Teachers Day Special : 80% दिव्याग होने के बाद हिम्मत नहीं हारना हाथों में बैसाखी है वो गढ़ रहे हैं देश के बच्चों का उज्ज्वल भविष्य,छत्तीसगढ़ से एक मात्र दुर्ग जिले की ये शिक्षिका के. शारदा बनीं बच्चों के लिए मिसाल, मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2004.
अगर किसी काम के लिए लगन हो तो इंसान की कमियां उसकी कोशिशों के आगे कम पड़ जाती हैं। इसी बात की मिसाल बनी हैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की शिक्षिका के.शारदा। दिव्याग के. शारदा बैसाखी के सहारे चलती हैं और दाहिना हाथ भी काम नहीं करता, लेकिन काम के प्रति उनका समर्पण ऐसा था कि उन्होंने कोरोना कॉल के दौरान मोहल्ला क्लास में बच्चों को पढ़ाया।
राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर कल 5 सितंबर को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से शासकीय अपर प्रायमरी स्कूल खेदामारा की दिव्याग शिक्षिका के. शारदा का भी चयन राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए किया गया है। राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने वाली छत्तीसगढ़ से एकमात्र शिक्षिका है।
के शारदा ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार नई दिल्ली जाने के पूर्व आजतक से विशेष चर्चा करते हुए कहा कि उनके द्वारा आपदा को अवसर बनाया गया कोविड-19 के दौरान सब कुछ प्रभावित हो चुका था। परंतु बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकनी चाहिए इस चुनौती को स्वीकार करते हुए उनके द्वारा अत्याधुनिक शैक्षणिक नई तकनीक को अपनाया गया। ई-कंटेंट बनाएं एवं डिजिटल टूल्स का उपयोग किया गया। साथ साथ गणित की नई पुस्तिका भी तैयार की और उसका क्यू आर कोड जनरेट किया। ताकि बच्चे आसानी से बिना रुकावट के शिक्षा प्राप्त कर सके।
नई बुक तैयार कर बहु भाषा को दिया बढ़ावा
नई शिक्षा नीति के तहत बहु भाषा को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा कुछ पुस्तक भी बनाई गई। हिंदी से छत्तीसगढ़ी इंग्लिश से हिंदी एवं स्थानीय भाषा हलवी में भी बुक बनाई जिसके एक तरफ हल्बी तो दूसरे तरफ हिंदी भाषा का प्रयोग किया। इस बुक के माध्यम से बच्चे बस्तर के संस्कृति को भी जान पाए और बहु भाषा सीखने का उन्हें अवसर प्राप्त हुआ।
तीन राज्यों की स्कूलों किया संपर्क साझा किया ज्ञान एवं संस्कृति
के शारदा ने बताया कि उनके द्वारा अन्य राज्यों की संस्कृति को जानने के लिए तीन राज्य गुजरात महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश की एक-एक स्कूल के साथ ज्ञान का आदान-प्रदान करने एवं संस्कृति जन के प्रयास के साथ संपर्क स्थापित किया गया जिसमें गुजरात के गोधरा जिले के शासकीय प्राइमरी स्कूल पंचमहल महाराष्ट्र के पीएमसी समुद्रपुर एवं आंध्र प्रदेश की एक स्कूल के साथ संपर्क किया गया इस साझा कार्यक्रम के तहत बच्चों को अन्य प्रदेश की भाषा एवं संस्कृति जानने का अवसर भी प्राप्त हुआ।
नवाचार से उद्देश्य हुआ पूरा
के शारदा ने कहा कि नवाचार के कारण से उन्हें अध्ययन एवं अध्यापन कार्य में अत्यधिक लाभ प्राप्त हुआ जो छात्र-छात्राएं स्कूल नहीं आते थे वह अधिक से अधिक संख्या में स्कूल आने लगे इन डिजिटल टूल्स और नई तकनीक से बनाए गए वीडियो को देखकर पढ़ने के लिए बच्चे प्रभावित हुए। और पढ़ाई जो उन्हें परेशान करती थी। वह आसान हो चुकी थी। वह बड़े ही उत्साह के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
