खेतीहर मजदूर से अब समल बन गया किसान
वनाधिकार पट्टे से फसल ऋण लेने में हुई सहूलियत
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वन भूमि में कई वर्षों से काबिज काश्त करने वाले वनवासियों को जंगल जमीन का मालिकाना हक प्रदान करने की महत्वाकांक्षी योजना जिले के बीजापुर तहसील अंतर्गत आदिवासी भूमिहीन समल कुड़ियम के लिए जीवन का आधार बन गया है। पहले दूसरे किसानों के यहां खेतीहर मजदूर का काम करने वाला समल कुड़ियम वनाधिकार पट्टा मिलने से अब पूरी मेहनत और लगन के साथ खेती-किसानी कर किसान बन गया है।
राज्य सरकार के इस योजना की सराहना करते हुए कृषक समल कुड़ियम ने बताया कि इस जमीन पर उसके पिता करीब 26 वर्षों से काबिज होकर काश्त कर रहे थे, फिर भी उक्त जमीन का मालिकाना हक मिलने की चिंता रहती थी। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के संवेदनशील फैसले के फलस्वरुप उसे इस जमीन का वनाधिकार मान्यता पत्र मिलने से उसकी वर्षों पुरानी मुराद पूरी हो गयी है और यह जमीन उसके परिवार के भरण-पोषण हेतु वरदान साबित हो रही है। समल कुड़ियम बताते हैं कि उसके परिवार के द्वारा इस जमीन पर वर्षों से काबिज होकर खेती-किसानी करने के कारण भावनात्मक जुड़ाव हो गया था। करीब 10 वर्ष पहले पिताजी का स्वर्गवास होने के बाद इस जमीन पर वह निरंतर खेती-किसानी कर रहा था।
राज्य सरकार के निर्णय के फलस्वरुप उसे 0.898 हेक्टेयर करीब 2 एकड़ 30 डिसमिल उक्त जमीन का वनाधिकार मान्यता पत्र प्राप्त होना उसके लिए किसी बड़े सपने का साकार होने जैसा है। वनाधिकार पट्टा मिलने से वह अब किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये फसल ऋण भी दो बार ले चुका है, जिससे खेती-किसानी के लिए सहायता मिल रही है। समल कुड़ियम ने बताया कि आज इस खेती जमीन पर धान के साथ ही मक्का का भी उत्पादन कर रहे हैं, और पर्याप्त खाद्यान्न उत्पादन करने के फलस्वरूप 6 सदस्यीय परिवार का आसानी के साथ जीवन-निर्वाह कर रहे हैं।
समल ने बताया कि गत वर्ष उसने 30 क्विंटल धान लैम्पस सोसायटी में बेचा था। इस दौरान धान की 54 हजार 450 रुपए उसके बैंक खाते में जमा हो गयी थी, जहां से 15 हजार रूपये फसल ऋण की राशि जमा किया। वहीं राज्य शासन द्वारा 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन के तहत् राजीव किसान योजना से शेष अंतर की राशि का भुगतान सीधे किसानों के खाते में करने के निर्णय के फलस्वरुप पहली किश्त में 5 हजार 138 रुपए उसके बैंक खाते में अंतरित किया गया। समल बताते हैं कि लाॅकडाउन के दौरान जब सभी काम-धंधे बंद थे, ऐसे मुश्किल वक्त में राजीव किसान न्याय योजना की राशि मिलने के फलस्वरुप घर-परिवार की बेहद जरुरी कार्यों को पूरा करने में मदद मिली।
समल कुड़ियम से अभी हाल ही में उसके खेत पर भेंट होने पर उन्होनें बताया कि इस वर्ष भी वह उक्त जमीन में धान की फसल लगाया है और करीब आधा एकड़ बाड़ी में मक्का की कतार बोनी किया है। समल अपने काबिज काश्त वन भूमि का पट्टा देने के लिए राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहते हैं यह सरकार की हमारे जैसे भूमिहीन लोगों के लिए सबसे बड़ी सौगात है जो घर-परिवार के भरण-पोषण के लिए सहायक साबित हो रही है।