लगाया जाना बेहद कठिन है कि कब किसे मंत्री बना दिया जाए।
दूसरी ओर मंत्री पद के दावेदारों में बेचैनी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोमवार की रात दिल्ली में भाजपाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इस बातचीत से ये संकेत मिले हैं कि मंत्रियों के नाम जल्द सामने आ सकते हैं।दो नहीं तीन मंत्री भी हो सकते है।छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में हरियाणा फार्मूले के आधार पर तीन मंत्री हो सकते हैं, वहां भी 90 की विधानसभा में तीन मंत्री है।
प्रेक्षकों के मुताबिक रायपुर, बस्तर और दुर्ग जिले से एक एक एक मंत्री हो सकते हैं। मंत्री से सांसद बने वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल के विधानसभा से इस्तीफे के बाद मंत्री का पद खाली है। मंत्री का एक पद पहले ही खाली रखा गया था। अब अगर हरियाणा की तरह यहां भी 14 मंत्री बनाए गए तो तीन पद मंत्री के होंगे। हालांकि पूर्ववर्ती राज्य सरकारों में ये फार्मूला नहीं अपनाया गया था। किसे मिलेगा मौका, नए या पुरानेअब ये सवाल बड़ा है कि भाजपा नेतृत्व यहां से मंत्री बनाने के लिए किन विधायकों को अवसर देता है।
दरअसल पूर्ववर्ती रमन सरकार में मंत्री रहे कई नेता फिर से मंत्री बनने को बेताब है। लेकिन साय सरकार के मंत्रिमंडल में अभी जिन चेहरों को शामिल किया गया है उनमें अधिकांश नए हैं। अगर इस विस्तार में भी नए चेहरों को चुनने का गणित बनाया गया तो फिर पूर्व मंत्री पूर्व ही रह जाएंगे। भाजपा के पास नए चेहरों की कमी नहीं है। इस लिहाज से पहला नाम सुनील सोनी का है जो हाल में रायपुर दक्षिण की सीट उपचुनाव में जीतकर आए हैं।
बस्तर से मंत्री बनाने की बात हुई तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव का नाम है। दुर्ग जिले से मंत्री पद के लिए पहली बार विधायक बने और संघ परिवार पृष्ठभूमि वाले गजेंद्र यादव मंत्री का नाम है। लेकिन भाजपा नेतृत्व वरिष्ठ विधायकों को मौका देने की रणनीति पर काम करेगा तो सबसे प्रबल दावेदारों में धरमलाल कौशिक शामिल हैं, वे पूर्व में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। उन्हें अब तक मंत्री बनने का मौका नहीं मिला है।अन्य दावेदारों में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, के नाम भी शामिल है। इस संभावना से भी इनकार नहीं कि इन नए पुराने नेताओं के नामों से अलग चौंकाने वाले नाम मंत्री के रूप में सामने आएं।
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