लोकवाणी : (आपकी बात-मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के साथ) प्रसारण तिथि-9 अगस्त, 2020

विषय-न्याय योजनाएं, नयी दिशाएं‘

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एंकर
–    सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
–    लोकवाणी की नवीं कड़ी के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी आकाशवाणी रायपुर के स्टूडियो पधार चुके हैं।
–    माननीय मुख्यमंत्री जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    जम्मो सुनवइया, दाई-दीदी, सियान-जवान अऊ लइका मन ला जय जोहार, नमस्कार।
–    कोरोना, कोविद-19 नियंत्रण के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में है, लेकिन यह जानिए कि खतरा अभी टला नहीं है। हम सबको पूरी सावधानी के साथ आगे बढ़ना है। घर से निकलते समय फेस मास्क, फेस कव्हर, फेस शील्ड आदि जो संभव हो, वह साधन अपनाते रहिए।
–    फिजिकल दूरी का पालन कीजिए। भीड़ से बचिए।
–    साबुन से हाथ धोने, बिना वजह घर से बाहर नहीं निकलने जैसे सुरक्षा के हर संभव उपाय करते रहिए।
–    इस तरह हमें आगे काम भी करना है और सुरक्षा अपनाकर अपनी सेहत भी ठीक रखना है।
 एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, यह एक संयोग है कि आज 9 अगस्त के ऐतिहासिक दिन पर लोकवाणी की नवीं किस्त का प्रसारण हो रहा है। इस अवसर पर हमारे श्रोताओं को आपके प्रेरणादायक उद्गारों की प्रतीक्षा है।


माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    9 अगस्त को हम अगस्त क्रांति दिवस के रूप में मनाते हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण प्रसंग इस दिन के साथ जुड़ा हुआ है।
–    द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों का साथ देने के बाद भी, जब अंग्रेजों ने आजादी देने में हील-हवाला किया, तब अहिंसा के पुजारी, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 9 अगस्त 1942 से न सिर्फ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने की घोषणा की, बल्कि ‘करो या मरो’ का नारा भी दिया।
–    8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई सत्र में बापू ने स्वतंत्रता संग्राम को निर्णायक मोड़ देते हुए कहा था-‘‘भारत अर्थात् मानवता के इस विशाल सागर को संसार की मुक्ति के कार्य की ओर तब तक कैसे प्रेरित किया जा सकता है, जब तक कि उसे स्वयं स्वतंत्रता की अनुभूति नहीं हो जाती ? यदि भारत की आंखों की चमक को वापस लाना है, तो स्वतंत्रता को कल नहीं बल्कि आज ही आना होगा।
–    इस घोषणा के बाद महात्मा गांधी को पुणे के आगाखान पैलेस में कैद कर लिया गया। लगभग सभी बड़े नेता गिरफ्तार कर लिये गये।
–    लेकिन अरूणा आसफ अली, मुम्बई के गोवालिया टैंक मैदान में पहुंच गईं और उन्होंने तिरंगा फहरा कर, गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद कर दिया।
–    यह मैदान ‘अगस्त क्रांति मैदान’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया। आजादी की लड़ाई आंधी-तूफान की तरह आगे बढ़ी।
–    1857 से लेकर 1942 तक की हर कुर्बानी का हिसाब लेने के लिए हमारे पुरखों ने सिर पर कफन बांध लिया था। लोगों ने तन-मन-धन सब कुछ न्यौछावर कर दिया और अपना लक्ष्य हासिल करके ही माने।
–    मेरा मानना है कि हमारी आजादी की लड़ाई का हर दौर न्याय की लड़ाई का दौर था।
–    भारत की आजादी ने न सिर्फ भारतीयों के जीवन में न्याय की शुरूआत की, बल्कि दुनिया के कई देशों में लोकतंत्र की स्थापना और जन-जन के न्याय का रास्ता बनाया।
