राजनांदगांव: वर्क लोड के बीच नर्सों को कोरोना टेस्ट का दबाव,नर्सों ने किया विरोध

राजनांदगांव। कोरोना के संदिग्ध मरीजों की रैपिड टेस्ट करने की जिम्मेदारी लैब तकनीशियन की है पर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से यह काम नर्सों से कराने मौखिक आदेश जारी कर दिया गया है। नर्सों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। इनका कहना है कि संक्रमण के खतरों के बीच पहले से ही संघर्ष कर रहीं हैं। वर्क लोड भी सह रहे हैं और अब टेस्ट के नाम पर बोझ डाला जा रहा है।नर्सों ने शुक्रवार को अधीक्षक डॉ. प्रदीप बैक का घेराव किया और कहा कि यह काम लैब तकनीशियन से कराया जाए। दबाव डाला जाएगा तो नर्सेस काम छोड़कर आंदोलन में चली जाएंगी। वहीं अधीक्षक का स्पष्ट कहना है कि फिलहाल एस्मा लागू हैं। कोई काम छोड़ नहीं सकता और जांच करना तो रुटीन का वर्क है, यह करना ही होगा। रैपिड टेस्ट से इंकार किए जाने से अस्पताल प्रबंधन और नर्सेस आमने-सामने हो गए हैं। आइसोलेशन में नहीं रख रहे नर्सों ने अधीक्षक से कहा कि यहां लैब तकनीशियनों की कोई कमी नहीं है। 27 से 28 तकनीशियन कार्यरत हैं तो फिर नर्सों पर यह एक्सट्रा बोझ क्यों डाला जा रहा है। नर्सों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि कई संदिग्ध मरीजों को सीधे आइसोलेशन वार्ड में भेजने की बजाए सामान्य वार्डों में रख रहे हैं। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है, जबकि ऐसे मरीजों के लिए ही आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। संसाधनों की कमी, रिस्की है टेस्ट नर्सों का कहना है कि अस्पताल पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध नहीं हैं। इसके बाद भी कोरोना काल में ड्यूटी कर रहे हैं। पीपीई किट से लेकर अन्य संसाधनों की कमी बनी हुई है। ऐसे में रैपिड टेस्ट का रिस्क और कैसे उठा सकते हैं। स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष पीसी जेम्स ने बताया कि नर्सेस पहले से ही काम के बोझ तले दबी हुई हैं। बताया कि तकनीशियन जिम्मेदारी से पीछे हट रहे हैं। इसलिए ऐसा किया जा रहा है। आंदोलन के लिए बाध्य होंगे तकनीशियन पर्याप्त हैं तो यह काम उन्हें ही करना चाहिए। दबाव डाला जाएगा तो संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा। नर्सों ने बताया कि संदिग्ध मरीजों की जांच को लेकर प्रदेश में कहीं भी नर्सेस पर दबाव नहीं है। यह काम तो तकनीकी टीम की ओर से किया जा रहा है। ऐसे भी संदिग्ध मरीजों को दूसरे वार्ड में रखना चाहिए। व्यवस्था बनाने का प्रयास अधीक्षक ने यह कहकर नर्सों को मायूस कर दिया है कि अस्पताल में कई तरह के मरीज आ रहे हैं। वार्डों में ही रैपिड टेस्ट होगा तो पता चल पाएगा कि कौन सा मरीज पॉजीटिव और निगेटिव है। ऐसा करने से अलर्ट हो पाएंगे। अधीक्षक बैक का कहना है कि यह रुटीन का कार्य है और इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। व्यवस्था बनाने के लिए यह ऐसा किया जा रहा है ताकि हर मरीजों का टेस्ट हो सके।

Advertisements