राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पर्व छेरछेरा पूर्णिमा की आप सबको बधाई व शुभकामनाएं – शिव वर्मा…

राजनांदगांव । जिला भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला अध्यक्ष व पार्षद दल के प्रवक्ता श्री वर्मा ने छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पर्व छेरछेरा पूर्णिमा की आप सबको बधाई व शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाया जाता है, यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है, उत्सवधर्मिता से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है, इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं।

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श्री वर्मा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ का लोकपर्व छेरछेरा धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व पौष पूर्णिमा के दिन खास तौर पर मनाया जाता है, यह अन्न दान का महापर्व है, छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाया जाता है, यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है। उत्सवधर्मिता से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है।

इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं। वहीं गांव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं, लोक परंपरा के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छेरछेरा का त्योहार मनाया जाता है, इस दिन सुबह से ही बच्चे, युवक व युवतियां हाथ में टोकरी, बोरी आदि लेकर घर-घर छेरछेरा मांगते हैं, वहीं युवकों की टोलियां डंडा नृत्य कर घर-घर पहुंचती हैं,

धान मिंसाई हो जाने के चलते गांव में घर-घर धान का भंडार होता है, जिसके चलते लोग छेर छेरा मांगने वालों को दान करते हैं, इन्हें हर घर से धान, चावल व नकद राशि मिलती है। इस त्योहार के दस दिन पहले ही डंडा नृत्य करने वाले लोग आसपास के गांवों में नृत्य करने जाते हैं, वहां उन्हें बड़ी मात्रा में धान व नगद रुपए मिल जाते हैं, इस त्योहार के दिन कामकाज पूरी तरह बंद रहता है, इस दिन लोग प्रायः गांव छोड़कर बाहर नहीं जाते।