–    आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त की मध्य रात्रि और 15 अगस्त 1947 की पहली घड़ी में जो ऐतिहासिक भाषण दिया था, उसके कुछ अंश सुनाना चाहूंगा।
–    पंडित नेहरू ने आजादी की पहली किरण के साथ कहा था-‘‘ये हमारे लिए एक सौभाग्य का क्षण है, एक नये तारे का उदय हुआ है, पूरब में स्वतंत्रता का सितारा। एक नयी आशा कभी धूमिल न हो ! हम सदा इस स्वतंत्रता में आनंदित रहें।
–    भविष्य हमें बुला रहा है। हमें किधर जाना चाहिए और हमारे क्या प्रयास होने चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और कामगारों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें। हम गरीबी, अज्ञानता और बीमारियों से लड़ सकें। हम एक समृद्ध, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील देश का निर्माण कर सकें।
–    और हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं की स्थापना कर सकें, जो हर एक आदमी-औरत के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सकें।
–    इसलिए आज जब हम न्याय की बात करते हैं, तब एक पूरी पृष्ठभूमि हमारी नजरों के सामने आती है। हमारे पुरखों का त्याग और बलिदान हमें याद रहता है, जो न्याय की बुनियाद है।
–    इसी हफ्ते हम अपनी देश की आजादी की 73वीं सालगिरह मनाने वाले हैं। ये 73 साल, जन-जन को न्याय दिलाने के लिए उठाये गये कदमों के साक्षी हैं।
–    9 अगस्त को हम आदिवासी समाज के विकास के संकल्पों के लिए भी याद करते हैं। 9 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने ‘विश्व आदिवासी’ दिवस घोषित किया था।
–    38 वर्ष पहले आज के दिन दुनिया में अनुसूचित जनजाति के सम्मान और विकास के लिए नए लक्ष्य तय किये गए थे। अब यह देखने और समीक्षा करने का अवसर भी है कि आदिवासी समाज के उत्थान की दिशा और दशा कैसी है। इस ओर कैसे तेजी से प्रगति हो।
–    इस तरह 9 अगस्त हमें न्याय के अनेक स्वरूपों से जोड़ता है। इस दिन के लिए मैं प्रदेश की जनता और विशेष रूप से आदिवासी समाज को बधाई देता हूं।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने न्याय की विरासत और न्याय की अवधारणा के बारे में बहुत रोचक जानकारियां दी हैं। निश्चित तौर पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने दुनिया में न्याय को एक नई परिभाषा दी है। कई नये आयाम दिये हैं। छत्तीसगढ़ में न्याय योजना के नाम से एक नया सिलसिला 21 मई 2020 से शुरू हुआ है। जिसके बारे में यह कहा गया कि देश में इस नये रूप में न्याय योजना की शुरूआत करने वाला पहला राज्य छत्तीसगढ़ है। आइए सुनते हैं इस संबंध में हमारे कुछ श्रोताओं के विचार-
    1.    श्री विनायक सिंह-खैरागढ़ (23 जुलाई 2020/11 नम्बर)
    विनायक सिंह, संगीत और साहित्य नगरी, खैरागढ़। आदरणीय मुख्यमंत्री जी को सादर नमस्कार करता हूॅ। आदरणीय महोदय, पिछले डेढ़ साल से आपकी सभी योजनाएं राज्य के हित में क्षेत्रीय और क्रांतिकारी शासित होकर लाभकारी हो रही है। ’राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ की तरह बहुत महत्वपूर्ण और अनोखी योजना जो है ’गोधन न्याय योजना’ छत्तीसगढ़ के वर्ष का प्रथम त्यौहार हरेली के दिन इसे आपने प्रारंभ किया। इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद। महोदय, छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में गोबर का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। इसका उल्लेख हमारे वेद और शास्त्रों में भी मिलता है।

2.    श्रवण कुमार पटेल, ग्राम- बकतरा, जिला-रायपुर
