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भिलाई में भारतीय स्टेट बैंक की महिला कर्मचारियों की सूझबूझ से 45 लाख रूपये की ठगी से बची महिला ग्राहक , घर में बेटे के साथ डिजीटल अरेस्ट कर दी जा रही थी गिरफ्तारी की धमकी,35 लाख रूपये का एफ.डी. तुड़वाने बैंक पहुंची, तब बैंक के महिला कर्मचारियों को हुआ शक.
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दुर्ग , छत्तीसगढ़ / छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई के भारतीय स्टेट बैंक की रिसाली ब्रांच के महिला कर्मचारियों की सूझबूझ से एक विधवा महिला 45 लाख रूपये की ठगी की शिकार होने से बच गई। साइबर ठगों ने विडियो कॉल के जरिए महिला को उसके बेटे के साथ घर में डिजीटल अरेस्ट कर मनगढ़ंत मामले में गिरफ्तारी की धमकी दिया। घबराहट में महिला अपने 35 लाख रूपये की एफडी तुड़वाने बैंक पहुंची। यहां पर महिला को चिंतित भाव में किसी से विडियो कॉल पर बातचीत करते देख बैंक के महिला कर्मचारियों को दाल में काला होने का शक हुआ। बैंक कर्मचारियों की सतर्कता से ना सिर्फ महिला डिजिटल अरेस्ट से बची, बल्कि उसके 45 लाख रुपए भी बच गए।
भिलाई के रिसाली क्षेत्र की एक विधवा महिला और उसका 22 साल का बेटा अपने घर में थे। सुबह करीब 6 बजे पहले साइबर ठगो ने महिला और उसके बेटे को वीडियो कॉल किया। खुद को साइबर क्राइम अधिकारी बताया। महिला को कहा गया कि वह सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो वीडियो डाल रही हैं। कॉलर ने दावा किया 28 सितंबर को 1.46 बजे वो मुंबई में क्या कर रही थीं और कहां गई थीं। इसके बाद कहा गया कि मुंबई क्राइम ब्रांच में उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ है।
महिला को कहा गया कि वो मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त हैं। उनके आईसीआईसीआई बैंक में बड़ा अमाउंट आया है। उन्होंने वीडियो कॉल में ही आईसीआईसीआई बैंक के हेड-क्वार्टर में बैठी अधिकारी पूजा महात्रे और दीपेंद्र चतुर्वेदी को कॉन्फ्रेंस में लेने की बात कहते हुए बात करवाई। महिला से किसी समाधान पवार से भी बात करवाई।
उसने खुद को इकोनॉमिक इन्वेस्टिगेशन अधिकारी बताया और कहा कि उनके घर आधे घंटे में मुंबई पुलिस गिरफ्तार करने पहुंच रही है। महिला डर गई तो मामले को सेटल करने के लिए बड़े अधिकारी से महिला की बात करवाई। उसने महिला से रुपए उनके खाते में डालने की बात कही। उसे जेल जाने से बचाने के लिए लाखों रुपए में सौदा किया।
इस पूरे वाक्ये से घबराकर महिला सीधे भारतीय स्टेट बैंक रिसाली ब्रांच में गई। यहां पर उसने अपने 35 लाख रुपए के एफडी को तुड़वाने दस्तावेजी औपचारिकता पूरी करने लगी।
उसकी चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थी और किसी से विडियो कॉल पर बात भी कर रही थी। इससे बैंक के महिला स्टॉफ को शक हुआ उन्होंने तुरंत मैनेजर विनीत नायर को घटना की जानकारी दी । उनके बैंक की एक ग्राहक बैंक में अपनी 35 लाख की एफडी को तुड़वाने आई थीं। बड़ा अमाउंट ट्रांसफर होने के कारण हमें डाउट हुआ। महिला काफी परेशान थी और लगातार किसी से वीडियो कॉल में टच पर थी। महिला ने अपने सेविंग और एफडी के पैसे मिलाकर कुल 45 लाख रुपए दूसरे बैंक में ट्रांसफर करने के लिए आरटीजीएस फॉर्म भरा।
बैंक के अधिकारियों ने देखा कि महिला एक साथ इतना बड़ा अमाउंट किसी शिदामोन एंड बाइयामोन के करंट अकाउंट में भेज रही है। यह अकाउंट आईसीआईसीआई बैंक का था, जो कि असम के सिलचर यूकेडी रोड का था। ऐसे में बैंक की ग्राहक सेवा अधिकारी विनीता साहू ने महिला से पूछताछ की।
बैंक के अधिकारियों ने महिला को अलग-अलग बहाने से करीब 2-3 घंटे तक रोककर रखा। इसके बाद बैंक की सहायक प्रबंधक चंदा यादव और ब्रांच मैनेजर विनीत नायर ने महिला की काउंसिलिंग की। उन्हें समझाया और विश्वास में लेकर बताया कि उनके साथ फ्रॉड हो रहा है। तब जाकर महिला ग्राहक समझी और रुपए नहीं भेजे।
इसके बाद बैंक के अधिकारियों ने फिर से महिला के पैसों की एफडी की और उन्हें घर भेजा। महिला ने बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों का धन्यवाद दिया कि उसे इतनी बड़ी ठगी का शिकार होने से उन्होंने बचा लिया। बैंक के महिला कर्मचारियों के सूझ बुझ के द्वारा बैंक के महिला ग्राहक के साथ होने वाले डिजिटल फ्रॉड लाखों रूपये की न होने पर स्टेट बैंक के वरिष्ठ अधिकारियो ने बैंक आकर महिला कर्मचारियों का सम्मान किया.
