दो एकड़ किराये की जमीन से शुरुआत की थी, आज 20 एकड़ में ले रहे फसल
कोई शब्द ऐसा नहीं है, जिससे मंत्र न बन सकता हो। कोई वनस्पति ऐसी नहीं है, जिससे औषधि न बन सकती हो। कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है, जो किसी काम न हो।- अपनी इसी सोच के साथ सुरेश निर्मलकर ने अपनी बेरोजगारी की चिंता को ताक पर धर कर खुद ही खुद के पैरों पर खड़ा होने की ठानी थी। बीए की डिग्री लेकर कभी नौकरी के लिए यहां-वहां भटका करते थे, आज 40 लोगों को स्वयं रोजगार दे रहे हैं।
कोरबा जिले के सुरेश निर्मलकर ने जिले के विकास कार्यों के लोकार्पण और भूमिपूजन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को बताया कि उन्हें नौकरी तलाशने के बजाय खेती करने की सलाह उद्यानिकी विभाग से मिली थी। सहयोग का आश्वासन भी मिला था। शुरुआत में 2 एकड़ जमीन किराए पर लेकर खेती शुरु की। पहली ही बार में 6 लाख रुपए का खीरा और 2 लाख रुपए की बरबट्टी बिक गई। उत्साह बढ़ा तो और जमीन किराये पर ले ली।
आज 20 एकड़ में खेती कर रहे हैं। बीज से लेकर सिंचाई व्यवस्था तक उन्हें राज्य सरकार के उद्यानिकी विभाग से मदद मिल रही है। मुख्यमंत्री ने श्री निर्मलकर को बधाई देते हुए कहा कि शासन की योजनाओं का आपने भरपूर लाभ लेकर न सिर्फ खुद स्वावलंबी बने बल्कि दूसरों को भी रोजगार देकर एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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