मत्स्यपालन

राजनांदगांव : मत्स्य पालन से संवर रही जिंदगी : नवाचार करते हुए गौठानों में तालाब निर्माण कर मत्स्यपालन को किया जा रहा प्रोत्साहित…

मोंगरा बैराज जलाशय में 1 करोड़ 15 लाख रूपए की लागत से किया जा रहा केज कल्चरमत्स्य पालन को कृषि…

3 years ago

राजनांदगांव : सुरजू ढीमर ने मत्स्यपालन के माध्यम से समृद्धि की दिशा में बढ़ाए कदम….

शासन से मिली मदद, राज्य शासन द्वारा मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने से जिले में मत्स्यपालन की गतिविधियों…

3 years ago

दुर्ग : मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई 423 डबरी : डीएमएफ और मनरेगा से मत्स्यपालन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम….

अब धीरे-धीरे भर रही डबरी, पांच हजार रुपए मत्स्यपालन के लिए डीएमएफ के माध्यम से दी गई सहायता  मत्स्यपालन के क्षेत्र में बड़ी कारगर होंगी डबरी, मनरेगा और डीएमएफ के समन्वय से तैयार की गई अनूठी योजना से मत्स्यपालन के क्षेत्र में जल्द ही मिलेगी कारगर सहायता कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने किया धमधा ब्लाक के गाँवों में निर्मित डबरियों का किया निरीक्षण दुर्ग 28 जुलाई 2021ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविकामूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं पशुपालन के साथ ही मत्स्यपालन को भी प्राथमिकता से जिला प्रशासन द्वारा फोकस किया जा रहा हैइस साल जिले में 423 डबरी बनाई गई हैं इनमें 293 डबरी व्यक्तिगत हितग्राहियों के लिए और 130 डबरी सामुदायिक बनाई गई है मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्यबीज एवं अन्य जरूरतों के लिए डीएमएफ के माध्यम से पांच हजार रुपए दिये गए हैंआज कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने धमधा ब्लाक में निर्मित डबरियों का निरीक्षण कियाकलेक्टर ने व्यक्तिगत हितग्राहियों की डबरियों का निरीक्षण किया।  हितग्राहियों ने बताया कि मनरेगा के माध्यम से डबरी का काम हुआ है और डीएमएफ के माध्यम से पांच हजार रुपए मत्स्यपालन के लिए मिले हैं। जैसे ही डबरी में पर्याप्त पानी भर जाएगा, हम मत्स्यपालन आरंभ कर देंगे कलेक्टर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक आय दोगुनी करने के लिए बहुत जरूरी है कि कृषि के साथ ही पशुपालन और मत्स्यपालन जैसी गतिविधियों को बढ़ाया जाए।  उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक तरीके से मत्स्यपालन करने के लिए आपको मत्स्य विभाग द्वारा आवश्यक सलाह एवं तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। सही तरीके से मत्स्यपालन करने से छोटी सी डबरी के माध्यम से भी बढ़िया आय हासिल की जा सकती है।चारागाहों में नैपियर धास का उत्पादन भी देखा- कलेक्टर ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा चारागाहों में उत्पादित नैपियर घास भी देखा। महिलाओं ने बताया कि उन्हें इसके लिए पशुपालन विभाग से सहायता मिली। साथ ही जुताई के लिए भी राशि प्राप्त हुई। इसके साथ ही मनरेगा के माध्यम से फेंसिंग कार्य भी किया गया। कलेक्टर ने जनपद सीइओ को सभी चारागाहों में उत्पादित किए जा रहे नैपियर घास की कटाई एवं इसके उपयोग के लिए कार्यायोजना बनाने के निर्देश दिए।

3 years ago

This website uses cookies.