पांच राज्यों को खुले बाजार से 9,913 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेने की मंजूरी केंद्र सरकार ने दी…

केंद्र सरकार ने 24 सितम्बर 2020 को पांच राज्यों को खुले बाजार से 9,913 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेने की मंजूरी दे दी. यह अनुमति कोविड-19 संकट के कारण राजस्व में कमी के बीच व्यय जरूरतों को पूरा करने के लिये राज्यों को दी गयी है.

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वित्त मंत्रालय ने खुले बाजार में उधार के माध्यम से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक और त्रिपुरा को 9,913 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने की अनुमति दी है. यह अनुमति इन राज्यों को ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ के कार्यान्वयन की शर्त के बाद मिली है.

वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला व्यय विभाग ने कर्नाटक के लिये 4,509 करोड़ रुपये, तेलंगाना के लिये 2,508 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश के 2,525 करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज लेने को मंजूरी दी है. गोवा को 223 करोड़ रुपये और त्रिपुरा को 148 करोड़ रुपये बाजार से कर्ज लेने की मंजूरी दी गयी है.

केंद्र सरकार ने कोविड-19 संकट को देखते हुए मई में राज्यों को वित्त वर्ष 2020-21 के लिये सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 2 प्रतिशत तक अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दी थी. कर्ज की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी गयी थी. इसके तहत सभी राज्य कुल मिलाकर 4,27,302 करोड़ रुपये तक जुटा सकते हैं. कुल 2 प्रतिशत में से केवल 0.5 प्रतिशत बिना किसी शर्त के है.

राज्यों को राज्य स्तर पर चार सुधारों को लागू करना होगा. इसमें प्रत्येक सुधार के लिये भारांश जीएसडीपी का 0.25 प्रतिशत रखा गया. इसके आधार पर प्रत्येक सुधार के लिये 0.25 प्रतिशत की दर से कर्ज जुटाने की अनुमति होगी. ये चार सुधार हैं एक देश एक राशन कार्ड व्यवस्था, कारोबार सुगमता में सुधार, शहरी स्थानीय निकाय/ उपयोगी सेवाओं में सुधार तथा वितरण कंपनियों के निजीकरण के जरिये बिजली क्षेत्र में सुधार. शेष एक प्रतिशत कर्ज सीमा दो किस्तों 0.50 प्रतिशत-0.50 प्रतिशत में जारी की जाएगी. पहले किस्त की अनुमति बिना किसी शर्त के सभी राज्यों को तुंरत मिलेगी. वहीं 0.50 प्रतिशत की दूसरे किस्त की अनुमति कम-से-कम उक्त सुधारों में से तीन को लागू करने पर मिलेगी.

केंद्र सरकार पहले ही जून 2020 में खुले बाजार से कर्ज (ओएमबी) के जरिये 0.50 प्रतिशत की अनुमति दे चुकी है. इससे राज्यों के पास 1,06,830 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध हुई है. राज्यों के लिये वित्त वर्ष 2020-21 के लिये शुद्ध रूप से 6.41 लाख करोड़ रुपये (3 प्रतिशत) कर्ज की सीमा तय है.