(24 जुलाई 2020/48 नम्बर)
मुख्यमंत्री जी का न्याय योजनाएं बहुत ही सराहनीय है। इनका प्रभाव पूरे छत्तीसगढ़ में बहुत अच्छी तरीके से हो रहा है। सभी योजनाएं फल-फूल रहे हैं।
3.    मोहन लाल देवांगन, रायपुर  (23 जुलाई 2020/ 50 नम्बर)
    माननीय मुख्यमंत्री जी सादर प्रणाम स्वीकार करें। लोकवाणी का मैं नियमित श्रोता। ‘‘न्याय योजनाएं नई दिशाएं’’ इसके बारे में बतायें। अभी जो रोड में गाय थे ले जा रहे है ये अच्छी बात है और दुकानदार के  यहां गाय आ जाते थे वो गोबर जो रोड में फेकता था वो भी कम हो जाएगा। ये बहुत अच्छा काम हो रहा है।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी इन न्याय योजनाओं को लेकर आपके मन में विचार किस प्रकार आया और भविष्य में क्या संभावनाएं देखते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    जैसा कि मैंने पहले कहा है-भारत माता को फिरंगियों की गुलामी से मुक्त कराना ही न्याय की दिशा में सबसे बड़ी सोच और सबसे बड़ा प्रयास था।
–    इसीलिए हम, हमेशा अपने उन पुरखों को याद करते हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था। उस दौर में ऐसे लोग बहुत कम थे जो आजादी और उसके माध्यम से बहने वाली न्याय की धारा के खिलाफ थे।
–    जिनके वंशज ही बाद में देश की एकता, अखण्डता, सामाजिक सद्भाव और समरसता के खिलाफ खड़े पाये गये। भूलना नहीं चाहिए ऐसे लोग सर्वहारा, किसानों, मजदूरों, आदिवासियों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया में बाधक होते रहे।
–    कट्टरता तथा अलगाव की सोच से देश को बचाना आज भी एक बड़ी चुनौती है।
–    दुनिया ने देखा है कि किस प्रकार हमारा संविधान समाज के हर समुदाय को न्याय देने का आधार बना।
–    आम जनता को समानता के अधिकार, अवसर और गरिमापूर्ण जीवन उपलब्ध कराने के सिद्धांत के आधार पर अन्याय की जंजीरों से मुक्ति दिलाई गई। हमारे पुरखों का संघर्ष न्याय दिलाने के लिए कानूनी प्रावधान बनाने और उनके पालन करने का भी रहा है।
–    इस कड़ी में देश और दुनिया की बदलती परिस्थितियों में हमारे वर्तमान वरिष्ठ नेताओं ने महसूस किया कि प्रत्येक व्यक्ति को न्यूनतम आय मिलना भी उसका अधिकार है।
–    संविधान प्रत्येक नागरिक को अपने जीवन यापन के लिए कोई भी वैध व्यापार, व्यवसाय, कार्य करने का अधिकार देता है। लेकिन कमजोर तबकों को एक न्यूनतम सुनिश्चित आय हो, जिससे वह आसानी से जीवन यापन कर सके, यह एक नई सोच है।
–    श्री राहुल गांधी जी ने देश और दुनिया के विख्यात अर्थशास्त्रियों से विचार-विमर्श करते हुए ‘न्याय’ की इस अवधारणा को प्रतिपादित किया और इसे जमीन पर उतारने का आह्वान किया।
–    मुझे यह कहते हुए खुशी होती है कि छत्तीसगढ़ में हमने इस न्याय योजना के विविध आयामों पर कार्य करना और एक-एक कर उन्हें जमीन पर उतारना शुरू किया है।
–    आज जब कोरोना संकट के कारण देश और दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में है तब ‘न्याय’ की यही अवधारणा संकटग्रस्त लोगों के जीवन का आधार बन गई है, जिससे लोगों की जेब में सीधे धन राशि जाए और जो ऋण के रूप में नहीं, बल्कि उन्हें सीधे मदद के रूप में हो।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, 21 मई 2020 को पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी के शहादत दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जो ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ की शुरूआत हुई है, उसकी देश में बहुत चर्चा हुई। इसी पृष्ठभूमि और आपकी क्या सोच थी ?
