राजनांदगांव : ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन-तिलहन फसल लेने की अपील…

राजनांदगांव 11 नवम्बर 2021। जिले में खरीफ फसलों की कटाई जोरों-शोरो से चल रही है। जिसके बाद गेंहूँ, चना, मसूर, सरसों आदि रबी फसलों की बोआई की जानी है। जिसके लिए विभिन्न रबी फसलों की बोआई कार्यक्रम तैयार किया गया है। जिसमें जिले में संचालित जल सिंचाई परियोजनाओं में जल की उपलब्धता के आधार पर दलहनी एवं तिलहनी फसलों की बोनी की जानी है। इस वर्ष जल सिंचाई परियोजना के माध्यम से केवल दलहनी एवं तिलहनी फसलों के लिए सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराया जाएगा।

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ग्रीष्मकालीन धान उत्पादक कृषकों को परियोजना से सिंचाई उपलब्ध नहीं किया जाएगा। क्योंकि ग्रीष्मकालीन धान में अत्यधिक सिंचाई जल एवं वातावरण में विपरित प्रभाव पड़ता है। वही ग्रीष्मकालीन धान उत्पादन लेने में लगने वाले सिंचाई जल की मात्रा से दोगुने दलहनी एवं तिलहनी फसलों की सिंचाई कर कम लागत में अधिक उत्पादन एवं लाभ प्राप्त किया जा सकता है। किसान ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहनी फसलें जैसे चना, तिवड़ा, मटर, उड़द, मूंग, कुल्थी तथा तिलहनी फसलें जैसे अलसी, सुर्यमुखी, कुसुम, सरसों एवं अनाज वाली फसलों में मक्का फसल का आसानी से सफलता पूर्वक उत्पादन ले सकते हैं।

  जिले में संचालित विभिन्न मध्यम सिंचाई परियोजनावार- रूसे जलाशय परियोजना, पिपरिया जलाशय, मोंगरा जलाशय, सूखानाला जलाशय, घुमरिया नाला बैराज के माध्यम से रबी दलहनी एवं तिलहनी फसलों के लिए सिंचाई जल दिये जाने का कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसी प्रकार लघु सिंचाई परियोजना से सिंचाई जल उपलब्ध कराया जाना है। धान के 01 किलो चावल उत्पादन के लिए 500 लीटर सिंचाई जल की आवश्यकता होती है, जो किसी भी फसल में लगने वाली जल मांग की तुलना में बहुत ही अधिक है।

ग्रीष्मकालीन धान उत्पादक किसान ज्यादातर नलकूप के माध्यम से सिंचाई करते हैं। जिससे भू-जलस्तर में गिरावट होने से जल निस्तारी आपूर्ति की समस्या निर्मित हो सकती है। आगामी दिनों में भू-जलस्तर में गिरावट होने पर ग्रीष्मकालीन धान उत्पादक कृषकों की नलकूप विद्युत कटौती भी की जा सकती है।

रबी 2021-22 विभिन्न फसलों की बीज मांग की गई है। जिसमें दलहन फसल में 11597 क्विंटल तथा तिलहनी फसलों में 920 क्ंिवटल की बीज मांग की गई है। जिनमें से गेंहू 1454 क्विंटल, चना 4589 क्विंटल तथा अन्य फसलें 35 क्विंटल बीज सहकारी समितियों में भण्डारित की गई है। साथ ही दलहनी, तिलहनी फसलों के क्षेत्र विस्तार हेतु कृषि विभाग में संचालित योजनाओं के तहत प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। किसानों से गीष्मकालीन धान के बदले अन्य दलहनी, तिलहनी एवं मक्का फसल की बोनी करने की अपील की गई है।