बैसाखी के सहारे चलती हैं के.शारदा
कठिन परिश्रमी शिक्षिका के शारदा बैसाखी के सहारे से चलती है। बचपन में पोलियो होने के कारण 80% शरीर दिव्याग है दाहिना हाथ भी काम नहीं करता है। लेकिन काम के प्रति समर्पण ऐसा कि कोरोनाकाल में मोहल्ला क्लास में बच्चों को पढ़ाया। पढ़ाई से जुड़े 270 से ज्यादा वीडियो अपलोड किए और खुद की वेबसाइट तैयार कर बच्चों को मदद की।अब उन्हें राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिलने जा रहा है।
शिक्षिका के.शारदा दुर्ग जिले के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खेदामारा में बच्चों को पढ़ाती हैं। कोरोना में बच्चों के लिए बनी मदद वे साल 2009 से इस स्कूल में सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचार और चुनौतियों का सामना करके मिसाल पेश की है.उनकी इसी काबिलियत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
शारदा जी ने कोविड-19 महामारी के दौरान सीमित संसाधनों के बावजूद ऑनलाइन और मोहल्ला कक्षाओं की शुरुआत की। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि छात्रों की शिक्षा बिना किसी रूकावट के जारी रहेगी।
दिव्यंगता को कभी आड़े नहीं आने दिया के शारदा ने
के शारदा बताती है कि वह शारीरिक रूप से 80% दिव्यांग है उनका एक हाथ काम नहीं करता है परंतु उनके द्वारा अपनी मेहनत एवं कठिन परिश्रम से दिव्यंगता को कभी बाधक नहीं बनने दिया। वे कहती है कि जीवन में कोई भी कठिनाइयां आपको आगे बढ़ने से कभी रोक नहीं सकती है। केवल आप में इच्छा शक्ति होनी चाहिए चुनौतियां एवं परेशानियां तो आती ही रहेगी परंतु वह अपने साथ एक रह भी लेकर आती है बस केवल आपको अपने आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ाना है
अपने आप समाधान प्राप्त हो जाता है।उनके द्वारा अन्य राज्यों की संस्कृति को जानने के लिए तीन राज्य गुजरात महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश की एक-एक स्कूल के साथ ज्ञान का आदान-प्रदान करने एवं संस्कृति जन के प्रयास के साथ संपर्क स्थापित किया गया जिसमें गुजरात के गोधरा जिले के शासकीय प्राइमरी स्कूल पंचमहल महाराष्ट्र के पीएमसी समुद्रपुर एवं आंध्र प्रदेश की एक स्कूल के साथ संपर्क किया गया इस साझा कार्यक्रम के तहत बच्चों को अन्य प्रदेश की भाषा एवं संस्कृति जानने का अवसर भी प्राप्त हुआ।
मुझे नेशनल अवार्ड के लिए चयन हुआ है बहुत ख़ुशी है मुझे इस मुकाम में पहुंचने के लिए मेरी शारीरिक कमजोरी थी कभी अपने काम में हैवी होने नहीं दिया चुनौती को पार कर ख़ुशी है अच्छे मुकाम में पहुंचने में मेरा मेहनत है. डिजिटल टूल्स के माध्यम से पढ़ने में बच्चों को सहायता मिलता है.
दिव्यगता मेरी 80% है और बहुत सारे कठिनाई को पार करके मुसीबत देखी है अपने जीवन मे, मै सभी को प्रेरणा देना चाहती हूँ कि कोई भी कठिनाई आपको रोक नहीं सकती है बस आपमें करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए चुनौती ज़ब आती है परेशानी आती है तो अपने साथ एक राह लेकर आती है बस आप आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ना है अपने आप ये समस्या समाधान प्राप्त हो जाता है.