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    17 दिसम्बर 2018 को सरकार बनते ही हमने, पहले दिन से वादा निभाने की शुरूआत कर दी थी। हमने किसानों को 2500 रू. प्रति क्विंटल की दर से तत्काल प्रभाव से भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी।
–    वर्षों से लंबित 17 लाख 82 हजार किसानों का 8 हजार 755 करोड़ रू. कृषि ऋण माफ कर दिया गया।
–    हमने 244 करोड़ रू. का सिंचाई कर माफ कर दिया था।
–    लोहंडीगुड़ा में 1700 से अधिक आदिवासी किसानों की 4200 एकड़ जमीन वापिस कर दी।
–    हमने तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 रू. प्रति मानक बोरा से बढ़ा कर 4000 रू. प्रति मानक बोरा कर दिया ।
–    अब देखिए 7 से बढ़कर 31 वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर हो रही है। और हमारा अनुमान है कि आगे चलकर 2500 करोड़ रू की राशि आदिवासियों तथा अन्य वन आश्रित परिवारों को साल भर में मिलेगी।
–    अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम-2006) एक मील का पत्थर था।
–    लेकिन छत्तीसगढ़ में 12 वर्षों में इसकी जो उपेक्षा की गई वह किसी से छिपी नहीं है। निरस्त दावों का पहाड़ लगा दिया गया था।
–    हमने न्याय को बहुत व्यापक रूप से समझा और पूर्व सरकार द्वारा निरस्त वन अधिकार पट्टों की समीक्षा का फैसला लिया। इस प्रकार अब बड़ी संख्या में व्यक्तिगत तथा सामुदायिक वन अधिकार पट्टे दिये जा रहे हैं।
–    सामाजिक न्याय देने के लिए हमने जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की मुक्ति का निर्णय लिया।
–    झीरम घाटी में हुए हत्याकांड में शहीद परिवारों को न्याय दिलाने का फैसला लिया और इस फैसले को अंजाम तक पहुंचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
–    इस तरह हमने समाज के हर वर्ग को शोषण और अन्याय से मुक्त कराने की दिशा में कार्य किया है।
–    पहले साल धान के किसानों को 2500 रूपए प्रति क्ंिवटल का दाम देने के बाद जब दूसरा साल आया तो एक बड़ी बाधा सामने आ गई।
–    हमने करीब 83 लाख मीट्रिक टन धान खरीद कर एक नया कीर्तिमान बनाया, इन किसानों को 2500 रू. की दर से भुगतान किया जाना था लेकिन केन्द्र सरकार ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
–    ऊपर से यह कहा गया कि यदि हमने केन्द्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से अधिक दर दी तो सेन्ट्रल पूल के लिए खरीदी बंद कर दी जायेगी।
–    इस तरह फिर एक बार हमारे किसान अन्याय की चपेट में आ जाते। ऐसी समस्या के निदान के लिए हमने एक नई योजना शुरू करने की घोषणा की। हमारे नेतृत्व का स्पष्ट निर्देश था कि किसानों को कर्ज से नहीं लादा जाये बल्कि उनकी जेब में नगद राशि डाली जाए।
–    इस तरह समग्र परिस्थितियों पर विचार करते हुए हमने सिर्फ धान ही नहीं बल्कि मक्का और गन्ना के किसानों को भी बेहतर दाम दिलाने की बड़ी सोच के साथ ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ शुरू की।
–    राजीव गांधी कहा करते थे यदि किसान कमजोर हो जायेगा तो देश अपनी आत्मनिर्भरता खो देगा। किसानों के मजबूत होने से ही देश की स्वतंत्रता भी मजबूत होती है। इस तरह से देखिए तो एक बार फिर स्वतंत्रता, स्वावलंबन और न्याय के बीच एक सीधा रिश्ता बनता है।
–    निश्चित तौर पर यह एक बड़ी योजना है, जिसके माध्यम से धान, मक्का और गन्ना के 21 लाख से अधिक किसानों को 5700 करोड़ रू. का भुगतान उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से किया जाना है।
–    हमने तय किया 5700 करोड़ रू. की राशि का भुगतान 4 किस्तों में करेंगे। जिसकी पहली किस्त 1500 करोड़ रू. 21 मई को किसानों की खाते में डाल दी गई।
–    20 अगस्त को राजीव जी के जन्म दिन के अवसर पर दूसरी किस्त की राशि भी किसानों के खाते में डाल दी जायेगी।
–    इस तरह राजीव गांधी किसान न्याय योजना हमारी न्याय दिलाने की विरासत से सीधी तौर पर जुड़ जाती है।
–    हमने ‘भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ की घोषणा की है ताकि ऐसे ग्रामीण परिवारों को भी कोई निश्चित, नियमित आय हो सके, जिनके पास खेती के लिए अपनी जमीन नहीं है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि यह योजना भी जल्दी आकार लेगी।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, बहुत से लोगों का मानना था कि किसानों को अधिक राशि देने के आपके संकल्प और जुनून का विपरीत असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इससे प्रदेश को आर्थिक मंदी का मुकाबला करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, आप इस संबंध में क्या कहना चाहेंगे ?