जिला दुर्ग में भारतीय स्टेट बैंक की शाखा रिसाली यहां पे जो डिजिटल एरेस्ट की जो घटना हुई है उसके बारे में जानकारी देना चाहता हूँ . करीब 2 बजे के आस पास जो की 50 से 52 वर्ष के उम्र की है वे शाखा में प्रवेश किया उन्होंने जल्दबाजी में एफ डी और कुछ व्यक्तिगत खाते और जरूरत के नाम से एफ डी ब्रेक कराया और दूसरे काउंटर पर अपने चेक के माध्यम से आर टी जी एस के माध्यम से बायूचर प्रस्तुत किया जैसा उन्होंने अपना बाउचर प्रस्तुत किया एक सामान्य से प्रक्रिया है
हम अपने कस्टमर से पूछते है इन पेसो को किस लिए भेज रहे है तो कोई भी हर चीज का सवाल करते है तो तुरंत उत्तर न देकर वे फोन लेकर बाहर जाती और आकर बताती कोई भी संबंधित जवाब होती है तो देती इससे हमारी जो स्टॉफ है चिंता साहू को शक हुआ उन्होंने कस्टमर को लेकर हमारी सहायक प्रबंधक चंद्रा अखिलेश यादव के पास पहुंची उन्होंने देखा की यह पैसा सी आसाम के पास जा रहा थे
उन्होंने यह सवाल किया कि यह पैसा सिलचर क्यों भेज रहे है उसका भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया फिर बाहर चले गई उन्होंने फोन से बात कर फिर आई वे बताई कि मुझे जमीन खरीदना है इस पैसा से, तो वह समझ गई कि कोई भी व्यक्ति यह बैठकर सिलचर में जमीन कैसा खरीद सकता है तो उसे बैठाकर रखा गया और उन्हें धीरे धीरे समझाइश दी गई समय के साथ 2 बजे आई थी 4 बजे तक समझ में आया की उनके साथ फ्राड हो रहा है सुबह 9 बजे से वे और उनका बेटा डिजिटल अरेस्ट में थे और वे एक घर में दो घरों में डिजिटल अरेस्ट में थे और एक दूसरे से बात भी नहीं कर पा रहे थे
और 4 बजे तक यह घटना चली और उन्हें घटना समझ आया की गलत हो रहा है फ्राड हो रहा है और बेटा को सचेत किया अपने बेटे को. इस बीच उन्होंने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फसाया गया है और आपके खाते से मनी लॉन्ड्रिंग हुईं है तो उन्होंने फर्जी अरेस्ट वारंट भी व्हाट्सएप किए और कुछ फर्जी आई डी कार्ड भी व्हाट्सएप किए जिसमें बैंक के प्रतिनिधि, आर बी आई के अधिकारी और क्राइम ब्रांच के अधिकारी के फर्जी आई डी कार्ड बनाकर भेजा. ताकि उनको विश्वास हो जाए. और उन्होंने अकाउंट्स नंबर भेजा जिसमें उन्हें पैसे भेजने थे. स्टॉफ की सतर्कता से उनके जीवन भर की जमापूंजी वह सुरक्षित रही.
इसके लिए हमने आपने अधिकारी वर्ग को जानकारी दी और उसके लिए हमारे स्टॉफ को विशेष रूप से पुरस्कृत किया. और एक जन संदेश दिया मैं सभी ग्राहकों से भी निवेदन करना चाहूंगा अगर आपको डिजिटल अरेस्ट के बारे में कोई भी जानकारी हो तो आस पास पड़ोस में जागरूकता फैलाए और बैंक ग्राहकों से भी इसी स्थिति आती है तो तत्काल बैंक से संपर्क करें. स्टेट बैंक भी डिजिटल अरेस्ट के विरुद्ध जागरूकता चलाई जाती है सरकार द्वारा भी जागरूकता चलाई जा रही है और कोई भी घटना किसी अन्य के साथ न हो. डिजिटल अरेस्ट राशि 45 लाख रूपये की थी कस्टमर ने आर टी जी एस के लिए भर कर दिया था.