राजनांदगांव : कलेक्टर ने की स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा…

राजनांदगांव 07 दिसम्बर 2021। कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने आज  कलेक्टोरेट सभाकक्ष में स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक ली। कलेक्टर सिन्हा ने कहा कि स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग जिले की उन्नति के सूचक होते हैं। जहां स्वास्थ्य की सुविधाएं अच्छी हो, जिला अच्छा होता है। सुपोषित बच्चों की संख्या अधिक, कम एनीमिक माताएं, अच्छा वैक्सीनेशन, स्वस्थ गर्भवती माताएं हो, ऐसा जिला विशेष जिला कहलाता है। किसी भी जिला के विशेष होने के लिए स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दोनों विभागों में समन्वय से कार्य किया जाना जरूरी है।

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उन्होंने कहा कि मितानीन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य विभाग की टीम अच्छा कार्य कर रही है। वैक्सीनेशन, कुपोषण के साथ-साथ आधारभूत सुविधाएं, स्वास्थ्य कार्ड बनाना, कोविड की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सघन सुपोषण अभियान के तहत अच्छा कार्य हुआ है। मानपुर विकासखंड में 216 गंभीर कुपोषित बच्चों के वजन में बढ़ोत्तरी हुई है और गंभीर से सामान्य बच्चों की श्रेणी में आ गए हैं। इसी तरह अन्य विकासखंड में लगातार प्रगति होनी चाहिए।

कलेक्टर सिन्हा ने कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को ध्यान में रखते हुए सेम्पलिंग करने के निर्देश दिए। साथ ही आईसीएमआर में शतप्रतिशत एण्ट्री करना सुनिश्चित करने के लिए कहा। जिन नागरिकों का कोविड वैक्सीनेशन का दूसरा डोज शेष है, उन्हें चिन्हांकित कर वैक्सीनेशन करें। धान खरीदी केन्द्रों में शिविर लगाकर कोविड जांच और टीकाकरण किया जाएं।

आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत विकासखंडों में विभिन्न रोगों के स्क्रीनिंग में तेजी लाएं। उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिला के अंतर्गत अच्छे कार्य होने चाहिए। इसके तहत स्वास्थ्य सूचकांक में वृद्धि होना चाहिए। संस्थागत प्रसव के लिए जागरूक करते हुए बढ़ोत्तरी करें। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में व्यवस्थाएं सुनिश्चित होनी चाहिए।
कलेक्टर श्री सिन्हा ने महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कार्य करना विभाग का मूल कार्य है।

गर्भवती एनीमिक माताएं, गंभीर कुपोषित बच्चों में सुधार जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इनका नियमित जांच करते हुए दवाईयां उपलब्ध कराई जाए। बच्चों के स्वास्थ्य की मानिटरिंग के लिए हेल्थ कार्ड बनाएं। उन्होंने कहा कि जिले के प्रत्येक विकासखंड में कुपोषित एवं एनीमिक  माताओं की ग्राम पंचायतवार सूची होनी चाहिए। मितानीन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सुपरवाईजर, शिक्षक, बीएमओ, सरपंच, स्वास्थ्य विभाग की कार्यशाला आयोजित की जाए।

जिसमें कुपोषित बच्चे और एनीमिक माताओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए गैस सिलेण्डर स्वीकृत की गई है। सभी केन्द्रों में गैस उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। नोनी सुरक्षा योजना अंतर्गत हितग्राहियों को लाभ दिलाना सुनिश्चित करें। प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के तहत हितग्राहियों को शत-प्रतिशत राशि का भुगतान करें।

उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी एवं मितानिन को अवगत कराएं कि शासन की किसी भी एजेंसी द्वारा हितग्राहियों से फोन पर उनका बैंक खाता नंबर, आधार कार्ड की जानकारी नहीं पूछी जाती है। सुरक्षा को ध्यान में रखते फोन पर जानकारी नहीं दें। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी, कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती रेणु प्रकाश सहित स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।