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    बहुत पुरानी कहावत है ‘‘हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फारसी क्या।’’ आपके सवाल के जवाब तो किसानों ने खुद दे दिया है।
–    हमारे किसान भाई, बहन तो अर्थव्यवस्था के संचालक हैं, संवाहक हैं, उन्हें बिना वजह ही अर्थव्यवस्था में बाधक कहकर बदनाम किया गया था।
–    हमारे गांव के लोगों में बड़ी उदारता होती है वे जानते हैं कि उन्हें मिले पैसे सन्दूक में बंद करके रखने के लिए नहीं हैं।
–    वे जानते हैं कि उन्हें मिली राशि समाज के अन्य वर्गों तक किस तरह पहुंचती है, इसलिए वे संग्रह नहीं करते बल्कि जरूरी चीजों पर खर्च करते हैं।
–    किसानों, ग्रामीणों के पैसे से गांव के बहुत से काम-धंधे चलते हैं, हमारी इस सोच और विश्वास को देश के बड़े-बड़े विद्वानों, अर्थशास्त्रियों, स्वतंत्र संस्थाओं ने प्रमाणित किया है।
–    जो लोग पहले किसानों पर, आदिवासियों पर, ग्रामीणों पर, हमारे द्वारा किये जा रहे खर्च पर आश्चर्य जताते थे, वे अब इस बात पर आश्चर्य जता रहे हैं कि अर्थव्यवस्था का यह मॉडल पहले क्यों नहीं सूझा था।
–    अब तो यह प्रमाणित हो गया है कि गांवों से निकली राशि से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बचाया और बढ़ाया जा सकता है।
–    लॉकडाउन के दौर में जहां देश और दुनिया में बेरोजगारी भयंकर बढ़ी है।
–    तालेबंदी के कारण अर्थव्यवस्था ध्वस्त है वहीं छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019 की तुलना में जीएसटी का संग्रह 22 फीसदी बढ़ा है।
–     2019 की तुलना में भूमि का पंजीयन 17 प्रतिशत बढ़ा है।
–    वाहनों की खरीदी अलग-अलग महीनों में 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ी है।
–    रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के समय कृषि और संबंधित कार्यों में तेजी बनी रही।
–    लघु वनोपज उपार्जन का मामला हो या मनरेगा के तहत काम देने का, लघु वनोपज संग्रह के लिए पारिश्रमिक देने का मामला हो या मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी भुगतान का, हर मामले में छत्तीसगढ़ आगे रहा है।
–    हमारी जनहितकारी और जन न्याय देने वाली योजनाओं के कई आयाम हैं।
–    कुपोषण मुक्ति, मलेरिया नियंत्रण, हाट बाजार में इलाज, कोरोना काल में लगभग 8 माह तक निःशुल्क अनाज देने का इंतजाम, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी, तथा उनको रोजगार प्रदाय आदि हर पहल से अलग-अलग तरह से न्याय मिला है।
–    इस तरह यह साबित होता है कि किसानों और गांवों का भला करने से सबका भला होता है।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी आपकी न्याय योजनाओं के बारे में और भी बहुत से विचार मिले हैं। आइए सुनते हैं-
    1.    कैलाश यादव-बालोद (22 जुलाई 2020/29 नम्बर)
    नर्मदा धाम सुरसुरी जिला बालोद से कैलाश यादव बोल रहा हूं छत्तीसगढ़ में जो गोधन योजना लागू किया गया है वह बहुत सराहनीय है।
    2.    मानवेन्द्र कुमार साहू-राजनांदगांव (23 जुलाई 2020/15 नम्बर) गर्रापार, बांधाबाजार, राजनांदगांव। माननीय मुख्यमंत्री जी आपने ’गोधन न्याय योजना’ के तहत गोबर खरीदने का निर्णय लिया है, वह स्वागत योग्य है। इससे गौ समर्थन होगा तथा किसान और गौ पालक अपनी गाय को अपने पास ही रखेंगे, जिससे गाय के गोबर को जैविक खाद र्व इंधन के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