देशभर के कुल 50 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया जाएगा। इसमें विजेताओं को 50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार, रजत पदक और प्रमाण पत्र दिया जाएगा।यह कार्यक्रम नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया जाएगा, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिक्षकों को यह पुरस्कार देने वाली हैं।
उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार 2024 का उद्देश्य भारत के कुछ बेहतरीन संकाय सदस्यों के विशिष्ट योगदान को मान्यता देना है। छात्रों के जीवन में बदलाव लाने में शिक्षकों के प्रयासों को सम्मान देने के लिए यह पुरुस्कार दिया जा रहा है।
दु पहिया वाहन से स्कुल आते के. शारदा, बैशाखी लेकर क्लास रूम के अंदर आते व बच्चों को पढ़ाते, स्कुल के टीचर व बच्चों सँग बैठी के. शारदा बाईट के. शारदा शिक्षक चयनित होने वाली राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार 2024.
के. शारदा शिक्षक चयनित होने वाली राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार 2024.
नमस्कार मै के शारदा हूँ शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खेदामारा ब्लॉक दुर्ग की शिक्षक हूँ, मेरा चयन 5 सितंबर को माननीय राष्ट्रपति महोदया के हाथों राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए हुआ है, इसके लिए मुझे बहुत ख़ुशी है. मेने अपने एजुकेशन के लिए बहुत सारे टेकोलाजी का प्रयोग किया है. ई कंटेंश बनाये है और डिजिटल टूल्स का प्रयोग किया है. साथ ही साथ मेने जो है अपनी गणित पुस्तक बनाई है जिसमे क्यू आर कोड को जनरेड किया है. और एनीमि के तहत नई एजुकेशन पालिसी के तहत बहु भाषा को बढ़ावा देने के लिए कुछ पुस्तकों का निर्माण किया है.
और हिंदी से छत्तीसगढ़ी,छत्तीसगढ़ी और इंग्लिश मै साथ ही साथ हलबी मै एक बुक बनाई है जिसमे एक तरफ हलबी व एक तरफ हिंदी है. और इस बुक के माध्यम से बच्चे बस्तर के कल्चर को जान रहे है और बहु भाषा का ज्ञान प्राप्त कर रहे है, साथ ही साथ कोविड -19 के समय मेने स्कुल शिक्षा विभाग के बेव साईट में 270 वीडियो अपलोड किया था जिसमे 200 वीडियो को छत्तीसगढ़ के स्कुल शिक्षा विभाग के द्वारा अप्रूवूल हुआ , मेने तीन राज्यों के साथ ट्यूनिंग की थीी।
उनके द्वारा अन्य राज्यों की संस्कृति को जानने के लिए तीन राज्य गुजरात महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश की एक-एक स्कूल के साथ ज्ञान का आदान-प्रदान करने एवं संस्कृति जन के प्रयास के साथ संपर्क स्थापित किया गया जिसमें गुजरात के गोधरा जिले के शासकीय प्राइमरी स्कूल पंचमहल महाराष्ट्र के पीएमसी समुद्रपुर एवं आंध्र प्रदेश की एक स्कूल के साथ संपर्क किया गया इस साझा कार्यक्रम के तहत बच्चों को अन्य प्रदेश की भाषा एवं संस्कृति जानने का अवसर भी प्राप्त हुआ।
मुझे बहुत ख़ुशी है मुझे नेशनल आवार्ड मिल रहा है मुझे ख़ुशी है कि इस मुकाम मै पहुंचने मे मेरी शारीरिक कमजोरी को काम मे हैवी होने नहीं दिया. चुनौती को पार कर अच्छे मुकाम मे पहुंचने में सफल रही यही मेरी मेहनत है.
बहुत सारे बच्चे क्लास मे इन्वाल नहीं होते थे डिजीटल टूल्स के माध्यम से सारे बच्चे इन्वाल होने लगे लगे इसका फायदा दिखने लगा, दिव्यांगता जो है मेरी 80%है बहुत सारे कठिनाइयों को पार करते मुसीबत देखी है अपनी लाईफ में, मै सभी को प्रेरणा देना चाहती हूँ कि कोई भी कठिनाई आपको रोक नहीं सकती है बस आपमे करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए चुनौतीया ज़ब आती है परेशानी आती है तव वह राह भी लेकर आती है बस आपको आत्म विश्वास के साथ आगे बढ़ना है बस समस्याएं समाप्त हो जाती है.