दुर्ग- दुर्ग सीमा पर पहुंचने वाले श्रमिकों को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसका पूरा ध्यान प्रशासन द्वारा रखा जा रहा है। यहां से राजनांदगांव बार्डर में श्रमिकों को उनके गंतव्य तक ले जाने के लिए 40 बसें निरंतर आपरेट कर रही हैं। इसके अलावा जो लोग जिले की सरहद से प्रवेश कर रहे हैं उन्हें संबंधित गांवों के क्वारंटीन केंद्रों तक पहुंचाने के लिए चेकपोस्ट में पांच बसें उपलब्ध कराई गई हैं। ट्रेनों के माध्यम से पहुंचने वाले लोगों को क्वारंटीन केंद्रों तक पहुंचाने के लिए भी पृथक से बसों की व्यवस्था की गई है। सभी चेकपोस्ट में स्वास्थ्य परीक्षण करने के लिए स्वास्थ्य अमला मौजूद है। ट्रेनों के माध्यम से आने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य जांच स्टेशन में ही कराया जा रहा है। इसके पश्चात उन्हें भोजन पैकेट उपलब्ध कराये जा रहे हैं। बाहर से आने वाले श्रमिकों एवं ग्रामीणों के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाये गए हैं जिनमें अभी तक 2125 ग्रामीण क्वारंटीन किये गए हैं। इनके भोजन-पानी की एवं अन्य बुनियादी सुविधाएं स्थानीय अमले द्वारा उपलब्ध कराई गई है। यहां हेल्थ टीम भी मौजूद रहती है जो लगातार क्वारंटीन में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य की मानिटरिंग करती है। कलेक्टर श्री अंकित आनंद एवं जिला पंचायत सीईओ श्री कुंदन कुमार ने तीनों ब्लाकों के क्वारंटीन केंद्रों की स्थिति जानी। उन्होंने चेकपोस्ट पर भी स्थिति जानी। यहां धमधा नाका के पास बेमेतरा के अधिकतर प्रवासी श्रमिक थे। हर आधे घंटे में बसों का फेरा लगाकर लगभग तीन हजार लोगों को उनके जिले तक छोड़ा गया। इसके अलावा अन्य पड़ोसी जिलों में भी श्रमिकों को छोड़ने के लिए वाहनों की व्यवस्था की गई।
ग्रामीण क्षेत्रों में बनाये गए 285 और ब्लाक स्तर पर बनाये गए 5 क्वारंटीन केंद्र-
ग्रामीण क्षेत्रों में 285 क्वारंटीन केंद्र बनाये गए हैं। इनमें पाटन ब्लाक में 112, धमधा ब्लाक में 119 और दुर्ग ब्लाक में 54 क्वारंटीन केंद्र बनाये गए हैं। ब्लाक स्तर पर पाटन में एक, धमधा में तीन और दुर्ग में 1 क्वारंटीन सेंटर बनाये गए हैं। इनमें 2125 ग्रामीणों को क्वारंटीन किया गया है। क्वारंटीन सेंटर की नियमित मानिटरिंग की जा रही है। हर दस गांव के पीछे एक क्लस्टर बनाया गया है। क्लस्टर स्तर का नोडल अधिकारी क्वारंटीन सेंटर के संबंध में नियमित रिपोर्ट एसडीएम को सौंपते हैं।
ट्रेन से अब तक आए 577 श्रमिक- श्रमिक ट्रेनों के माध्यम से 577 श्रमिक लौटे हैं। इनमें दिल्ली, लखनऊ एवं सिकंदराबाद से लौटे श्रमिक शामिल हैं। इन श्रमिकों का मौके पर ही स्वास्थ्य जांच किया जा रहा है। लंच पैकेट उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके पश्चात इन्हें क्वारंटीन सेंटर में भेजा जा रहा है। इसके लिए ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है।
नागरिक भागीदारी भी-
बाहर से लौटकर आ रहे लोगों के लिए श्रमिक सहायता केंद्र बनाये गए हैं। यहां पर अधिकारी श्रमिकों को जलपान कराने के साथ ही अन्य तरह की दिक्कतों की भी जानकारी लेते हैं। जिनके पास अपने घर पहुंचने किसी तरह का साधन नहीं होता। उनके लिए साधन भी यह लोग उपलब्ध कराते हैं। सेवाभावी संगठन भी पूरी शिद्दत से लोगों की मदद में जुटे हैं। अंजोरा बार्डर पर आने वाले श्रमिकों के जलपान की व्यवस्था की जा रही है।