राजनांदगांव 04 जुलाई 2023। मानसून के आगमन के साथ ही जिले में अनाज, दलहन, तिलहन, लघुधान्य, शाक-सब्जी एवं चारा आदि फसलों की बुआई व रोपाई का कार्य प्रगति पर है। बुआई रोपाई के साथ कृषि आदान सामग्री में उर्वरक एक महत्वपूर्ण आदान सामग्री है एवं कृषकों द्वारा पर्याप्त मात्रा में इसकी मांग की जाती है। शासन द्वारा प्रावधानों के अनुसार सहकारी एवं निजी अनुज्ञप्तिधारी दुकानों से उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।

रासायनिक खाद, जैव उर्वरक एवं कार्बनिक खाद का उपयोग विभिन्न फसलों में वैज्ञानिक अनुशंसा के आधार पर उपयोग करने हेतु कृषकों को कृषि विभागीय अमलों के माध्यम से सलाह दी जा रही है। इन आदान सामग्री की कृषकों को उपलब्धता हेतु राज्य एवं जिला स्तर से समीक्षा कर उर्वरक विक्रेताओं के माध्यम से उचित मूल्य एवं मात्रा में उपलब्ध कराने हेतु निरंतर मॉनिटरिंग की जा रही है। गुणवत्ता परीक्षण हेतु मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में नमूना भेजकर परीक्षण उपरांत अमानक होने पर उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 के नियमों के तहत कार्रवाई की जा रही है।
कलेक्टर श्री डोमन सिंह के निर्देशानुसार कृषि व संबद्ध विभाग द्वारा कृषकों को खाद, बीज उपलब्ध कराने लगातार समन्वय कर समितियों तक खाद व बीज का भंडारण किया जा रहा है। वर्तमान में जिले में उर्वरकों के लक्ष्य 49700 मीट्रिक टन के विरूद्ध लगभग 46276.76 मीट्रिक टन लक्ष्य का 93 प्रतिशत खाद का भंडारण कर 36993.67 मीट्रिक टन लक्ष्य का 74 प्रतिशत खाद किसानों को वितरण किया जा चुका है। वर्तमान में 9283.09 मीट्रिक टन खाद अभी भी वितरण हेतु शेष है।
जिले में उर्वरकों के उपलब्धता में कोई कमी नहीं है तथा कृषकों की मांग अनुसार उर्वरक उपलब्धता बनी हुई है। कृषकों को गुणवत्तायुक्त उर्वरक उपलब्ध हो सके इस हेतु नियमित रूप से निरीक्षण कार्य एवं नमूने लेकर प्रयोगशाला को विश्लेषण हेतु भेजा जा रहा है। जिले में खरीफ वर्ष 2023 गुण नियंत्रण अंतर्गत सहकारी एवं निजी क्षेत्रों से कुल लक्ष्य 188 के विरूद्ध 210 नमूना लिया जाकर नमूने प्रयोगशाला को भेजे गये हैं। जिसमें से 130 नमूनों का परिणाम प्राप्त हुआ है तथा सभी मानक स्तर के पाये गये हैं एवं 80 नमूनों का परिणाम अभी आना शेष है।
उर्वरक विक्रेताओं के उचित मात्रा एवं मूल्य में विक्रय की निगरानी हेतु प्रत्येक ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को दायित्व सौंपा गया है। विकासखंड स्तर एवं जिलास्तर से टीम गठित की गई है। जो निरंतर निजी एवं सहकारी क्षेत्र में उर्वरक निरीक्षकों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए उर्वरकों के भंडारण व वितरण एवं उर्वरकों में अनियमितता पाये जाने पर उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 के नियमों के तहत कार्रवाई की जा रही है।