हलषष्ठी (कमरछठ) पर्व पारंपरिक हिंदू पंचांग में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम को समर्पित है। भगवान बलराम माता देवकी और वासुदेव जी की सातवीं संतान थे। हाल षष्ठी का त्यौहार भगवान बलराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
माताएँ अपने बच्चों के दीर्घ जीवन के लिए हलषष्ठी (कमरछठ) पर्व के अवसर पर व्रत का पालन करेंगी। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में माताओं द्वारा व्रत उपवास रखकर पूजा की जाएगी। कोरोना काल में, जहाँ माताएँ सामाजिक कष्टों के निवारण के तहत अपनी संतानों के लिए व्रत रखकर मंगल कामना के लिए प्रार्थना करेंगी। इधर, उन माताओं द्वारा भी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं, जो हलषष्ठी पर्व के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, पूजा सामग्री के लिए बाजार भी सज गए हैं, जहां पशहर चावल की कीमत भी आसमान पर है।
जाने कैसे मनाया जाता है हलषष्ठी(कमरछठ) पर्व
हलषष्ठी(कमरछठ) पर्व के अवसर पर माताएँ भगवान शंकर और गौरी, गणेश को पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल का पत्ता, कांशी,खमार, बांटी, भौरा और अन्य सामग्री भेंट करेंगी। पूजा करने के बाद, माताएं घर पर बिना हल के जुते अनाज पसहर चावल, छः प्रकार के भाजी को पकाकर प्रसाद के रूप में वितरित करके अपना व्रत तोड़ेंगी।
हलषष्ठी(कमरछठ) पर्व पर महिलाओं पर असर
हलषष्ठी (कमरछठ) पर्व में व्रत रखने वाली महिलाओं द्वारा सेवन करने वाले बिना हल के जुते अनाज पसहर चावल बिक्री के लिए बाजार में पहुंच गया है। बाजार में इसकी कीमत अलग-अलग ग्लास के हिसाब से अलग-अलग रखी गई है। वहीं दुकानों में उक्त चावल की कीमत 80 से 90 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है। हलषष्ठी पर्व के लिए पूजा सामग्री बाजार में पहुंच गई है। इस त्यौहार में माताएँ व्रत रखकर बच्चों की लंबी आयु की कामना करेंगी। इस त्योहार को लेकर महिलाओं में उत्साह का माहौल है।
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