रायपुर : युवा स्वरोजगार से जुड़े, इससे वे स्वयं अपने पैरों पर खड़े होंगे और दूसरों को भी रोजगार देंगे- सुश्री उइके…

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से यहां राजभवन में खादी और ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के छत्तीसगढ़ के राज्य कार्यालय के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री एस.एस. त्रिभुवन ने सौजन्य मुलाकात की। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर अभियान की शुरूआत की है। उन्होंने इसके लिए आवश्यक है कि युवा स्वरोजगार से जुड़े, इससे वे स्वयं अपने पैरों पर खड़े होंगे और दूसरों को भी रोजगार देंगे। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में महिलाएं भी स्वयंसहायता समहू बनाकर स्वयं का उद्यम शुरू कर सकते हैं। इससे महिलाएं जागरूक और सशक्त होंगी। इस कोरोना काल में बड़ी संख्या में श्रमिक प्रदेश में आए हैं। उन्हें खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा संचालित योजना सहित अन्य योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि वे अपना जीवनयापन कर सके। श्रमिकों एवं किसी भी व्यक्ति को स्वरोजगार का ऋण देने से पहले उन्हें संबंधित रोजगार का प्रशिक्षण देना चाहिए, जिससे तकनीकी रूप से दक्ष होने पर वह व्यक्ति योजना के तहत दिये जाने वाले सहयोग का सदुपयोग कर सकेगा।

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सुश्री उइके ने कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार की एक अति महत्वपूर्ण योजना है, प्रदेश के बेरोजगार युवक-युवती इसका लाभ उठाएं। श्री त्रिभुवन ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत इस योजना के तहत स्वयं के उद्यम शुरू करने के लिए रू. 25 लाख तक का ऋण बैंक के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें 35 प्रतिशत तक सब्सिडी हितग्राही को प्राप्त होता है।

एस.टी.एस.सी. एवं महिला वर्ग को ग्रामीण क्षेत्रों में 35 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत तक छूट दी जाती है तथा 5 प्रतिशत तक स्वयं का अंशदान होता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 1 लाख रू. पर एक व्यक्ति को रोजगार देना अनिवार्य होता है। इच्छुक युवक-युवतियां खादी ग्रामोद्योग के कार्यालय के संपर्क कर सकते हैं और इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमारे कार्यालय का दूरभाष क्रमांक 07712886428 है और वेबसाईट www.pmegpeportal.gov.in है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग के निर्देशिका का विमोचन किया। आयोग की तरफ से राज्यपाल को कोसे की बनी शाल और साड़ी भेंट की गई।