राजनांदगांव: गंभीर कुपोषित बच्चों के सुपोषण के लिए जागरूकता लाना जरूरी-कलेक्टर…

राजनांदगांव- कलेक्टर श्री टोपेश्वर वर्मा ने पोषण माह उत्सव के अवसर पर महिला बाल विकास विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों की बैठक ली। जिसमें सभी एसडीएम, जनपद सीईओ एवं अन्य विकासखंड अधिकारी विडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि गंभीर कुपोषित बच्चों के चिन्हांकित एवं बच्चों को सुपोषित करने के लिए जागरूक करना है। उन्होंने गांवों में पोषण वाटिका का निर्माण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे बच्चों के विकास को मॉनिटर करें। वे 5 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों के सुपोषण के लिए कार्य कर रही है। गंभीर कुपोषित बच्चे डायरिया, निमोनिया एवं मलेरिया जैसी बीमारियों से जल्दी प्रभावित हो जाते है, इसलिए उन पर ध्यान देने की विशेष जरूरत है। राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत जिले में कुपोषण को दूर करने के संबंध में चर्चा की गई। बैठक में अपर कलेक्टर श्री सीएल मारकंडे भी उपस्थित थे।

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इस अवसर पर पोषण माह उत्सव के संबंध में प्रेजेन्टेशन दिया गया। कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्रीमती रेणु प्रकाश ने बताया कि इस अभियान के तहत गंभीर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया जाएगा और निरंतर बच्चे के स्वास्थ्य की मानिटरिंग की जाएगी। घरों में पोषण वाटिका को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता लाई जा रही है। इस योजना के तहत पोषक सूचकांक को बढ़ावा देने की दिशा में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा समन्वित तरीके से प्रभावी कार्य एवं प्रबंधन किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अपर्याप्त भोजन एवं खान-पान सही नहीं होने तथा बीमारी एवं संक्रमण के कारणों से बच्चों में कुपोषण होता है। गंभीर कुपोषित बच्चों के चिन्हांकन के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर अवलोकन किया जा रहा है। माताओं को जागरूकता के लिए सूचना दी जा रही है।

सुपोषण के लिए संचालित योजना की जानकारी भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि कुपोषण को दूर करने की दिशा में माताओं को सुपोषण के लिए शिक्षित करना बहुत जरूरी है। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निरंतर माताओं को स्तनपान, पोषण एवं उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी दे रहे है। इसके साथ ही कुपोषण के लक्षण और बच्चों के विकास की सही मानिटरिंग बेहद महत्वपूर्ण है। सप्ताह में एक बार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं गंभीर कुपोषित बच्चों की माताओं तक पहुंचेगी और उन्हें सभी जानकारी एवं सूचनाएं देंगी। इस कार्य में सामुदायिक सहभागिता के लिए पोषण पंचायत कारगर कदम साबित होगा। पोषण माह में चार पोषण पंचायत होगें। जहां पर गंभीर कुपोषित चिन्हांकित बच्चों के स्वास्थ्य संबंध में चर्चा की जाएगी और उनके पोषण के लिए कार्य किए जाएंगे। हर गांव में एक पोषण वाटिका का निर्माण किया जाएगा। जहां सब्जियां, फल एवं महत्वपूर्ण औषधियां रोपित की जाएगी।