    3.    अनिल सिंघानिया-बेमेतरा ( 23 जुलाई 2020/ 63 नम्बर)
    गौरक्षा विभाग, विश्व हिन्दु परिषद, बेमेतरा से माननीय मुख्यमंत्री जी को सादर प्रणाम। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा ’गौधन न्याय योजना’ के अंतर्गत जो काम किया जा रहा है। साथ ही हरेली उत्सव तिहार के समय गौठान में जो गोबर खरीदी की गई, वो सराहनीय कदम आपके मार्गदर्शन में, आपके नेतृत्व में गोपालकों और किसानों को एक नई दिशा और नई उर्जा का संचार होगा और वे आत्मनिर्भर होंगे।
–    4.    उमेन्द्र निषाद, ग्राम तेंदूभाठा, मगरलोड, जिला- धमतरी
 (24 जुलाई 2020/ 19 नम्बर)
    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को बहुत-बहुत बधाई जो 2 रू. किलो में खरीद रहे है। इससे किसानों को बहुत लाभ होगा और बहुत से किसान जो गाय को दूध देते तक रखते थे और बैल को नांगर चलाते तक उसके बाद उसको बेच देते थे और अब किसान पूरे मरते दम तक पालेंगे और किसानों को अच्छी आय होगी इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को बहुत-बहुत धन्यवाद। मुख्यमंत्री जी से कहना चाहूंगा कि यह योजना जल्द से जल्द सभी गांवों में चालू करें ताकि छत्तीसगढ़ के सभी लोगों को इसका फायदा मिले।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि ‘गोधन न्याय योजना’ को लेकर काफी उत्साहजनक प्रतिक्रिया आई है।
–    खैरागढ़ के विनायक सिंह जी ने कहा था कि गोबर का हमारे लोक जीवन में बहुत महत्व है। इसका उल्लेख हमारे वेद और शास्त्रों में भी मिलता है।
–    बहुत सही कहा आपने। गाय को माता मानने के पीछे यह आस्था है कि गाय के शरीर में समस्त देवता निवास करते हैं और गाय की सेवा से प्रकृति की कृपा मिलती है।
–    गौ-वंश की महिमा का बखान वेद पुराणों में है। भगवान शिव का वाहन नंदी, भगवान इंद्र के पास समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली कामधेनु और भगवान श्रीकृष्ण को तो गौ माता से जुड़ाव के कारण गोपाल ही कहा जाता है।
–    कहा गया है कि गौ माता की पीठ में ब्रम्हा, गले में विष्णु, मुख में शिव तथा  रोम-रोम में महर्षियों का ठिकाना, गाय की पूंछ को अनंत नाग का स्थान माना जाता है।
–    गोबर और पंचगव्य को अत्यंत पावन और उपचार के योग्य माना जाता है।
–    इसके बावजूद हमने देखा है कि प्रकृति के इतने सरल, सहज, जनहितकारी वरदान को सहेजने में अपेक्षित तत्परता से काम नहीं हो पाया।
–    इसलिए हमने न्याय योजनाओं के क्रम में गोधन न्याय योजना को ग्रामीण जन-जीवन, लोक आस्था ही नहीं बल्कि सीधे आजीविका और समृद्धि का माध्यम बनाने का निर्णय लिया।
–    नरवा-गरवा-घुरवा-बारी अगर छत्तीसगढ़ की चिन्हारी है तो गौ माता हमारी भारतीयता की, भारतीय संस्कृति की, भारतीय लोक आस्था की और हमारी एकता तथा सद्भाव की भी चिन्हारी है।
–    गौ माता और गौ उत्पादों के माध्यम से हमारी यह अद्भुत चिन्हारी, अद्भुत पहचान युगों-युगों तक जीवित रहे, इसके लिए यदि हम कोई कदम उठाते हैं तो चट्टान की तरह अपने फैसले के साथ खड़े भी होते हैं।
–    आपको पता है कि जब हमने गोबर को गोधन बनाने का फैसला किया तो कथित विशेषज्ञों और राजनेताओं के एक वर्ग ने इसका पुरजोर विरोध किया।
