पृथक छत्तीसगढ़ के निर्मांण की संकल्पना
शनिवार 25 जुलाई का दिन छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) राज्य के लिए काफी अहम है। आज ही के दिन वर्ष 1998 में मध्यप्रदेश विधानसभा(madhyapradesh vidhansabha) में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए शासकीय संकल्प पारित हुआ था। मध्यप्रदेश के जमाने में छत्तीसगढ़ के हिस्से से चुनाव जीतकर विधानसभा की दहलीज पर पहुंचने वाले विधायक चाहे वे सत्ताधारी दल के हों या फिर विपक्षी पार्टी के। समय-समय पर विधानसभा में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को लेकर अपनी आवाज बुलंद करते रहते थे। निर्वाचित विधायक दलगत राजनीति से ऊपर उठकर क्षेत्रीयता के लिए तब संघर्ष करते भी दिखाई देते थे।
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को लेकर लंबी लड़ाई भी चली। इसी का परिणाम है कि 25 जुलाई 1998 को विधानसभा में एक शासकीय संकल्प भी पारित हुआ। इतिहास पर नजर डालें तो उस वक्त मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार काबिज थी। दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे। शासकीय संकल्प पारित करने के दौरान उनकी भूमिका भी सबसे अहम रही। उनकी देखरेख में ही ड्रॉफ्टिंग की गई थी। छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले मंत्रियों और राजनेताओं का संघर्ष दो साल तब रंग लाया जब प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ के साथ ही उत्तराखंड व झारखंड के गठन की घोषणा की। मध्यप्रदेश का विभाजन हुआ और एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ नए राज्य के रूप में देश के नक्शे पर छा गया। उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य का विभाजन कर उत्तराखंड व बिहार से एक हिस्सा अलग कर झारखंड राज्य का निर्माण हुआ।
लोकसभा में पेश हुआ छत्तीसगढ़ संशोधन विधेयक
25 जुलाई 1998 को ही केंद्र सरकार ने लोकसभा में छत्तीसगढ़ संशोधन विधेयक पेश किया था। तब लोकसभा में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से पुन्नूलाल मोहले,सरगुजा से खेलसाय सिंह,रायगढ़ से विष्णुदेव साय,जांजगीर लोकसभा से डॉ. चरणदास महंत और सारंगढ़ लोकसभा से पीआर खूंटे ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर समर्थन जताया था।
25 जुलाई 1998 का दिन हम सब छत्तीसगढ़वासियों के लिए यादगार बन गया है। खासकर हमारे लिए यह गौरव की बात है। इतिहास के इस महत्वपूर्ण क्षण का हम भी साक्षी बने। तब हम लोकसभा में ही थे। जब छत्तीसगढ़ संशोधन विधेयक पारित किया गया था। छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समर्थन किया था। इसी का परिणाम है कि आज हम सब छत्तीसगढ़ राज्य में हैं।
आज का दिन हम सबके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। लोकसभा में छत्तीसगढ़ संशोधन विधेयक पारित हुआ था। हम भी इस महत्वपूर्ण क्षण के गवाह बने। सांसद के रूप में हमने भी अपनी भावना प्रकट की। हमारे लिए गौरव की बात है कि संशोधन विधेयक का हम भी महत्वपूर्ण हिस्सा बने।
अविभाजित मध्यप्रदेश के दौर में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण हम सबका सपना था। राज्य निर्माण के लिए हम सबने मिलकर काम किया। सभी का भरपूर सहयोग मिला। चूंकि उस वक्त मप्र में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री के पद पर दिग्विजय सिंह काबिज थे, जिनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।