VISION TIMES: बचपन में एकदम चुप्पा थे वैज्ञानिक आइंस्टीन, गर्म सूप पीते हुए पहली बार गुस्से में की बात…

Albert Einstein Death Anniversary: एक रात डिनर टेबल पर गर्मागर्म सूप पीते हुए नन्हे अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) का मुंह जल गया. टेबल पर साथ खा रहे घरवालों को तब गुस्साए बच्चे के मुंह से एक पूरा वाक्य सुनाई दिया- सूप कितना गर्म है. ये पहला वाक्य था जो आइंस्टीन ने कहा था.

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आज 18 अप्रैल को महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) का प्रिंसटन में निधन हुआ था. साल 1955 में निधन के समय उनकी उम्र 76 वर्ष थी. तब तक दुनिया उनके दिमाग का लोहा मानने लगी थी. हालांकि आइंस्टीन का बचपन उनकी बाद की छवि से कतई मेल नहीं खाता था. यहां तक कि उनकी भुलक्कड़ी के किस्से भी कुछ कम नहीं हैं. उनकी खराब याददाश्त को लेकर कई बातें वैज्ञानिक तबके में बताई जाती रही थीं. पढ़ें, आइंस्टीन की याददाश्त के कुछ दिलचस्प किस्से.

लगभग 4 साल का होते तक आइंस्टीन ने नहीं की बात 

मार्च 1879 में जर्मनी में एक यहूदी इंजीनियर के घर जन्मे अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में कहा जाता है कि जन्म के लगभग 4 सालों तक उन्होंने एक भी शब्द नहीं कहा. इस बारे में आइंस्टीन ने खुद एक लेखक Carl Seelig को बताया था कि कैसे 2 साल का होने पर उनके दादा-दादी उनसे मिलने आए और एकदम चुप बच्चा देखकर उन्होंने पूरे परिवार को चिट्ठी लिखकर ये बात बताई थी.

सूप पीते हुए पहली बार वाक्य कह डाला

घरवालों ने उस जमाने के हिसाब से आइंस्टीन की खूब जांच करवाई. सबने एक सुर में कहा कि बच्चा बिल्कुल ठीक है लेकिन कोई भी बच्चे के न बोलने की वजह नहीं बता सका . एक रात डिनर टेबल पर गर्मागर्म सूप पीते हुए आइंस्टीन का मुंह जल गया. टेबल पर साथ खा रहे घरवालों को तब बच्चे के मुंह से एक पूरा वाक्य सुनाई दिया- सूप कितना गर्म है.

टैक्सी में बैठे लेकिन अपना पता भूल गए 


युवा आइंस्टीन के मनमौजीपन और कमजोर याददाश्त को लेकर कहा जाता है कि उन्हें अपने घर का पता भी भूल जाता था. नाजी उग्रता के कारण वे तब जर्मनी से अमेरिका जा बसे थे और वहां Institute of Advanced Study in Princeton में पढ़ा रहे थे. यूनिवर्सिटी से लौटते हुए एक बार वे टैक्सी में बैठे लेकिन घर का पता भूल गए. टैक्सीवाले के पूछने पर उन्होंने उल्टे पूछा- तुम अल्बर्ट आइंस्टीन का घर जानते हो क्या. इस पर ड्राइवर ने कहा कि हां, मुझे पता है. आप उनसे मिलना चाहते हैं तो मैं आपको उनके घर तक पहुंचा सकता हूं. ड्राइवर ने उन्हें घर पहुंचाया, तब जाकर आइंस्टीन ने उसे अपना परिचय दिया.

जो किताब में लिखा हो, उन्हें याद रखने की क्या जरूरत


आइंस्‍टीन की खराब यादाश्‍त को लेकर एक किस्‍सा और है. एक बार एक सहकर्मी ने उनसे उनका टेलीफोन नंबर पूछा. इस पर वह पास रखी टेलीफोन डायरेक्टरी में अपना नंबर ढूंढने लगे. इस पर सहकर्मी ने कहा कि आपको अपना टेलीफोन नंबर भी याद नहीं है. आइंस्‍टीन ने कहा कि मैं वो चीज क्‍यों याद रखूं, जो मुझे किताब में ढूंढने से मिल जाती है.

एक मंजिला घर के लिए लिफ्ट लगवाना चाहा 
आइंस्टीन विज्ञान की दुनिया में जितने महान थे निजी जिंदगी में उतने ही सरल. एक बार की बात है उन्हें किसी ने लिफ्ट के बारे में बताया. लिफ्ट की खूबी बताते हुए कहा कि इससे समय बचता है. सीढ़ी चढ़ने उतरने की मेहनत बचती है. आइंस्टीन को ये आइडिया बड़ा अच्छा लगा. उन्होंने अपने घर में लिफ्ट लगवाने का ऑर्डर दे दिया. लिफ्ट लगाने वाली कंपनी से जब लोग उनके घर पहुंचे तो पता चला कि आइंस्टीन का घर तो एक मंज़िल का ही है.

एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षण

साल 2003 में आइंस्टीन पर रिसर्च कर रहे कुछ वैज्ञानिकों ने माना कि बचपन में उन्हें एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger syndrome) रहा होगा. Cambridge और Oxford दोनों ही यूनिवर्सिटीज के वैज्ञानिकों ने मिलकर ये शोध किया, जिसके अनुसार आइंस्टीन में बचपन में एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षण थे.

क्या है ये सिंड्रोम 


इस सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे का दिमागी विकास कमजोर होता है. स्टडी में शामिल कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट Simon Baron-Cohen ने New Scientist magazine के अनुसार आइंस्टीन में बचपन में वे सारे लक्षण थे जो किसी भी एस्पर्जर से जूझ रहे बच्चे में होते हैं, जैसे लंबे वक्त तक न बोलना. बोलने पर लंबी-लंबी बात करना. बार-बार भूलना. आइंस्टीन पर ये रिपोर्ट वॉशिंगटन पोस्ट में छपी थी.

Source: hindi.news18.com