–    गोबर से तो हमारे घर आंगन लीपे जाते हैं, गोबर को अपने घर की दीवारों पर थापकर हम कंडे बनाते हैं। गोबर से बेहतर जैविक खाद और कोई नहीं है। गौ मूत्र और गौ माता के उपकारों का मोल तो हो ही नहीं सकता।
–    गौ माता की पूजा साल में एक दिन नहीं बल्कि सालभर होती है। पर्व त्यौहारों में तो विशेष पूजा होती है।
–    ऐसे समाज पर मुझे गर्व है, जो गौ माता का सम्मान करता है और मां की तरह उसकी ममता की छांव में अपना जीवन खुशी-खुशी बिताता है।
–    मैं उस समाज के साथ रहना चाहता हूं जो सिर्फ दूध, दही का मोल न समझे बल्कि गौ माता की ममता का महत्व भी समझे।
–    मैं बहुत विनम्रता पूर्वक कहना चाहता हूं कि गौ माता और गोधन का मान बढ़ाने वाली योजना को लेकर विरोध करने वालों की चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ईश्वर जानता है कि वे क्या कर रहे हैं।
–    गोधन न्याय योजना को हमने छत्तीसगढ़ के हर गांव में गौठान बनाने की योजना के साथ जोड़ा है। हरेली छत्तीसगढ़ी संस्कृति में साल का पहला त्यौहार है। इस दिन से प्रदेश में गोधन न्याय योजना की शुरूआत करने का अपना विशेष महत्व है।
–    किसानों से गोबर खरीदने की सरकारी दर 2 रूपये प्रति किलो तय की गई है। गौठानों को गोबर खरीदी के लिए सुविधा सम्पन्न बनाया जायेगा।
–    गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी।
–    प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति तथा लैम्प्स के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट को 8 रू. प्रति किलो की दर से किसानों को बेचा जायेगा।
–    अल्पकालीन कृषि ऋण के अंतर्गत सामग्री घटक में जैविक खाद के रूप में वर्मी कम्पोस्ट शामिल करने का निर्णय लिया जा चुका है।
–    मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने हर गांव में गौठान बनाने का संकल्प लिया है। अभी तक 5300 गौठान स्वीकृत हुए हैं, जिसमें से लगभग 2800 गौठानों का निर्माण पूर्ण हो चुका है।
–    इस योजना से गौ पालन, गौ सुरक्षा, खुली चराई पर रोक, जैविक खाद का उपयोग, इससे जमीन की उर्वरता और पवित्रता में वृद्धि, रसायन मुक्त खाद्यान्न के उत्पादन में तेजी, गोबर संग्रह में तेजी से स्वच्छता का विकास, जैसे अनेक लक्ष्य हासिल होंगे।
–    संग्रहित गोबर से जैविक खाद के अलावा अन्य रसायन मुक्त उपयोगी सामग्रियों के निर्माण से ग्रामीण अंचल की विभिन्न प्रतिभाओं को नवाचार का अवसर मिलेगा।
–    मैं सोचता हूं कि पर्यावरण के प्रति दुनिया की बहुत बड़ी चिंता और समस्या का समाधान भी हमारी गोधन न्याय योजना करेगी।
–    अंत में कहना चाहता हूं कि जिस प्रकार हमारे वेद-पुराणों ने, महात्मा गांधी, पं. नेहरू, डॉ. अम्बेडकर जैसे मनीषियों ने हमारी विरासत, हमारी संस्कृति को साथ लेकर सर्वधर्म-समभाव के साथ देश को आगे बढ़ाने का सपना देखा था, वह सपना, हमारी ‘गोधन न्याय योजना’ से पूरा होगा।
–    मुझे खुशी है कि हमारी सोच और प्रयासों को आप सबका भरपूर सहयोग और समर्थन मिल रहा है। धन्यवाद। जय हिंद।

एंकर
–    अब लोकवाणी का आगामी प्रसारण 13 सितम्बर, 2020 को होगा। विषय होगा ‘‘समावेशी विकास-आपकी आस’’ इस विषय पर हमारे श्रोता अपने विचार 25, 26 एवं 27 अगस्त 2020 के बीच रख सकेंगे। पहले की तरह ही आप दिन में 3 से 4 बजे के बीच फोन करके अपने सवाल रिकार्ड करा सकते हैं।
–    फोन नम्बर हैं- 0771-2430501, 2430502, 2430503
–    और इसी के साथ ये कार्यक्रम अब सम्पन्न होता है।


नमस्कार, जय-जोहार।