लंदन. भारतीय व्यापारी विजय माल्या (Indian Businessman Vijay Malya) ने लंदन उच्च न्यायालय (London High Court) को बताया कि राज्य के स्वामित्व वाली भारतीय बैंकों (Indian Banks) को £ 1.05 बिलियन (9,834 करोड़ रुपये) का भुगतान करने के लिए जो संपत्ति वह उन्हें दे रहा है, बकाया कर्ज राशि से अधिक है. माल्या ने कहा कि इसलिए उसके खिलाफ उसके दिवालिया होने की याचिका को फेंक दिया जाना चाहिए क्योंकि बैंकों की लेनदारी पूरी तरह से सुरक्षित हैं. 9 अप्रैल, 2020 को दिवालिया और कंपनियों के जज ब्रिग्स ने याचिका की सुनवाई को छह महीने के लिए स्थगित कर दिया ताकि बैंकों को एक संशोधित याचिका प्रस्तुत करने की अनुमति दी जा सके क्योंकि कोर्ट के अनुसार पहली याचिका गैर-संगत थी.
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कोर्ट ने माल्या को कर्ज भुगतान करने का पूरा मौका दिया
कोर्ट ने माल्या को पूर्ण रूप से अपने कर्ज का भुगतान करने का मौका भी दिया. मंगलवार की सुनवाई में जज ब्रिग्स ने माल्या के ऋणों की बाबत तर्कों की सुनवाई की. माल्या ने तर्क दिया कि अदालत को यूबीएचएल (UBHL) की संपत्ति और उसकी निजी सम्पत्तियों के ऊपर बैंकों द्वारा जब्त सिक्योरिटी को ध्यान में रखना चाहिए और इसलिए बैंकों की याचिका को ख़ारिज कर देना चाहिए.
बैंकों ने दिया यह तर्क…
वहीं बैंकों ने यह तर्क दिया कि माल्या की सम्पत्तियों पर कोई सिक्योरिटी नहीं रखी गई है और यूबीएचएल (UBHL) और उसकी निजी सम्पत्तियों को लेने के लिए बहुत से लेनदार कतार में लगे हुए हैं. बैंकों ने यह भी बताया कि संपत्तियों को लेकर विजय माल्या की प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के साथ भी लड़ाई चल रही है.
माल्या के खिलाफ बैंकों ने क्रिमिनल कम्पलेन की
माल्या का प्रतिनिधित्व कर रहे फिलिप मार्शल क्यूसी ने कहा कि बैंकों ने ही माल्या के खिलाफ क्रिमिनल कम्प्लेन की जिसके कारण प्रवर्तन निदेशालय भी इन सम्पत्तियों की लड़ाई में जुड़ गया है. समस्या यह है कि अब बैंक स्वयं अपनी सिक्योरिटी को समझ नहीं पा रहे हैं.
फिलिप ने यह भी बताया कि डीआरटी (DRT) और न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह, पीएमएल पुनर्विचार संबंधी न्यायाधिकरण, दिल्ली के अध्यक्ष ने यह निर्णय सुनाया था कि माल्या के मामले में बैंक सुरक्षित लेनदार है और उनके पास उसकी संपत्तियां हैं. वहीं मुंबई में भी पीएमएल अपीलीय न्यायाधिकरण में माल्या के खिलाफ मुकदमे में भी बैंकों को कहा सुरक्षित लेनदार कहा गया फिर भी बैंकों ने लंदन में यह दावा किया कि उनके पास किसी तरह की कोई सिक्योरिटी नहीं है जो उनकी बातों को ही गलत ठहराता है. बैंकों का दावा है कि उनका माल्या पर £ 1.05 बिलियन (9,834 करोड़ रुपये) बकाया है जिसमें 2005 से 2019 तक ऋण वापस नहीं चुकाने के लिए 11.5% वार्षिक ब्याज भी जोड़ा गया है. माल्या ने इस ब्याज के खिलाफ कानूनी मुकदमा दायर किया है.