DNA ANALYSIS: लॉकडाउन के दौरान आखिर शराब की दुकानें खोलने की जरूरत क्यों पड़ी?

आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले जब सिंगर कनिका कपूर की वजह से कोरोना वायरस फैलने की आशंका जताई गई थी, तब लोगों ने उन्हें कितना कोसा था. जब तबलीगी जमात के लोगों की वजह से पूरे देश में कोरोना वायरस फैला तो लोगों ने उनकी भी निंदा की और उनका विरोध किया. ये विरोध किया भी जाना चाहिए था. लेकिन आज जो लोग शराब की खातिर सोशल डिस्टेन्सिंग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं उन्हें आप क्या कहेंगे? अगर शराब की दुकानों के सामने लगी इस भीड़ की वजह से संक्रमण फैलता है तो आप क्या कहेंगे? लेकिन फिलहाल कोई इस मुद्दे पर कुछ नहीं कह रहा. बल्कि सब 40 दिनों के बाद मिली इस आजादी के नशे में डूब जाना चाहते हैं.

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अगर आप शराब नहीं पीते तो आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि सरकारों ने शराब की दुकानें खोली ही क्यों? इसका जवाब हम आपको आंकड़ों की मदद से देना चाहते हैं. 2018 में भारत में शराब की बिक्री से सरकारों को करीब 3 लाख 10 हजार करोड़ रुपये की कमाई हुई थी.

भारत के 29 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश हर महीने शराब की बिक्री से औसतन 15 हजार करोड़ रुपये कमाते हैं. इनमें सबसे आगे उत्तर प्रदेश है, जहां वर्ष 2019-20 में सरकार ने शराब की बिक्री से 31 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा कमाए. दूसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां इसी दौरान हुई शराब की बिक्री से सरकार के खजाने में 20 हजार 950 करोड़ रुपये आए.

लॉकडाउन में रियायत के पहले दिन शुरुआती 9 घंटों में ही उत्तर प्रदेश में 100 करोड़ रुपये की शराब बिक गई. हैरानी की बात ये है कि उत्तर प्रदेश में सामान्य दिनों में हर रोज 70 से 80 करोड़ रुपये की शराब ही बिकती है.

सोमवार को कर्नाटक में 3 लाख 9 हजार लीटर शराब बेची गई जिसकी कीमत 45 करोड़ रुपये थी. जबकि कर्नाटक में आज 197 करोड़ रुपये की शराब बिकी है. यानी कल के मुकाबले करीब 4 गुना ज्यादा है.

राजस्थान में करीब 59 करोड़ रुपये की शराब बेची गई. महाराष्ट्र में कई जिलों में शराब की बिक्री पर पाबंदी के बावजूद 5 से 6 लाख लीटर शराब बेची गई. पश्चिम बंगाल में सोमवार को करीब 40 करोड़ रुपये की शराब बेची गई. हैरानी की बात ये है कि जो पुलिस पूरे देश में लॉकडाउन का पालन करा रही थी आज उसी पुलिस को शराब पीने वालों से अनुशासन का पालन कराना पड़ रहा है. यानी जो पुलिस कभी लोगों को शराब ना पीने की सलाह देती थी वो पुलिस आज ये सुनिश्चित करने को मजबूर है कि लोगों को बिना लड़ाई झगड़े के शराब मिल जाए.

यहां हम आपसे एक बात कहना चाहते हैं, आप इसे हमारा सुझाव भी मान सकते हैं. हमारा मानना है कि ये शराब की दुकानें या तो लॉकडाउन के दौरान भी बंद नहीं करनी चाहिए थीं या फिर इन्हें दोबारा खोलने की जरूरत नहीं थी. शराब की दुकानों पर लगी ड़ कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई को कमजोर कर सकती है. भारत में कोरोना वायरस पिछले कुछ दिनों में कितनी तेजी से फैला है ये हम आपको आंकड़ों के माध्यम से समझाते हैं.

देश में संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी को आया था और कोरोना वायरस के मामलों को 10 हजार तक पहुंचने में 75 दिनों का वक्त लगा था. इसके बाद ये महामारी 10 हजार से 20 हजार तक सिर्फ 8 दिनों में पहुंच गई. 20 हजार से 30 हजार मरीजों तक 7 दिनों में और 30 हजार से 40 हजार तक पहुंचने में सिर्फ 4 दिनों का वक्त लगा. यानी देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार लगातार बढ़ रही है.

पिछले 24 घंटे में 3 हजार 8 75 नए मामले आए हैं. सोमवार की तुलना में देश में 24 घंटे में मिले नए मामलों में तेजी आई है. सोमवार को संक्रमण के 2 हजार 5 73 मामले सामने आए थे. देश में अब कोरोना संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 46 हजार 700 से ज्यादा हो चुकी है.

अब तक 1 हजार 583 लोगों की मौत हुई है और पिछले 24 घंटे में 194 लोगों की जान गई है. इन 194 में से 98 मौतें सिर्फ पश्चिम बंगाल में हुई हैं. और ये 24 घंटे में हुई मौतों का सबसे ज्यादा आंकड़ा है. सोमवार को इस महामारी से 83 लोगों की जान गई थी.

एक तरफ कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ें और दूसरी तरफ शराब की दुकानों के सामने मीलों तक लगी लंबी लाइनें भारत के चरित्र की पोल खोलती हैं.

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